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11 वर्ष बाद हुआ टेंडर पर कार्यादेश नहीं मिला
जल संकट. 2005 में फेज वन का हुआ था उदघाटन लगभग 11 वर्ष हो गये, इंतजार के. इस बीच सूचना यह है कि मेदिनीनगर शहरी जलापूर्ति योजना फेज टू का टेंडर हो गया है. 2005 में फेज वन की योजना का उदघाटन हुआ था. उस वक्त यह कहा गया था कि एक दो वर्ष के […]
जल संकट. 2005 में फेज वन का हुआ था उदघाटन
लगभग 11 वर्ष हो गये, इंतजार के. इस बीच सूचना यह है कि मेदिनीनगर शहरी जलापूर्ति योजना फेज टू का टेंडर हो गया है. 2005 में फेज वन की योजना का उदघाटन हुआ था.
उस वक्त यह कहा गया था कि एक दो वर्ष के अंदर फेज टू का काम भी पूरा हो जायेगा. लेकिन काम पूरा होना तो दूर, विभागीय प्रक्रिया में ही 11 साल लग गये. अब टेंडर फाइनल हो गया है. लेकिन अभी भी वर्क ऑडर का इंतजार है.
प्रतिनिधि, मेदिनीनगर
मेदिनीनगर शहरवासियों को जल संकट से निजात मिले, इसके लिए वृहद शहरी जलापूर्ति योजना बनायी गयी थी. तय किया गया था कि दो फेज में काम होगा. पहले फेज की योजना 2005 में ही पूरी हो गयी. एक मई 2005 को तत्कालीन स्पीकर इंदर सिंह नामधारी ने इसका उदघाटन किया था. उसके बाद फेज टू की योजना के लिए कागजी प्रक्रिया शुरू हुई थी. कहा गया था कि जल्द ही काम पूरा होगा. लेकिन जो स्थिति है, उससे यह साफ हो रहा है कि इस बार गरमी के मौसम में यदि कार्य शुरू हो जाये, तो वही काफी होगा.
पानी मिलना तो दूर की बात है. यह जब योजना बनी थी, तो उस समय यह कहा गया था कि यदि वृहद शहरी जलापूर्ति योजना का काम पूर्ण हो जायेगा, तो आने वाले 50 वर्ष के लिए मेदिनीनगर पानी संकट से मुक्त हो जायेगा.
61 करोड़ की है योजना
शहरी जलापूर्ति योजना फेज टू की योजना 61 करोड़ की है. इसके विरुद्ध नगर विकास विभाग ने प्रथम किस्त के रूप में 12 करोड़ रुपये मेदिनीनगर नगर पर्षद को एक वर्ष पहले उपलब्ध करा दिया है.
उसके बाद 2015 में कार्यकारी एजेंसी पेयजल व स्वच्छता विभाग ने टेंडर भी कराया था, लेकिन तकनीकी कारणों से वह टेंडर रद्द हो गया था. उसके बाद 16 जनवरी 2016 को पुन: टेंडर हुआ है, जो फाइनल हो चुका है. फेज टू की योजना का कार्य एसएमएस पर्यावरण कंपनी को मिला है. लेकिन अभी तक संवेदक को कार्यादेश नहीं मिला है, जिसके कारण कार्य शुरू नहीं हो पा रहा है. इस वर्ष भी गरमी के मौसम में जल संकट शहरवासियों को झेलना पड़ेगा.
कैसे मिलेगी निजात?
स्थिति स्पष्ट है कि फेज टू का काम यदि अगली गरमी तक भी पूरा हो जाये, तो काफी है. ऐसे में यह सवाल उठना स्वभाविक है, तो फिर जल संकट से निजात दिलाने के लिए क्या उपाय हो रहे हैं? कोयल नदी सूखने के कगार पर है. शहर के जो पुराने जलस्रोत हैं, वह डंपिंग यार्ड के रूप में तब्दील है. जलस्तर तेजी से नीचे जा रहा है. पिछले सप्ताह की रिपोर्ट थी कि दो दिन में जलस्तर 10 फीट नीचे चला गया.
मौसम वैज्ञानिक भी कह रहे हैं कि इस बार भीषण गरमी पड़ेगी. ऐसे में लोगों को जल संकट से निजात मिले, इसके लिए अभी तक नगर पर्षद ने कोई प्लानिंग तैयार नहीं की है. नगर पर्षद के कार्यालय से जब इस बारे में जानकारी ली गयी तो कर्मियों ने कहा कि अभी तक इस मामले में कोई बैठक नहीं हुई है. बैठक में ही निर्णय होगा, उसके बाद कार्य होगा. यानी आग लगने के बाद कुआं खोदने की तैयारी.
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