बंद रहता है बोडी गांव का आंगनबाड़ी केंद्र

विभागीय स्तर भी नहीं होती है सुनवाई चैनपुर(पलामू) : चैनपुर के बोडी गांव का आंगनबाड़ी केंद्र यदि खुल जाये, तो वह खबर है. ग्रामीणों की नजर में केंद्र खुलना ही एक बड़ी बात है. बंद रहना तो आम है. बोडी पंचायत के मुखिया मनोहर प्रसाद भी इस तथ्य को स्वीकार करते हैं. मुखिया का कहना […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 31, 2014 8:15 AM
विभागीय स्तर भी नहीं होती है सुनवाई
चैनपुर(पलामू) : चैनपुर के बोडी गांव का आंगनबाड़ी केंद्र यदि खुल जाये, तो वह खबर है. ग्रामीणों की नजर में केंद्र खुलना ही एक बड़ी बात है. बंद रहना तो आम है. बोडी पंचायत के मुखिया मनोहर प्रसाद भी इस तथ्य को स्वीकार करते हैं. मुखिया का कहना है कि क्या करें, वह खुद लाचार हैं. कई बार कहा,केंद्र का नियमित संचालन हो, पर कुछ नहीं होता. विभाग से शिकायत करीये, वहां भी कोई सुनने वाला नहीं है. क्या किया जाये, कुछ समझ नहीं आता. पंचायत को अधिकार मिला नहीं, कागजों पर घोषणा हो रही है. कागजी शेर से भला कोई क्यों डरे, कुछ कर नहीं सकते.
बस आवेदन देकर कागज बरबाद करना है. सेविका-सहायिका की पहुंच ऊंची है. हम मुखिया की उनलोगों के सामने भला क्या औकात है. गांव जाने पर कुछ ग्रामीणों से मुलाकात हुई. बताने लगे आगे चलिये, आंगनबाड़ी केंद्र है. अपना भवन नहीं है. सेविका देवंती देवी अपने आवास में ही आंगनबाड़ी केंद्र चलाती हैं. लेकिन माह में एक दो बार ही खुलता है. सहायिका शोभा देवी प्रतिदिन केंद्र में बच्चों को लेकर आती हैं और निराश लौट जाती हैं.
यह स्थिति तब है, जब जिला समाज कल्याण पदाधिकारी से लेकर सीडीपीओ तक को यह जिम्मेवारी मिली है कि वह आंगनबाड़ी केंद्रों का नियमित निरीक्षण करें. इस निर्देश का कितना अनुपालन हो रहा है, सेविका-सहायिका के मन में कितना डर है, यह बताने के लिए बोडी गांव का आंगनबाड़ी केंद्र ही काफी है. लोगों को इंतजार है उस दिन का जब आंगनबाड़ी केंद्र नियमित खुले.
ग्रामीण बदरूद्दीन अंसारी, मनव्वर अंसारी, सुदामा सिंह का कहना है कि जिस दिन गांव का आंगनबाड़ी केंद्र नियमित चलने लगेगा, उसी दिन उनलोगों को यह लगने लगेगा कि झारखंड में सिस्टम काम करने लगा. क्योंकि गांव की सरकार इसे सुधारने में खुद को लाचार बता रही है, अब उम्मीद शासन-प्रशासन से ही है,देखे होता क्या है.

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