सूर्य होते हैं अध्यात्म जगत के सदगुरु

तरहसी : रविवार को तरहसी प्रखंड के सोनपुरा में विहंगम योग के प्रणेता महर्षि सदाफल देव जी महाराज की 129 वीं जयंती हर्षोल्लास के साथ मनायी गयी. इस अवसर पर प्रखंड के विनायका गांव से शोभा यात्रा निकाली गयी. इसमें शामिल लोग अपने हाथो में अ अंकित श्वेत ध्वजा लेकर चल रहे थे और ध्वजा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 13, 2016 7:34 AM

तरहसी : रविवार को तरहसी प्रखंड के सोनपुरा में विहंगम योग के प्रणेता महर्षि सदाफल देव जी महाराज की 129 वीं जयंती हर्षोल्लास के साथ मनायी गयी. इस अवसर पर प्रखंड के विनायका गांव से शोभा यात्रा निकाली गयी. इसमें शामिल लोग अपने हाथो में अ अंकित श्वेत ध्वजा लेकर चल रहे थे और ध्वजा गान गा रहे थे.

कार्यक्रम में तरहसी प्रखंड क्षेत्र के अलावे पांकी प्रखंड क्षेत्र से सैकड़ों की संख्या में भक्तजन व श्रद्धालु शामिल थे. विभिन्न गांवों का भ्रमण करते हुए शोभा यात्रा सोनपुरा मध्य विद्यालय पहुंची. इसके बाद एकल कुंडीय विश्व शांति वैदिक महायज्ञ हुआ. विद्यार्थी सोमेश्वर टाना भगत ने वेद मंत्रोच्चार के साथ हवन यज्ञ सम्पन्न कराया.

इसके बाद सत्संग गोष्ठी शुरू हुआ. जयंती पर लोगों ने सदगुरु देव की तसवीर पर माल्यार्पण किया. मुख्य अतिथि विहंगम योग संत समाज के जिला संयोजक नंदलाल पासवान ने दीप प्रज्वलित कर गोष्ठी का उदघाटन किया. उन्होंने सदगुरु देव के महान व्यक्तित्व व कृतित्व पर विस्तार से प्रकाश डाला . कहा कि सदगुरु परमात्मा के संदेशी दूत व अध्यात्म जगत के सूर्य होते है.

सदगुरु के विमल ज्ञान के प्रकाश से अज्ञानता का अंधकार दूर होता है. महर्षि सदाफल देव जी महाराज ईश्वरीय शक्ति व संदेश को लेकर धराधाम पर अवतरित हुए. वे 17 वर्ष तक कठोर तप किया और ब्रह्मविद्या के ज्ञान को अवतरित किया. सदगुरु देव ने विश्व के मानव के कल्याण के लिए इस दुर्लभ ज्ञान को पूरे भू-मंडल में प्रचार-प्रसार करने का संकल्प लिया. गोष्ठी में वक्ताओं ने कहा कि विहंगम योग ईश्वर प्राप्ति का मार्ग है.

सदगुरु की दया से ही ब्रह्मविद्या का ज्ञान प्राप्त होता है और इस दुखमय संसार से छुटकारा मिलता है. जरूरत है सदगुरु शरण में रह कर ब्रह्मविद्या की साधना, सदगुरु की सेवा व सतसंग नियमित करने की. गोष्ठी में सोमेश्वर टाना भगत, विसुन देव मेहता, बासुदेव विश्वकर्मा, ओमकार पाठक, ह्रदयानंद पाण्डेय, संजय प्रजापति, सुदामा सिंह आदि ने विचार व्यक्त किया. रंजीत सिंह, गीता कुवंर, सावित्री देवी ने भजन प्रस्तुत किया. कार्यक्रम का संचालन अवधेश कुमार ने किया.

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