बजट के अनुरूप उत्पादन नहीं
बजट के अनुरूप उत्पादन नहींलातेहार जिले में मत्स्य पालन की स्थिति दयनीयदो करोड़ का बजट, उत्पादन 10 फीसदी मत्स्य बिक्री चलंत इकाई बनी शो पीसलातेहार. जिले में मत्स्य पालकों को प्रोत्साहित एवं प्रशिक्षित करने के लिए चालू वित्तीय वर्ष में दो करोड़ रुपये के बजट का प्रावधान किया गया है. राज्य में लातेहार को मत्स्य […]
बजट के अनुरूप उत्पादन नहींलातेहार जिले में मत्स्य पालन की स्थिति दयनीयदो करोड़ का बजट, उत्पादन 10 फीसदी मत्स्य बिक्री चलंत इकाई बनी शो पीसलातेहार. जिले में मत्स्य पालकों को प्रोत्साहित एवं प्रशिक्षित करने के लिए चालू वित्तीय वर्ष में दो करोड़ रुपये के बजट का प्रावधान किया गया है. राज्य में लातेहार को मत्स्य उत्पादक के क्षेत्र में अग्रणी माना जाता है. आंकड़ों में यहां औसतन 10 क्विंटल मछली प्रतिदिन निकाली जाती है. जिले में पांच चलंत मछली बिक्री इकाई है. दो लाख रुपये लागत वाली यह इकाई महज शो पीस बन कर रह गयी है. जिला मुख्यालय में प्रवेश करते ही एक इकाई स्थापित की गयी है. जो पिछले छह माह में एक दिन भी नहीं खुली. विभागीय परिसर में अवस्थित तालाब में कचरा भर गया है. आसपास की दुकानों के कचरे एवं मूर्ति विसर्जन से उक्त तालाब में मछली नहीं के बराबर है. फिर भी विभागीय आंकड़े में उक्त तालाब से औसतन 50 किलोग्राम मछली उत्पादन का दावा किया जाता है. सुनहरे आंकड़ों से सजा यह विभाग सिर्फ कागजों पर ही चल रहा है. वहीं अधिकारियों का कहना है कि मत्स्य पालकों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है और उत्पादन बढ़ेगा.