नहीं हो रही इंजेक्शन की सैंपल जांच

नहीं हो रही इंजेक्शन की सैंपल जांच लैब कर्मी व उपकरणों की कमीऔषधि जांच प्रयोगशाला वरीय संवाददाता, रांचीविभिन्न निजी व सरकारी अस्पतालों सहित खुले बाजार में बिकने वाले इंजेक्शन (सूईं) की जांच झारखंड में नहीं हो रही है. इससे इंजेक्शन में कम गुणवत्ता, अशुद्धता तथा किसी विषाक्त चीज की उपस्थिति का पता नहीं लगाया जा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 4, 2015 6:12 PM

नहीं हो रही इंजेक्शन की सैंपल जांच लैब कर्मी व उपकरणों की कमीऔषधि जांच प्रयोगशाला वरीय संवाददाता, रांचीविभिन्न निजी व सरकारी अस्पतालों सहित खुले बाजार में बिकने वाले इंजेक्शन (सूईं) की जांच झारखंड में नहीं हो रही है. इससे इंजेक्शन में कम गुणवत्ता, अशुद्धता तथा किसी विषाक्त चीज की उपस्थिति का पता नहीं लगाया जा सकता. राज्य अौषधि जांच प्रयोगशाला, नामकुम में उपकरणों सहित माइक्रो बायोलॉजिकल टेस्ट की सुविधा नहीं होने के कारण ऐसा हो रहा है. इसके अलावा हार्डनेस व डिजोल्यूशन टेस्ट भी यहां नहीं हो रहा है. पूरी सुविधा, उपकरणों तथा लैब कर्मी न होने से प्रयोगशाला में अभी प्रतिमाह 50 से अधिक सैंपल की जांच नहीं हो सकती, जबकि 30 से अधिक अौषधि निरीक्षकों को कम से कम सौ से अधिक सैंपलिंग प्रतिमाह करनी चाहिए. इस परिस्थिति में अौषधि निरीक्षकों का भी पूरा इस्तेमाल नहीं हो रहा है. वहीं मरीजों के लिए सुरक्षित व गुणवत्तापूर्ण दवाअों की उपलब्धता सुनिश्चित नहीं हो रही है. 18 के बदले सिर्फ सात : प्रयोगशाला में तकनीकी व गैर तकनीकी संवर्ग के कुल 18 पद स्वीकृत हैं. वहीं इसके विरुद्ध सिर्फ सात लोग कार्यरत हैं. इनमें एक निदेशक सहित तीन कनीय वैज्ञानिक सहायक तथा एक-एक लैब अटेंडेट, रोकड़पाल व कंप्यूटर अॉपरेटर शामिल हैं. आदर्श स्थिति में इस प्रयोगशाला में कुल 78 कर्मी होने चाहिए. सेवा विस्तार की प्रत्याशा में काम प्रयोगशाला की एक लैब सहायक स्नेहा साहू सेवा विस्तार मिलने की प्रत्याशा में काम कर रही है. उसका कार्यकाल सितंबर में ही समाप्त हो गया है. इधर काम के बदले उसे दो माह का वेतन भी नहीं मिला है. दरअसल यह स्थिति अक्सर अाती रहती है, जब लैब कर्मी सेवा विस्तार के लिए काम छोड़ सचिवालय के चक्कर लगाते हैं. तब अौषधि जांच का काम लगभग रुक जाता है.

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