जन विरोध दूर करने के लिए होगा प्रचार-प्रसार
जन विरोध दूर करने के लिए होगा प्रचार-प्रसारडॉक्यूमेंट्री फिल्म भी बनेगीईचा डैम व नहर निर्माण का मामलासंजय, रांचीस्वर्णरेखा परियोजना के महत्वपूर्ण भाग ईचा डैम के निर्माण के लिए फिर से टेंडर निकलने वाला है. इसके निर्माण से पहले जल संसाधन विभाग ने इस डैम तथा नहर निर्माण का जन विरोध दूर करने का फैसला किया […]
जन विरोध दूर करने के लिए होगा प्रचार-प्रसारडॉक्यूमेंट्री फिल्म भी बनेगीईचा डैम व नहर निर्माण का मामलासंजय, रांचीस्वर्णरेखा परियोजना के महत्वपूर्ण भाग ईचा डैम के निर्माण के लिए फिर से टेंडर निकलने वाला है. इसके निर्माण से पहले जल संसाधन विभाग ने इस डैम तथा नहर निर्माण का जन विरोध दूर करने का फैसला किया है. इसके लिए डॉक्यूमेंट्री फिल्म निर्माण सहित जन संवाद के अन्य उपाय किये जायेंगे. बाजार, हाट व अन्य जगहों पर डॉक्यूमेंट्री दिखायी जायेगी, जिसके जरिये लोगों को उनके खेतों को मिलने वाले पानी सहित डैम के अन्य लाभ से अवगत कराया जायेगा. ईचा-चलिआंवा में खरकई नदी पर बनने वाला ईचा डैम दो जिला प. सिंहभूम एवं सरायकेला-खरसावां के अंतर्गत पड़ता है. ईचा बांध का निर्माण कार्य अबतक लगभग 10 फीसदी हुआ है. वहीं, दांयी व बांयी मुख्य नहर का कार्य 30-30 फीसदी हुआ है. दांयी मुख्य नहर के निर्माण को लेकर जन विरोध होता रहा है. इस वजह से अभी नहर का निर्माण कार्य बंद है. गौरतलब है कि जन आंदोलन की वजह से कई बार यहां काम बाधित हुआ है. ईचा डैम व इसके नहरों के निर्माण पर करीब 1105.66 करोड़ रुपये खर्च होने हैं. 2.36 लाख हेक्टेयर खेत को मिलेगा पानी : ईचा डैम तथा इसकी दोनों नहरों के माध्यम से संबंधित जिलों के 2.36 लाख हेक्टेयर खेतों को पानी मिलेगा. वहीं, नगर निकायों तथा उद्योगों को भी इससे सालाना करीब 740 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी मिलेगा. डैम के पास पन बिजली (हाइडल पावर) घर भी बनना है, जिससे आठ मेगावाट बिजली पैदा होगी, जो स्थानीय जरूरत को पूरा करेगी.जन प्रतिरोध से छह सिंचाईं योजनाएं ठपअभी राज्य की कुल छह सिंचाई परियोजनाएं स्थानीय लोगों के प्रतिरोध के कारण बंद हैं. इनमें से रांची जिले की कंस जलाशय योजना को छोड़ किसी पर काम शुरू भी नहीं हो सका है, जबकि ये परियोजनाएं वर्षों पुरानी हैं. कंस व प.सिंहभूम की झरझरा परियोजना पर करीब 39 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं. रांची जिले की कंस जलाशय योजना का 70 फीसदी हेड वर्क तथा मेन कैनल का भी कुछ काम पूरा हो गया है. झरझरा में हेड वर्क सहित अन्य कार्य लगभग शून्य है, जबकि इस पर 11 करोड़ रुपये भी खर्च हो चुके हैं. कंस परियोजना 1978 में तथा झरझरा परियोजना 1982 में शुरू की गयी थी. उधर प.सिंहभूम की सतपोतका व पाकुड़ जिले की तोराई नयी परियोजनाएं हैं. इन सभी परियोजनाओं से 20 हजार हेक्टेयर से अधिक खेतों को पानी मिल सकता है. प्रोजेक्ट जो बंद हैंप्रोजेक्ट ® जिला ® शुरू होने का वर्ष ® सिंचाई क्षमता ® कुल लागत ® अब तक का खर्चझरझरा ® प.सिंहभूम ® 1982 ® 4860 हेक्टेयर ® 49.8 करोड़ ® लगभग 11 करोड़कांटी ® रांची ® 2008 ® 4370 हेक्टेयर ® 113.16 करोड़ ® 10 लाखकंस ® रांची ® 1978 ® 2480 हेक्टेयर ® 44.17 करोड़ ® 27.19 करोड़सुआली ® गुमला ® 2010 ® 3421 हेक्टेयर ® 88.57 करोड़ ® नगण्यतोराई ® पाकुड़ ® नयी योजना ® – ® – ® – सतपोतका ® प.सिंहभूम ® नयी योजना ® – ® – ® –