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आजसू ने स्थानीयता पर सरकार के फैसले पर जताया एतराज, कहा

आजसू ने स्थानीयता पर सरकार के फैसले पर जताया एतराज, कहा मुख्य हेडिंग : अंतिम सर्वे और मैट्रिक का प्रमाण पत्र बराबर नहीं हो सकता, संतुलित नहीं है नीतिमूलवासी या भूमिपुत्र और स्वैच्छिक प्रवासी की हो अलग विवेचनावरीय संवाददाता, रांची कैबिनेट द्वारा परिभाषित स्थानीय नीति पर सरकार की सहयोगी आजसू पार्टी ने एतराज जताया है़ […]

आजसू ने स्थानीयता पर सरकार के फैसले पर जताया एतराज, कहा मुख्य हेडिंग : अंतिम सर्वे और मैट्रिक का प्रमाण पत्र बराबर नहीं हो सकता, संतुलित नहीं है नीतिमूलवासी या भूमिपुत्र और स्वैच्छिक प्रवासी की हो अलग विवेचनावरीय संवाददाता, रांची कैबिनेट द्वारा परिभाषित स्थानीय नीति पर सरकार की सहयोगी आजसू पार्टी ने एतराज जताया है़ आजसू ने कहा है कि कैबिनेट का निर्णय पूर्णत: संतुलित नहीं है़ यह भी कहा कि सरकार ने स्थानीयता तय करने की दिशा में कदम बढ़ाया है, यह साहसिक और सराहनीय कदम है़ पार्टी प्रवक्ता डॉ देवशरण भगत ने कहा है कि पिछले 15 वर्षों से झारखंडी इस नीति की प्रतीक्षा कर रहे थे़ आजसू पार्टी ने शुरुआत से स्थानीयता और नियोजन नीति को लेकर आंदोलन किया और सरकार से संवाद स्थापित किया़ सरकार ने मामले की गंभीरता समझी और इसे लागू किया. सरकार इसके लिए बधाई की पात्र है़ लेकिन स्थानीयता तय करने के लिए कई पहलुओं को देखना होगा़ डॉ भगत का कहना है कि मूलवासी या भूमिपुत्र और स्वैछिक प्रवासी के बीच अंतर करना होगा़ झारखंड के मूलवासी यहां के मौजूदा कानूनों (सीएनटी, एसपीटी एक्ट, विल्किनसन रूल) में वर्णित कास्तकार (जाति एवं जनजाति) पहले से ही चिह्नित है़ं इनको फिर से चिह्नित करने की जरूरत नहीं है़ 1932 का खतियान या अंतिम सर्वे के माध्यम से इनकी स्थानीयता पूर्णत: प्रमाणित है़ दूसरा स्वैच्छिक प्रवासी जो यहां रोजी-रोटी, रोजगार, नौकरी के उद्देश्य से राज्य में निवास कर रहे है़ं दोनों की अलग-अलग व्याख्या करनी होगी़ आजसू नेता ने कहा कि स्थानीयता तय करने के लिए अंतिम सर्वे और मैट्रिक का प्रमाण पत्र बराबर मानक नहीं हो सकता है़ इसमें सुधार करना होगा़ 30 वर्ष की समय सीमा तय करने के लिए अलग-अलग मानक बनाये गये है़ं इसमें कई तरह की त्रुटियों है़ं डॉ भगत ने कहा कि पार्टी लगातार झामुमो सरकार द्वारा हटाये गये क्षेत्रीय तथा जनजातीय भाषाओं को जेपीएससी एवं झारखंड राज्य कर्मचारी चयन आयोग की परीक्षाओं में शामिल करने की जोरदार वकालत करती रही है़ सरकार ने इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए इन भाषाओं को जेपीएससी एवं झारखंड राज्य कर्मचारी चयन आयोग की परीक्षाओं में शामिल किया़ इसके साथ ही जिला रोस्टर बनाने का निर्णय लिया. सरकार के ये कदम प्रशंसनीय है़ं

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