नि:शक्तों के पुनर्वास पर डप्लिोमा करनेवाला भी बन गया शक्षिक
नि:शक्तों के पुनर्वास पर डिप्लोमा करनेवाला भी बन गया शिक्षक कोडरमा में शिक्षक नियुक्ति में गड़बड़ी – जांच समिति ने रिपोर्ट सौंपी – नर्सरी शिक्षक प्रशिक्षण का प्रमाणपत्र मान्य नहीं फिर भी हो गयी बहाली – समिति ने 12 बैठकों के बाद जांच की पूरी, 27 शिक्षकों की नियुक्ति पर लटकी तलवारऐसे कर ली गयी […]
नि:शक्तों के पुनर्वास पर डिप्लोमा करनेवाला भी बन गया शिक्षक कोडरमा में शिक्षक नियुक्ति में गड़बड़ी – जांच समिति ने रिपोर्ट सौंपी – नर्सरी शिक्षक प्रशिक्षण का प्रमाणपत्र मान्य नहीं फिर भी हो गयी बहाली – समिति ने 12 बैठकों के बाद जांच की पूरी, 27 शिक्षकों की नियुक्ति पर लटकी तलवारऐसे कर ली गयी नियुक्ति- इंटर प्रशिक्षित गैर पारा शिक्षक कोटि में बहाल हुए बरकट्टा हजारीबाग के दशरथ मिस्त्री ने शिक्षक प्रशिक्षण प्रमाणपत्र के रूप में नर्सरी शिक्षक प्रशिक्षण का प्रमाण पत्र जमा किया है, जो मान्य नहीं है़-चौपारण हजारीबाग के बृजनंदन साव ने शिक्षक प्रशिक्षण प्रमाण पत्र की जगह पर पीजी डिप्लोमा कम्यूनिटी बेस्ड रिहेबिलेशन आफ पर्सन्स विथ डिसएबीलेटिज डिपार्टमेंट आफ साइकोलॉजी बेंगलुरु यूनिवर्सिटी का पेश किया है. इसे टेट के रूप में मान्यता नहीं दिया जा सकता है़-बाघमारा धनबाद के विनोद कुमार नपित ने नवभारत शिक्षा परिषद एनएसपी से निर्गत टेट प्रमाणपत्र प्रस्तुत किया है, जिसे 20 वर्ष पहले ही यूजीसी ने जाली घोषित किया गया है़-बलराम प्रसाद के इंटर के अंक पत्र की छाया प्रति संदेहास्पद है़ अभी तक मूल प्रति जमा नहीं की गयी है़ प्रतीत हो रहा है कि अंकों में हेराफेरी की गयी है-चास बोकारो की सिपु कुमारी ने पारा शिक्षिका के रूप में चयन साल 2003 में किया गया था, लेकिन इन्होंने नियमित रूप से इंटर की परीक्षा 2005 में उत्तीर्ण की है़रिपोर्ट में इनकी नियुक्ति संदिग्ध- इचाक की आरती कुमारी की नियुक्ति पिछड़ा वर्ग श्रेणी के विधवा कोटि से की गयी़ इन्होंने पति की मृत्यु का प्रमाणपत्र प्रस्तुत किया है, पर पुन: विवाह नहीं करने से संबंधित शपथ पत्र नहीं दिया. इनकी नियुक्ति पारा शिक्षिका के रूप में 2003 में की गयी थी, जबकि इंटर की परीक्षा 2005 में नियमित रूप से पास की. – कुमारी रंजू का पारा शिक्षक के रूप में चयन मार्च 2003 में किया गया, जबकि स्नातक की उपाधि 2004 में प्राप्त की- रेणु कुमारी ने पारा शिक्षिका के रूप में नियुक्ति 28 दिसंबर 2003 से की गयी है, जबकि स्नातक की डिग्री 2004 और बीएड की डिग्री 2011 में नियमित रूप से प्राप्त की. इन्होंने विभाग से अनुमति प्राप्त करने से संबंधित कोई कागजात नहीं दिया.- सुनीता मेहता 23 मई 2003 को पारा शिक्षिका बनी. इन्होंने 2010 में नियमित रूप से विनोबा भावे विश्वविद्यालय से बीएड की डिग्री प्राप्त की. विभाग से अनुमति लेने का कागजात नहीं दिया- निरंजन कुमार यादव की नियुक्ति पारा शिक्षिका के रूप में 11-4-2008 को की गयी. इन्होंने बीएड की डिग्री 2013 में नियमित रूप से प्राप्त की है, लेकिन विभाग से अनुमति प्राप्त करने का कोई कागजात पेश नहीं किया गया है़- संध्या कुमारी सिन्हा का विकलांगता प्रमाणपत्र में ओवरराइटिंग हैप्रतिनिधिकोडरमा बाजार : शिक्षा मंत्री नीरा यादव के गृह जिले कोडरमा में शिक्षक नियुक्ति प्रक्रिया में धांधली बरती गयी है. नियमों को ताक पर रख कर ऐसे संस्स्थान से निर्गत प्रमाणपत्रों के आधार पर बहाली की बात सामने आयी है, जिसे यूजीसी ने फरजी करार दिया है. एक अभ्यर्थी ने तो काउंसेलिंग के दौरान नि:शक्तों के पुर्नवास पर डिप्लोमा करने का प्रमाणपत्र प्रस्तुत किया और उसकी नियुक्ति हो गयी, जबकि यह मान्य नहीं है. नर्सरी शिक्षक प्रशिक्षण के प्रमाणपत्र (मान्य नहीं है) के आधार पर भी नियुक्ति किये जाने का मामला सामने आया है. फरजी तरीके से की गयी नियुक्ति के खुलासे के बाद डीडीसी की अध्यक्षता में बनी जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट डीसी संजीव कुमार बेसरा को सौंप दी है. इसमें कई खुलासे किये गये हैं. जानकारी के अनुसार, रिपोर्ट में 27 शिक्षकों की नियुक्ति को संदिग्ध बताया गया है. डीसी की ओर से इन सभी शिक्षकों को नोटिस भेज कर जवाब मांगने की तैयारी की जा रही है. इसके बाद आगे की कार्रवाई की जायेगी़ नियोजन के लिए आवासीय नहीं, फिर भी हुई बहालीजांच के दौरान पाया गया है कि कई अभ्यर्थियों को आरक्षण का लाभ दिया गया, पर इसके लिए जरूरी नियोजन को लेकर निर्गत आवासीय प्रमाणपत्र नहीं दिया गया. इनमें सुरेश राणा, अरसद आलम, मधु कुमारी, शिखा उपाध्याय, रॉयस राज प्रभा, किरण कुमारी, मंजू कुमारी मंजूषा, सविता कुमारी, सारिका कुमारी शामिल हैं. इन्होंने शैक्षणिक कार्य के लिए जारी आवासीय प्रमाण पत्र लगाया. इसके अलावा शकुंतला कुमारी व नीता तिवारी ने आवासीय एसडीओ कोडरमा के यहां से निर्गत दिखाया तो जरूर है, लेकिन नियोजन का स्थानीय प्रमाणपत्र इनके मूल स्थान से निर्गत नहीं है़अंक बढ़ा कर भी की गयी नियुक्तियांसमिति ने अंक बढ़ा कर नियुक्ति करने का मामला भी पकड़ा है़ चतरा के मो सिकंदर आलम का कुल अंक 50़ 94 है, जबकि इनका वास्तविक अंक 47़ 45 होना चाहिए. इचाक की मीनाक्षी कुमारी का अंक 68़ 20 है, जबकि 58़ 98 होना चाहिए था़ मेघा अंक 56़ 44 है, जबकि 53़ 45 पर ही चयन कर लिया गया़ जांच में यह बात भी सामने आयी कि सुखदेव राम का चयन अनुसूचित जाति कोटि से हुई है़ इनका अंक 57़ 53 अंकित है, जबकि वास्तिवक अंक 52़ 54 होना चाहिए था. अनुसूचित जाति कोटि से चयन का मेघा अंक 54़ 49 है़ इसके बावजूद चयन किया गया़ इसके अलावा श्रीकांत दास का अनुसूचित जाति कोटे से बहाली हुई है, उनका प्राप्तांक 56़ 61 अंकित है, जबकि वास्तविक अंक 54़ 16 है़ महेश राम का भी चयन अनुसूचित जाति कोटे से हुआ है, इनका प्राप्तांक 55़ 53 अंकित है, जबकि वास्तविक अंक 53़ 12 है़ समिति ने इन सभी को चयन मुक्त करने की सिफारिश की है़