देखने लायक है नेतरहाट की खूबसूरती

बेतला : पलामू प्रमंडल पर्यटन स्थलों का धनी है. एक से बढ़ कर एक खुबसूरत नजारे वाले स्थल हैं, जिनकी खूबसूरती देखने के लिए न केवल पलामू प्रमंडल, बल्कि पूरे देश व विदेशों के भी सैलानी यहां पहुंचते हैं. इनमें कुछ की चर्चा विश्व पटल पर है. वैसे पर्यटन स्थल में बेतला व नेतरहाट का […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 26, 2015 8:01 AM
बेतला : पलामू प्रमंडल पर्यटन स्थलों का धनी है. एक से बढ़ कर एक खुबसूरत नजारे वाले स्थल हैं, जिनकी खूबसूरती देखने के लिए न केवल पलामू प्रमंडल, बल्कि पूरे देश व विदेशों के भी सैलानी यहां पहुंचते हैं. इनमें कुछ की चर्चा विश्व पटल पर है.
वैसे पर्यटन स्थल में बेतला व नेतरहाट का नाम सर्वोपरि है. वर्ष का अंतिम समय चल रहा है. नववर्ष आने वाला है, ऐसे में कई लोग वैसे स्थल पर जाने का प्लान कर रहे होंगे, जहां की यादें सालों भर बनी रहे.
आज की कड़ी में नेतरहाट की चर्चा
झारखंड के ऊंची पहाडड़ियों के बीच नेतरहाट स्थित है, इसे छोटानागपुर की रानी की संज्ञा दी गयी है. यह इलाका अंग्रेजों का भी पसंदीदा था, यही कारण है कि शैले हाउस सहित कई ऐसे इमारत हैं, जो अंग्रेजों के द्वारा निर्मित हैं.
जानकार बताते हैं कि गरमियों में अंग्रेज यहां आकर प्रशासनिक कार्यों को करते थे. नेतरहाट पहुंचने पर ऐसा लगता है कि हम अपने पलामू प्रमंडल में नहीं हैं, यहां का खूबसूरत नजारा दिल को छू जाता है. चारो तरफ घने जंगल व ऊंची-ऊंची पहाड़ियां. गरमी के दिनों में भी ठंड का एहसास.
सालो भर यहां का मौसम सुहावना होता है. यहां की ठंडा, गरमी व बरसात के मौसम का आनंद अन्य जगहों से भिन्न है, यही कारण है कि सालो भर यहां लोग पहुंचते हैं. सबसे महत्वपूर्ण है यहां का सनसेट व सनराइज का दृश्य. सनराइज अर्थात सूर्योदय का दर्शन नेतरहाट से ही होता है. यहां बने विश्रामागार के पास बने आप सनराइज का आनंद ले सकते हैं.
लेकिन यदि सनसेट देखना हो तो यहां से नौ किलोमीटर की दूरी पर जाना होगा. यहां का दृश्य तो और भी रोमांचक है. सूर्य के डुबते दृश्य को देखने के लिए लोग दूर-दूर से यहां पहुंचते हैं. मौसम ठीक होने पर सूर्यास्त का दृश्य भुलाये नहीं भूलता है.
अचानक सूर्य कब पहाड़ियों की ओट में छिप जायेंगे, पता ही नहीं चलता है. सूर्यास्त के समय ऐसा लगता है कि मानो पहाड़ियों की ओट में सूर्य छिप गये हैं. दरअसल ऊंची पहाडियां होने के कारण सूर्य लगता है कि पहाड के नीचे चले गये, यहां के दृश्य को शब्दों में बताना संभव नहीं है. बेहतर होगा कि नेतरहाट जाकर वहां के दृश्य को देखा जाये. इसके साथ नाशपति बागान व शैले हाउस भी कम महत्वपूर्ण नहीं है. यहां पहुंचने वाले सैलानी जरूर इन्हें देखते हैं.
अदभुत प्रेम कहानी का गवाह है नेतरहाट
नेतरहाट प्रकृति का हृदय तो है ही. दो दिलों के मिलन का संगम स्थल भी है. बताया जाता है कि एक अंग्रेज अधिकारी को नेतरहाट बहुत पसंद था, वह सपरिवार वहां रहता था.
उसकी एक सयानी बेटी थी, जिसका नाम मैगनोलिया था. गांव में ही एक चरवाहा था, जो सनसेट प्वाइंट के पास प्रतिदिन दिन अपने मवेशियों को चराने के लिए जाता था. वह बांसुरी खूब सुंदर बजाता था, जिसकी चर्चा आसपास में थी. बांसुरी की मधुर आवाज ने मैगनोलिया के दिल को छू लिया. मन ही मन वह बांसुरी बजाने वाले से प्रेम करने लगी. वह उससे मिलने की दिवानी हो गयी. दोनों एक दूसरे के पास आ गये. मैगनोलिया घर से भाग कर प्रतिदिन सनसेट स्थल के पास चली जाती थी, जहां पर चरवाहा उसे बांसुरी बजा कर सुनाता था.
अंग्रेज अधिकारी को जब इसका पता चला, तो वह आग बबूला हो गया और पहले तो चरवाहा को समझाया, फिर बाद में उसको मरवा दिया. जिसकी सूचना जब मैगनोलिया को मिली, तो उसकी हालत खराब हो गयी. वह घोड़े के साथ सनसेट प्वाइंट के पास पहुंची और घोड़े सहित कूद कर अपनी जान दे दी. आज भी यहां पर वह पत्थर मौजूद है, जिस पर चरवाहा बांसुरी बजाता था. लातेहार जिला प्रशासन द्वारा इस स्थल को खूबसूरत बनाने का प्रयास किया गया है. इस स्थल पर मैगनोलिया व चरवाहे के आदमकद प्रतिमा लगायी गयी है. जो यहां पहुंचने वाले लोगों को बरबस ही इस प्रेम कथा की याद दिलाता है.
कैसे जायें
बेतला- नेतरहाट मार्ग पर नेतरहाट स्थित है. यहां जाने के लिए महुआडांड के बाद नेतरहाट रोड से होकर जाना होता है. नेतरहाट बेतला से 125 किलोमीटर दूर है, जबकि मेदिनीनगर से 150 किलोमीटर, लातेहार से 190 किलोमीटर दूर है.

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