औद्योगिक इकाइयों ने सरकार पर 1012 करोड़ का दावा किया
औद्योगिक इकाइयों ने सरकार पर 1012 करोड़ का दावा कियादावों से होने वाले नुकसान को देखते हुए सरकार ने वैट अधिनियम में संशोधन किया शकील अख्तर, रांची राज्य की औद्योगिक इकाइयों ने सरकार पर 1012 करोड़ रुपये के रिफंड का दावा किया है. लगातार बढ़ते दावों से सरकार को होनेवाले नुकसान को देखते हुए सरकार […]
औद्योगिक इकाइयों ने सरकार पर 1012 करोड़ का दावा कियादावों से होने वाले नुकसान को देखते हुए सरकार ने वैट अधिनियम में संशोधन किया शकील अख्तर, रांची राज्य की औद्योगिक इकाइयों ने सरकार पर 1012 करोड़ रुपये के रिफंड का दावा किया है. लगातार बढ़ते दावों से सरकार को होनेवाले नुकसान को देखते हुए सरकार ने वैट अधिनियम की उस धारा में संशोधिन कर दिया है जिसके तहत सरकार पर दावा किया गया है. अधिनियम में किये गये संशोधन से राजस्व में करीब 200 करोड़ रुपये की वृद्धि का अनुमान है.वैट अधिनियम 2005 की धारा 18 में राज्य की औद्योगिक इकाइयों को इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ देने का प्रावधान था. इसके तहत औद्योगिक इकाइयों द्वारा उत्पादन के दौरान चुकाये गये टैक्स को उत्पादित सामग्रियों की बिक्री से मिले टैक्स में से काट कर शेष रकम वापस करना था. तातपर्य यह कि अगर किसी कारखाने ने उत्पादन के लिए खरीदे गये कच्चे माल पर 100 रुपये टैक्स चुकाया हो और उत्पादित सामान की बिक्री से 110 रुपये टैक्स मिले तो वह उसमें से 100 रुपये की कटौती कर 10 रुपये ही सरकार को देगा. सरकार ने औद्योगिक इकाइयों को यह सुविधा राज्य में औद्योगिकीकरण और व्यापारिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से दी थी. पर, समीक्षा के दौरान यह पाया गया कि इस प्रावधान से सरकार को लाभ नहीं हो रहा है. वाणिज्य कर सचिव निधि खरे ने औद्योगिक इकाइयों सेे मिलनेवाले राजस्व की समीक्षा के दौरान पाया कि कारखानों द्वारा पिछले तीन वर्षों में इनपुट टैक्स अधिक और आउटपुट टैक्स कम दिखा कर सरकार पर रिफंड का 1012.57 करोड़ का दावा किया गया है. औद्योगिक इकाइयों ने वर्ष 2012-13 में 288.67 करोड़, 2012-13 में 355.86 करोड़ और 2013-14 में 368.04 करोड़ रुपये रिफंड का दावा किया है. इनपुट टैक्स के बढ़ने का मूल कारण अंतरराज्यीय व्यापार के दौरान भी इनपुट टैक्स क्रेडिट का पूरा लाभ दिया जाना पाया गया. इसके अलावा ‘स्टॉक ट्रांसफर’ और उत्पादन के क्रम में इस्तेमाल किये जाने वाले पेट्रोल, डीजल, लुब्रिकेंट और कोयला आदि को भी इनपुट टैक्स के बढ़ने के कारणों के रूप में चिह्नित किया गया. अंतरराज्यीय व्यापार के क्रम में बढ़ते इनपुट टैक्स से निबटने के लिए वर्ष 2012 में ही उच्च स्तरीय बैठक में इसे सेंट्रल सेल्स टैक्स (सीएसटी) तक ही सिमित करने का फैसला किया गया था. अन्य राज्यों ने इसे उसी समय लागू कर दिया था, पर झारखंड ने अधिनियम में संशोधन नहीं किया था. समीक्षा के दौरान एक औद्योगिक इकाइ को उत्पादन के लिए इंधन के तौर कर इस्तेमाल करने के लिए खरीदे गये डीजल, पेट्रोल का इस्तेमाल गाड़ियों में करते पाया गया. इन सभी कारणों को देखते हुए सरकार ने वैट एक्ट की धारा 18 में संशोधिन कर दिया है. इससे अब औद्योगिक इकाइयों को अंतरराज्यीय व्यापार की स्थिति में सीएसटी की सीमा तक ही इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ मिलेगा. साथ ही उत्पादन के क्रम में इस्तेमाल किये गये पेट्रोल, कोयला सहित अन्य ज्वलनशील वस्तुओं पर इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ नहीं मिलेगा.