आदिवासियों को सरना धर्मकोड मिलना चाहिए : कार्डिनल

आदिवासियों को सरना धर्मकोड मिलना चाहिए : कार्डिनलफोटो ट्रैकमनोज लकड़ा, रांचीकार्डिनल तेलेस्फोर पी टोप्पो चाहते हैं कि यदि प्रकृति पूजक आदिवासी सरना धर्मकोड की मांग कर रहे हैं, तो उन्हें यह जरूर मिलना चाहिए़ पर इसका इस्तेमाल ईसाई-आदिवासियों की आदिवासियत पर सवाल उठाने के लिए नहीं हाे़ अपने 76वें जन्मदिवस की पूर्व संध्या पर उन्होंने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 14, 2015 7:01 PM

आदिवासियों को सरना धर्मकोड मिलना चाहिए : कार्डिनलफोटो ट्रैकमनोज लकड़ा, रांचीकार्डिनल तेलेस्फोर पी टोप्पो चाहते हैं कि यदि प्रकृति पूजक आदिवासी सरना धर्मकोड की मांग कर रहे हैं, तो उन्हें यह जरूर मिलना चाहिए़ पर इसका इस्तेमाल ईसाई-आदिवासियों की आदिवासियत पर सवाल उठाने के लिए नहीं हाे़ अपने 76वें जन्मदिवस की पूर्व संध्या पर उन्होंने सरना धर्मकोड की मांग समेत कई विषयों पर खुल कर अपने विचार रखे़ एक ईसाई धर्मगुरु के रूप में उनका विस्तृत कार्यानुभव रहा है़ वर्तमान में वह देश के पांच कार्डिनल्स में से एक हैं और रांची महार्धप्रांत के आर्चबिशप के रूप में विगत 30 वर्षों से कार्यरत है़ं वह रोमन कैथोलिक चर्च के सर्वोच्च निकाय, सीबीसीआई (कैथालिक बिशप्स कांफ्रेंस ऑफ इंडिया) और सीसीबीआई (कांफ्रेंस ऑफ कैथोलिक बिशप्स ऑफ इंडिया) के अध्यक्ष भी रहे है़ंसवाल : क्या देश के ईसाई खुद को सुरक्षित महसूस कर रहे हैं? केंद्र व राज्य में भाजपा की सरकार है और वैश्वीकरण के दौर में अमेरिका व इजरायल जैसे देशों से इसकी निकटता बढ़ी है़जवाब : हमारे देश का संविधान सर्वोच्च और सशक्त है़ सरकारें आती-जाती रहती है़ उसी तरह अच्छी और बुरी परिस्थितियां भी आती- जाती रहती है़ं इसी मंगलवार को खूंटी में एक पादरी की हत्या हुई है़, जबकि कई अखबाराें ने उन्हें एक अच्छा आदमी बताया है़ इस तरह की घटनाओं से कई लोग असुरक्षित महसूस करने लगे है़ं नयी सरकार के साथ पहला संपर्क हुआ है़ इसलिए कुछ रुक कर ही टिप्प्णी कर सकते है़ं भाजपा ने अच्छे दिन के वादे किये हैं, जिसे निभाना चाहिए़ सवाल : पांचवी अनुसूची, पेसा कानून, सीएनटी-एसपीटी एक्ट जैसे आदिवासियत से जुड़े मुद्दों पर ईसाई-आदिवासी काफी मुखर है़ं सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट में मामला दर्ज कराने के साथ-साथ सड़क पर उतर कर इनके उल्लंघन का भी विरोध जता रहे है़ं जब उनकी आदिवासियत पर सवाल उठाया जाता है, तो कैसा महसूस करते हैं? उत्तर : ईसाई-आदिवासियों की आदिवासियत पर सवाल नहीं उठाया जा सकता़ यह धर्म से जुड़ा विषय नहीं है़ हमें ईश्वर ने आदिवासी बनाया है़ हम यहां के पहले निवासी है़ं अनुसूचित जनजाति नाम तो बाद में मिला़ आदिवासी होकर आदिवासियत की बात कैसे नहीं करेंगे? आदिवासियों को विभाजित करने का प्रयास किया जा रहा है़सवाल : ऐसी बातों के बीच क्या कभी लगता है कि चर्च को अपने शिक्षण संस्थान, अस्पताल, सामाजिक विकास केंद्र आदि बंद कर देने चाहिए?उत्तर : नही़ं हम इन्हें बंद नहीं करेंगे़ यदि झारखंड में मिशन का काम नहीं होता, तो यहां के आदिवासियों की स्थिति बहुत अच्छी नहीं होती़सवाल : चर्च पर प्रलोभन देकर धर्मांतरण के आरोप लगते रहे हैं.उत्तर : आरसी चर्च किसी को प्रलोभन देकर ईसाई नहीं बनाता और यह बात वह इस चर्च के एक प्रमुख अधिकारी होने के नाते दावे के साथ कह सकते है़ं जो भी यीशु को मार्ग, सत्य और जीवन मानता है, वह स्वयं उन्हें स्वीकार करता है़ हमारे शिक्षण संस्थानों में हर धर्म के लोग पढ़ते है़ं लालकृष्ण आडवाणी, अरुण जेटली जैसे लोगों ने भी पढ़ायी की है़ इस तरह की कोई बात सामने नहीं आयी़ हमारे अन्य संस्थानों का लाभ भी सभी को मिलता है़सवाल : अपने कार्यकाल का मूल्यांकन किस तरह करेंगे?उत्तर : मूल्याकंन करना दूसरों का काम है़ मैं बहुत कुछ करना चाहता था, पर कर नहीं पाया हू़ं मेडिकल कॉलेज व अस्पताल का काम पूरा करना एक बड़ा सपना है़

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