रांची में नहीं खुल सका पायलट ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट
रांची में नहीं खुल सका पायलट ट्रेनिंग इंस्टीट्यूटतीन जेलिन विमान वर्ष 2007 से ही बेकार पड़े हैं, हर साल होता है मेंटेनेंस पर एक करोड़ रुपये खर्चसुनील चौधरी, रांची : रांची में अबतक पायलट ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट नहीं खुल सका है. फिलहाल रांची में इसके खुलने के अासार भी नहीं है. पायलट ट्रेनिंग के लिए स्टेट […]
रांची में नहीं खुल सका पायलट ट्रेनिंग इंस्टीट्यूटतीन जेलिन विमान वर्ष 2007 से ही बेकार पड़े हैं, हर साल होता है मेंटेनेंस पर एक करोड़ रुपये खर्चसुनील चौधरी, रांची : रांची में अबतक पायलट ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट नहीं खुल सका है. फिलहाल रांची में इसके खुलने के अासार भी नहीं है. पायलट ट्रेनिंग के लिए स्टेट हैंगर में तीन जेलिन विमान बेकार पड़े हैं. वर्ष 2007 से ही इन विमानों के रख-रखाव पर हर साल एक करोड़ रुपये खर्च होते हैं. तब से न तो पायलट ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट खुला और न ही विमानों के लिए अन्य वैकल्पिक उपाय किये गये.नागर विमानन विभाग के सूत्रों ने बताया कि दो कारणों से रांची में इंस्टीट्यूट नहीं खुल रहा है. एक तो रांची में एयर ट्रैफिक बढ़ा है. इसके कारण प्रशिक्षण में बाधा उत्पन्न होने की आशंका है. दूसरी वजह है कि हाल के दिनों में कॉमर्शियल पायलट की मांग भी घटी है. यही वजह है कि विभाग ज्यादा रुचि नहीं ले रहा है. राज्य सरकार ने वर्ष 2002 में ही पायलट प्रशिक्षण की योजना आरंभ की थी. तब यहां से प्रत्येक वर्ष 20 छात्रों को दूसरे राज्यों में पायलट प्रशिक्षण के लिए भेजा जाता था. फिर सरकार ने खुद ही राज्य में प्रशिक्षण केंद्र खोलने का फैसला लिया. इसके तहत रांची, दुमका व जमशेदपुर में पायलट प्रशिक्षण केंद्र खोलना था. वर्ष 2008 में दुमका में पायलट प्रशिक्षण केंद्र खोला गया, पर यह खुलते ही बंद हो गया. कारण यह था कि डीजीसीए से मान्यता नहीं मिली थी. हाल में देवघर में ग्लाइडर प्रशिक्षण केंद्र खोला गया है. गलत विमान खरीदे गयेनागर विमानन विभाग के तत्कालीन सचिव सजल चक्रवर्ती ने वर्ष 2014 में ही जेलिन विमान की खरीदारी को गलत बताया था. वर्ष 2007 में तीन जेलिन विमान चार करोड़ रुपये में खरीदे गये थे. उन्होंने कहा था कि भारत में कहीं भी जेलिन विमान के लिए न तो पायलट मिलते हैं और न ही इंजीनियर. तत्कालीन चीफ पायलट अजय श्रीवास्तव पर उन्होंने कमेटी को गुमराह कर जेलिन विमान खरीदवाने का आरोप भी लगाया था. पूरे देश में सेसना 172 विमान से ही पायलट का प्रशिक्षण दिया जाता है. वर्ष 2007 से ही जेलिन विमान बेकार पड़े हैं. इनके मेंटनेंस पर अबतक नौ करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं. एयर टैक्सी की योजना बन रही हैविभागीय सूत्रों ने बताया कि जेलिन विमान को प्रशिक्षण के बजाय एयर टैक्सी के रूप में चलाने पर विभाग विचार कर रहा है. यानी निजी उपयोग के लिए कोई इसे भाड़े पर ले सकता है. फिलहाल यह योजना अभी प्रस्ताव के स्तर पर ही है.