ओके…सबे तो अपने हथी, केकरा साथे चलूं

अोके…सबे तो अपने हथी, केकरा साथे चलूं चुनावी चकल्लस हैदरनगर (पलामू).हैदरनगर के जगदंबा कंप्लेक्स के समीप चाय की दुकान में अलग अलग गोल बना कर लोग चाय की चुस्की के साथ पंचायत चुनाव पर चर्चा कर रहे हैं. चर्चा में सभी लीन हैं. एक ने कहा– पंचायतो चुनाव सिर के दर्दे हो गलवा भइया. सबे […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 5, 2015 6:14 PM

अोके…सबे तो अपने हथी, केकरा साथे चलूं चुनावी चकल्लस हैदरनगर (पलामू).हैदरनगर के जगदंबा कंप्लेक्स के समीप चाय की दुकान में अलग अलग गोल बना कर लोग चाय की चुस्की के साथ पंचायत चुनाव पर चर्चा कर रहे हैं. चर्चा में सभी लीन हैं. एक ने कहा– पंचायतो चुनाव सिर के दर्दे हो गलवा भइया. सबे तो अपने हथी. केकरा साथे चलूं. एगो के साथे चायो पियत ही तो दुसरका मुंहे फुला लेवत हवा. दूसरे ने कहा- मारा घरसे बहरी निकले के मन नखवा करइत. केकरा का कहुं. समझे में नखवा आवइत. तब तक तीसरे ने कहा- अबतो सबके चुनाव चिंहो के झुनझुना मिल गलवा. अबता दिन भर दिमाग खराब आउर करतथू. मगर का करेके हवा. कइसहुं बर्दासे ना करेके पडतई. तब तक चौथे ने कहा- देखा पंचायत और इलाका के भलाई चाहइत हा ता आपन और गैर के भेदवा छोडके अइन कंडिडेट के भोट देवा जउन पंचायत आउर इलाका के विकास करे का क्षमता रखा हवा. सभी ने सहमति जताते हुए कहा. इबात तो तू एक लाख के कहला. अबकी बिना लाग लपेट के बढिया प्रत्याशी के चुने ला हवा. ग्रुप में एक व्यक्ति चुप चाप सब सुन रहा था. उसने कहा- इतबे संभव हवा ना जब जात पात, रुपया पैसा से ऊपर उठ के भोट करबा. सभी ने सहमति जताते हुए कहा. हां दू दिन खाय पीये से कुछ न होतई. अबकी सोच- समझ के ही भोट देबई. इतने में सामने की दुकान का शटर उठ जाता है. सभी अपना रास्ता लेकर चलते बनते हैं.

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