क्षेत्रीय व जनजातीय भाषा के बिना झारखंड में अफसर बनना संभव नहींजेपीएससी नियुक्ति नियमावली में सरकार कर रही है संशोधन, आज कैबिनेट की बैठक में पेश होगा प्रस्ताव विधानसभा समिति की अनुशंसा व सभी दलों से राय लेकर तैयार की गयी नियमावलीसतीश कुमार, रांचीझारखंड में अफसर बनने के लिए क्षेत्रीय और जनजातीय भाषा जानना जरूरी होगा. जेपीएससी की नियुक्ति परीक्षा में राज्य की नौ क्षेत्रीय और जनजातीय भाषाओं को शामिल किया गया है. सरकार ने नियमावली में संशोधन करने का प्रस्ताव तैयार किया है. सूत्रों के अनुसार जेपीएससी नियुक्ति को लेकर तैयार की गयी संशोधित नियमावली को सात अप्रैल को होनेवाली कैबिनेट की बैठक में पेश किया जायेगा. विधानसभा की ओर से गठित उच्च स्तरीय समिति की अनुशंसा और विभिन्न राजनीतिक दलों से राय लेने के बाद इसमें राज्य की नौ क्षेत्रीय और जनजातीय भाषाओं को शामिल करने का फैसला लिया गया है. उच्चस्तरीय समिति की अनुशंसा आने के बाद मुख्यमंत्री रघुवर दास ने पिछले दो-तीन दिनों में विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रमुख नेताओं से बातचीत की. इसमें जेपीएससी और कर्मचारी चयन आयोग के लिए विधानसभा की ओर से गठित उच्चस्तरीय समिति के संयोजक सरयू राय, नगर विकास मंत्री सीपी सिंह, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुखदेव भगत, आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो शामिल हैं. इनके अलावा मुख्यमंत्री ने भाजपा के प्रमुख नेताओं और पदाधिकारियों, भाजपा अनुसूचित जनजाति मोरचा और भाजयुमो के पदाधिकारियों से अलग-अलग बातचीत की.वैकल्पिक विषय के रूप में शामिल होंगी क्षेत्रीय व जनजातीय भाषाएंसंशोधित नियमावली में क्षेत्रीय और जनजातीय भाषाओं को वैकल्पिक विषय के रूप में सम्मिलित करने का प्रस्ताव तैयार किया गया है. इसमें संताली, मुंडारी, खड़िया, हो, कुड़ुख, नागपुरी, कुरमाली, खोरठा और पंचपरगनिया भाषा शामिल हैं. इस विषय में मिलनेवाला अंक मेरिट लिस्ट में शामिल किया जायेगा.कमेटी ने भी की थी अनुशंसाझारखंड लोक सेवा आयोग और कर्मचारी चयन आयोग की ओर से आयोजित की जानेवाली परीक्षा प्रणाली की समीक्षा को लेकर बनी उच्च स्तरीय कमेटी ने एक अप्रैल को मुख्यमंत्री को अपनी अनुशंसा सौंपी थी. इसमें ओएमआर की कॉपी छात्रों को उपलब्ध कराने, मुख्य परीक्षा के आवेदन, उत्तर पुस्तिका तकनीकी कारणों से रद्द न हो, मुख्य परीक्षा में भाषा साहित्य के पेपर टू का अंक बढ़ा कर 200 करने समेत कई अनुशंसा की गयी है. इसमें क्षेत्रीय और जनजातीय भाषाओं को भी शामिल करने की बात कही गयी है. संशोधित नियमावली के तहत होगी छठी जेपीएससी की परीक्षासरकार की ओर से संशोधित नियमावली के तहत छठी जेपीएससी की परीक्षा आयोजित करने को लेकर तैयारी की जा रही है. सरकार का मानना है कि संशोधित नियमावली से झारखंड के लोगों का हक नहीं मारा जायेगा. सूचना है कि संशोधित नियमावली के आने के बाद पूर्व में छठी जेपीएससी के लिए निकाले गये विज्ञापन को रद्द किया जा सकता है.
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क्षेत्रीय व जनजातीय भाषा के बिना झारखंड में अफसर बनना संभव नहीं
क्षेत्रीय व जनजातीय भाषा के बिना झारखंड में अफसर बनना संभव नहींजेपीएससी नियुक्ति नियमावली में सरकार कर रही है संशोधन, आज कैबिनेट की बैठक में पेश होगा प्रस्ताव विधानसभा समिति की अनुशंसा व सभी दलों से राय लेकर तैयार की गयी नियमावलीसतीश कुमार, रांचीझारखंड में अफसर बनने के लिए क्षेत्रीय और जनजातीय भाषा जानना जरूरी […]
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