ऊपरीकला में प्राचीन काल के अवशेष मिले

हुसैनाबाद (पलामू) : हुसैनाबाद अनुमंडल मुख्यालय से करीब पांच किलोमीटर दक्षिण पूरब स्थित गांव ऊपरीकला में प्राचीन सभ्यता के कई अवशेष पाये गये हैं. प्राप्त अवशेषों में रेड वेयर, मृदभांड के टुकड़े, कांच की चूड़ियं, मनके, हंडियां, प्रस्तर स्तंभ, आयरन ओर्स आदि शामिल हैं. हुसैनाबाद प्रखंड के दो दर्जन से अधिक गांव के लोग व […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 6, 2015 9:40 AM
हुसैनाबाद (पलामू) : हुसैनाबाद अनुमंडल मुख्यालय से करीब पांच किलोमीटर दक्षिण पूरब स्थित गांव ऊपरीकला में प्राचीन सभ्यता के कई अवशेष पाये गये हैं. प्राप्त अवशेषों में रेड वेयर, मृदभांड के टुकड़े, कांच की चूड़ियं, मनके, हंडियां, प्रस्तर स्तंभ, आयरन ओर्स आदि शामिल हैं.
हुसैनाबाद प्रखंड के दो दर्जन से अधिक गांव के लोग व शहर के आधा से अधिक शहरवासी एक दशक पूर्व से ही प्रस्तर स्तंभ को शिवलिंग का प्रतीक मान कर बाबाधाम के सामांतर प्रत्येक सोमवार को धूमधाम के साथ जल चढ़ाते आ रहे हैं.
उक्त बातें पुरातत्व शोध परिषद के संयोजक सह इतिहासकार अंगद किशोर, रांची विश्वविद्यालय के आर्केलॉजी के व्याख्यता अभिषेक कुमार गुप्ता, हेरिटेज एसोसिएशन ऑफ इंडिया के उपाध्यक्ष कमलेश कुमार विश्वकर्मा एवं आर्केलॉजी का शोध कर रहे छात्र अजीत कुमार ने उक्त गांव का दौरा कर पत्रकारों को दी. इतिहासकार अंगद किशोर ने कहा कि बालूका पत्थर द्वारा निर्मित चौकोर स्तंभ जमीन में लंबवत गड़ा हुआ है. यह स्तंभ फर्श से चार फीट ऊंचा है. प्रस्तर स्तंभ की कलाकृति तराश कर बनायी गयी है.
इस प्रस्तर स्तंभ पर कुछ अस्पष्ट मानव आकृतियां उकेरित हैं, जिसे ग्रामीण शिव, पार्वती व गणोश मानते हैं. प्रतीत होता है कि यह स्तंभ परवर्ती गुप्तकालीन है. संभवत: इस स्तंभ को गर्भगृह में स्थापित कर ग्रामीणों द्वारा मंदिर का निर्माण किया गया है. यही कारण है कि प्रति वर्ष सावन के महीना में हजारों श्रद्घालु जल चढ़ाने आते हैं. रांची विश्वविद्यालय के व्याख्याता अभिषेक गुप्ता ने बताया कि प्राचीन काल में ऊपरीकला सदाबह नदी के तट पर अवस्थित था, जो अब विलुप्त होने के कगार पर है.
ग्रामीणों से मिली जानकारी के बाद उन्होंने बताया कि गढ़ पर एक दर्जन रिंगवेल भी मिले थे, जिसे काट कर आज तालाब बना दिया गया. रिंगवेल मिलने से स्पष्ट है कि दो हजार वर्ष पूर्व यह बस्ती आबाद थी. हेरिटेज एसोसिएशन ऑफ इंडिया के उपाध्यक्ष कमलेश कुमार विश्वकर्मा एवं आर्कियोलॉजी में शोधरत छात्र अजीत कुमार ने संयुक्त रूप से बताया कि ऊपरीकला गांव का पुराना नाम कुबरी कला है.
जिसे बाद में मुगलकाल में मुसलिम सूबेदार ने इसे विजित कर इसका नाम बदल कर फतेहपुर कर दिया. 1915 ई के नक्शा में इसका नाम कुबरी कला व फतेहपुर है. ऊपरी कला गांव के दक्षिण में कामगारपुर गांव है, जिसे खडगडीहा का सूबेदार कामगार खान ने नामांतरण किया था.

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