आरटीआइ ने दिलायी असली आजादी

आरटीआइ ने दिलायी असली आजादीसूचना कानून के दस सालविष्णु राजगड़ियादेश में सूचना कानून लागू हुए दस साल हो गये. देखते-ही-देखते मानो एक युग बदल गया. हमारी पीढ़ी ने सन 47 की आजादी तो नहीं देखी थी, लेकिन आजाद भारत में नागरिकों की गुलामी के कई रूप जरूर देखे थे. आरटीआइ एक्ट को धन्यवाद, जिसने अक्तूबर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 11, 2015 6:02 PM

आरटीआइ ने दिलायी असली आजादीसूचना कानून के दस सालविष्णु राजगड़ियादेश में सूचना कानून लागू हुए दस साल हो गये. देखते-ही-देखते मानो एक युग बदल गया. हमारी पीढ़ी ने सन 47 की आजादी तो नहीं देखी थी, लेकिन आजाद भारत में नागरिकों की गुलामी के कई रूप जरूर देखे थे. आरटीआइ एक्ट को धन्यवाद, जिसने अक्तूबर 2005 में नागरिकों को असल आजादी दिलायी. शासन और प्रशासन से कुछ भी पूछने और दस्तावेज देखने की आजादी. इस कानून का महत्व इसी बात से समझा जा सकता है कि यूपीए सरकार के दस साल पूरे होने के बाद कांग्रेस को एकमात्र यही सबसे बड़ी उपलब्धि बताने लायक दिखी. विगत लोकसभा चुनाव के दौरान एक चर्चित टीवी साक्षात्कार में राहुल गांधी ने हर सवाल के जवाब में आरटीआइ कानून का नाम लिया. दर्जनों बार. इस कानून को सन 47 की आजादी के बाद भारतीय नागरिकों को मिला सबसे बड़ा कानूनी अधिकार माना गया. इस महत्व को समझकर ही प्रभात खबर ने प्रारंभ से ही इसे अभियान का रूप दिया. कानून की बारीकियों को अखबार में नियमित स्थान देने के साथ ही जागरूकता शिविर लगाये. प्रभात खबर के मीडिया इंस्टीट्यूट के विद्यार्थियों को इसका विशेष प्रशिक्षण देकर विभिन्न विभागों में आवेदन जमा कराये गये. उन जवाबों से काफी दिलचस्प खबरें भी निकलीं. उसी दौर में देश भर में घूस को घूंसा अभियान चला. प्रभात खबर ने झारखंड और बिहार के विभिन्न शहरों में इसके शिविर लगाने का दायित्व संभाला. पंद्रह दिनों तक चले इस अभियान में शिविरों में हजारों नागरिकों को आरटीआइ की जानकारी दी गयी. उनके आवेदन बनाये गये. इससे राज्य और देश में सूचना अधिकार का माहौल बना. सूचना का अधिकार पर एक पुस्तक का भी प्रकाशन किया गया, जिसमें सहलेखक के रूप में अरविंद केजरीवाल का अहम योगदान था. अखबार नहीं आंदोलन का मतलब दरअसल यही है. प्रभात खबर के लिए नागरिक अधिकारों को विस्तार और मजबूती देने वाले इस कानून का विशेष महत्व रहा है. यह कानून सिर्फ नागरिकों के लिए नहीं, बल्कि स्वयं मीडिया को भी पहले से अधिक स्वतंत्रता देता है. इस कानून के कारण लाखों भारतीय नागरिकों ने पिछले दस वर्षों में एक नयी आजादी का स्वाद चखा है. इन दस वर्षाें में सूचना का अधिकार ने शासन और प्रशासन के कामकाज में पारदर्शिता और जवाबदेही का नया माहौल विकसित करते हुए आम नागरिक के हाथ में जबरदस्त ताकत दी है. इससे नागरिकों को नयी गरिमा मिली. अब अधिकारियों को मनमाने फैसले करने से पहले बार-बार सोचना पड़ता है कि आरटीआइ में क्या जवाब देगा. इस कानून के कारण भ्रष्टाचार के बड़े-बड़े मामले सामने आये. झारखंड के विकास में आरटीआइ की बड़ी भूमिका संभव है. इस कानून की दसवीं वर्षगांठ पर एक बार फिर इस कानून का अलख जगाकर हम बेहतर नतीजों की उम्मीद कर सकते हैं.

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