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सूख रहे हैं खेत, किसान परेशान (झारखंड डेस्क को दे दें)

सूख रहे हैं खेत, किसान परेशान (झारखंड डेस्क को दे दें) फोटो-5 डालपीएच-8,9 व 10कैप्सन-खेत में सुखते धान के फसल, मायूस किसान, परती खेतप्रतिनिधि, मेदिनीनगरअपने खेतों में सूखती धान की फसल को देख कर गोल्हना के किसान हृदयानंद तिवारी रुआंसे हो उठते हैं. थोड़ी देर सोच कर एकाएक कहते हैं, इस बार बारिश ने फिर […]

सूख रहे हैं खेत, किसान परेशान (झारखंड डेस्क को दे दें) फोटो-5 डालपीएच-8,9 व 10कैप्सन-खेत में सुखते धान के फसल, मायूस किसान, परती खेतप्रतिनिधि, मेदिनीनगरअपने खेतों में सूखती धान की फसल को देख कर गोल्हना के किसान हृदयानंद तिवारी रुआंसे हो उठते हैं. थोड़ी देर सोच कर एकाएक कहते हैं, इस बार बारिश ने फिर दगा दिया. अब तो अकाल जैसे हालात होंगे. इस बार 1966-67 से भी भयावह हालात हैं. उस अकाल में मवेशियों के चारा के लिए घास था. सरकारी मदद भी मिल रही थी, लेकिन इस बार किसानों के सामने विकट स्थिति उत्पन्न हो गयी है. क्योंकि पिछले दो साल से जब बारिश नहीं हो रही थी, तो किसान खेती में पूंजी नहीं लगा रहे थे, लेकिन इस बार मौसम को देखते हुए कर्ज लेकर भी किसानों ने खेती में पैसे लगाये थे. धान की फसल अब सूख रहे हैं. यह देख किसान अंदर से टूट चुके हैं. बटसारा के बलराम सिंह का कहना है कि अधबटइया पर कर्ज लेकर खेती की थी, भारी नुकसान हुआ है. पूरे खेत में रोपनी भी नहीं हो सकी, बिचड़ा खेत में ही रह गया. जिसकी रोपनी हुई, उसकी फसल पानी के अभाव में सूख गयी.पलामू में स्थिति विकट है. हथिया नक्षत्र बीतने को है, लेकिन इस नक्षत्र में बारिश नहीं हुई है. कृषि के दृष्टिकोण से हथिया नक्षत्र काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. इस नक्षत्र में बारिश नहीं होने से किसान यह मान चुके हैं कि भदई फसल खत्म हो चुकी है. रबी फसल के भी होने की उम्मीद नहीं है. इस वर्ष जुलाई में अच्छी बारिश हुई थी, जिसके बाद किसानों ने खेती की लेकिन अगस्त व सितंबर माह में बारिश ही नहीं हुई. खेत में लगी धान की फसल पानी के अभाव में सूख रही है. खेतों में दरार है, कुछ किसान पंप के माध्यम से पटवन कर रहे हैं, लेकिन उन्हें भी अपेक्षित सफलता नहीं मिल रही है. कारण पटवन के लिए बिजली चाहिए. पर्याप्त मात्रा में ग्रामीण इलाकों में बिजली नहीं मिल रही है. आंकड़ों के मुताबिक पलामू में 47 हजार हेक्टेयर में धान की खेती का लक्ष्य था. विभागीय आंकड़ों के मुताबिक लक्ष्य के विरुद्ध 75 प्रतिशत धान की रोपनी हुई है.सेवा साव का 10 एकड़ में लगा धान बरबाद 05 सीएच 1 में धान के खेत में पड़ी दरार.05 सीएच 3. किसान सेवा साव.10 एकड़ में लगाया था धान, पैसा बरबाद चतरा. जिले के सिमरिया प्रखंड के डाड़ी गांव के किसान सेवा साव ने 10 एकड़ में धान लगाया था. खाद-बीज पर 10 हजार रुपये से अधिक खर्च किये. अब फसल की स्थिति देख उनकी परेशानी बढ़ गयी है. खेतों में धान की फसल लगी हुई है. लेकिन अब वह सूखने लगे हैं. आगे क्या होगा पता नहीं. सेवा साव कहते हैं कि जुलाई माह की बारिश से कुछ उम्मीद जगी थी. लेकिन अगस्त और सितंबर माह की बारिश ने निराश कर दिया. चतरा जिले में पर्याप्त बारिश नहीं होने से जिले में अकाल की स्थिति उत्पन्न हो गयी है़ खेतों में लगी धान की फसल मरने लगी है. जिले में 36 हजार हेक्टेयर में धान का आच्छादन किया गया था़ किसानों ने ऊंची कीमत में धान बीज खरीद कर खेतों में लगाया़ लेकिन बारिश ने दगा दे दिया़ ऊपरी सतह के खेतों में लगे धान पहले ही मर चुके हैं. निचली सतह के खेतों में लगी धान की फसल भी पीला पड़ने लगे है़ं खेतों में दरार पड़ गयी है़ कई खेतों में धान की बाली तो निकली, लेकिन वह कमजोर है़ धान के फूटने के वक्त बारिश नहीं हुई. बारिश नहीं होने से भदई फसल मकई भी पूरी तरह मारी गयी़ जिले के लावालौंग, कुंदा, सिमरिया, पत्थलगड्डा, गिद्धौर, हंटरगंज, प्रतापपुर के करीब 50 प्रतिशत लोग मकई की खेती करते हैं. मकई नहीं होने से इन लोगों के समक्ष भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गयी है़क्या कहते हैं डीएओ जिला कृषि पदाधिकारी अशोक कुमार ने बताया कि इस बार जिले में धान की फसल की स्थिति ठीक नहीं है़ बारिश नहीं होने से ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई है़ सितंबर माह में 210 मिमी बारिश की जगह मात्र 64 मिमी बारिश हुई़, जो धान की फसल के लिए पर्याप्त नहीं है़ जुलाई व अगस्त माह में भी बारिश की स्थिति ठीक नहीं थी़ मौसम विभाग द्वारा फिलहाल बारिश की संभावना नहीं जतायी गयी है़सिंचाई के अभाव में मर रही है फसल 5 गुम 13 व 14 में गुमला के मुरकुंडा में सिंचाई के अभाव में बरबाद फसल5 गुम 14 में किसान शिवदयाल साहूजगरनाथ, गुमलागुमला जिले के किसान चिंता में हैं. बारिश नहीं हुई है. फसल खेतों में लगा था. लेकिन पानी के अभाव में फसल मर गये या फिर मर रहे हैं. मानसून की मार से किसान बेहाल हैं. जिन किसानों की फसल बरबाद हुई है, उनकी हालत खराब है. अगर राहत कार्य शुरू नहीं किया गया, तो कई किसानों के समक्ष भूखों मरने की नौबत आ सकती है. हालांकि कृषि विभाग द्वारा इस वर्ष 188000 हेक्टेयर खेत में धान फसल लगाने का लक्ष्य था. इसमें विभाग के अनुसार 146935 हेक्टेयर खेत में फसल लगाया गया. विभाग की मानें तो एक नंबर खेत व हाइब्रिड धान की खेती अच्छी हुई है और फसल तैयार है. लेकिन किसानों का कहना है कि अगस्त माह में कम से कम 265 मिलीमीटर बारिश जरूरी थी. लेकिन मात्र 177 मिलीमीटर बारिश हुई, जिसने किसानों की कमर तोड़ कर रख दी. सितंबर माह में अपेक्षा से कम बारिश हुई है.कोट:पूर्वी क्षेत्र के नौ पंचायत में खेती चौपट हो गयी है. सिंचाई के अभाव में फसल सूख गयी या बरबाद हो गयी. मैं खुद बरबाद हो गया. जो फसल लगाया था, वे खेत में लहलहा रहे हैं. लेकिन धान की बाली ही नहीं हुई. पूरा फसल बेकार हो गया. अगर सरकार राहत कार्य शुरू नहीं करेगी, तो भूखे मरना पड़ेगा. शिवदयाल साहू, किसान, मुरकुंडाखरीफ तो गया, भदई फसल भी संकट 5जीडब्लूपीएच12-खेतों में इस तरह पड़े हैं दरारप्रतिनिधि, गढ़वागढ़वा जिले में पूरी तरह से सूखे की स्थिति है. यहां अल्प एवं असामयिक वृष्टि के कारण इस वर्ष धान एवं भदई दोनों फसल मारी गयी है. अभी तक जो वर्षा की स्थिति है, उससे स्थिति बन रही है कि किसानों की अगली फसल भी नहीं होगी. इसके कारण किसान एवं खेतिहर मजदूर दोनों की स्थिति दयनीय है. भविष्य को लेकर दोनों चिंतित हैं. इस वर्ष जिले में जुलाई से लेकर अगस्त के प्रथम सप्ताह तक औसत से अधिक वर्षा हुई. इस वर्षा से किसान काफी उत्साहित हुये थे. किसानों ने अपने सभी धान के खेतों में धान रोपने के उद्देश्य से बिचड़ा लगाया. लेकिन बिचड़ा रोपने का जब ऐन वक्त आया, तो बारिश पूरी तरह से गायब हो गयी. लगातार डेढ़ महीने तक बारिश हुई ही नहीं. इस बीच लगातार कड़ी धूप निकलने के कारण धान के बिचड़े मुरझा गये. किसानों ने किसी तरह पहले से जमा पानी में धान की रोपाई की. उस खेतों में दरार पड़ जाने के कारण धान के पौधे विकसित होने के पूर्व ही मुरझा गये.किसान की सुननेवाला कोई नहींफोटो 5 जीडब्ल्यू 16मेराल प्रखंड के अटौला गांव निवासी किसान उमेश तिवारी ने कहा कि इस वष किसानों को मानसून ने पूरी तरह से छलने का काम किया है. खेती शुरू करने के पूर्व मॉनसून की इतनी अच्छी स्थिति दिखी कि किसानों को लगा कि इस वर्ष रिकॉर्ड खेती होगी. लेकिन अगस्त (हिंदी का सावन महीना) में जब खेती का मुख्य समय था, मानसून ने दगा दे दिया. पानी बरसा ही नहीं. खेतों में दरार पड़ गये. इस वर्ष धान के साथ भदई फसल भी पूरी तरह से मारी गयी है. किसान की तो कमर टूट गयी है. लेकिन किसानों का दर्द सुननेवाला कोई नहीं है. हजारीबाग में 2.5 लाख से अधिक किसानों पर संकट 5हैज3 में- किसान द्वारिका महतो अपने सूखे खेत में सूखे फसल को देख कर दुखी होते5हैज4 में- किसान दशरथ महतो अपने सूखे खेत में विलाप करते.हजारीबाग. हजारीबाग जिले में कम वर्षा होने से सुखाड़ की स्थिति है. जिले के दो लाख 54 हजार किसान प्रभावित हुए हैं. खेतों में फसल सूख गयी है. धान की फसल मुरझा रहे हैं. सितंबर माह में मात्र 7.9 मिमी वर्षा हुई. सितंबर माह की औसत बारिश 218.3 मिमी है. इस कारण 84 हजार हेक्टेयर भूमि पर धान लगाने का लक्ष्य पूरा नहीं हुआ. 6715 हेक्टेयर जमीन पर धान नहीं लगा. बाकी जमीन पर लगी धान की फसल 50 प्रतिशत सूख गयी है.चार एकड़ में सूख गयी धान की फसल किसानों ने कहा- कटकमसांडी प्रखंड के पाराटांड़ गांव निवासी किसान दशरथ महतो ने कहा कि चार एकड़ खेत में धान की फसल लगायी थी. इसमें से सभी धान के पौधे सूख गये हैं. साल भर इसी उपज से परिवार का भरण-पोषण होता था. आर्थिक रूप से काफी परेशानी में आ गये हैं. किसान द्वारिका महतो ने दो एकड़ में धान का फसल लगाया था. खेत में पानी नहीं रहने के कारण सारा फसल बरबाद हो गया. फसल मुरझा गये हैं. अब इसमें धान होने की उम्मीद नहीं बची है.जिला कृषि पदाधिकारी सुरेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि प्रखंडों में फसल नुकसान का आकलन किया जा रहा है. सभी प्रखंड के बीइइओ से संकल्पित प्रतिवेदन मांगा गया है. फसल को काफी नुकसान हुआ है.

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