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फासिस्ट ताकतों को जवाब दें

इप्टा के नेतृत्व में निकला सांस्कृतिक पोस्टर मार्च मेदिनीनगर : विचार जब लुप्त हो जाता है, विचार प्रकट करने में बाधा होती है या किसी के विरोध से भय लगने लगता है, तब तर्क का स्थान हुल्लड़बाजी या गुंडागर्दी ले लेती है. हरिशंकर परसाई के इस कथन को इप्टाकर्मियों अपनी प्रतिरोध का माध्यम बनाया. इप्टा […]

इप्टा के नेतृत्व में निकला सांस्कृतिक पोस्टर मार्च
मेदिनीनगर : विचार जब लुप्त हो जाता है, विचार प्रकट करने में बाधा होती है या किसी के विरोध से भय लगने लगता है, तब तर्क का स्थान हुल्लड़बाजी या गुंडागर्दी ले लेती है. हरिशंकर परसाई के इस कथन को इप्टाकर्मियों अपनी प्रतिरोध का माध्यम बनाया. इप्टा के राष्ट्रीय सम्मलेन में हुए फांसीवादी हमले के खिलाफ शुक्रवार को इप्टा की पलामू इकाई ने सांस्कृतिक पोस्टर मार्च निकाला. पोस्टर में मुक्तिबोध की कविता हमें अभिव्यक्ति के सारे खतरे उठाने होंगे, तोड़ने ही होंगे मठ और गढ़ सब.
कबीर की रचना साधो देखो जग बौराना सरीखे कई कवियों को उद्धत किया गया था, जिसे हाथों में लेकर कलाकार, लेखक और संस्कृतकर्मी सड़क पर निकले. कचहरी परिसर से भगत सिंह चौक तक घूम कर मार्च समाप्त हुआ. इस दौरान सबों ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर बढ़ रहे हमले की निंदा की. महाश्वेता देवी के नाटक द्रौपदी पर लगाये गये प्रतिबंध को वापस लेने की मांग और उदयपुर फिल्म फेस्टिवल को रोकने के प्रयास की भी इप्टा ने घोर भर्त्सना की.
इस सांस्कृतिक मार्च का समापन समाहरणालय परिसर में एक सभा से हुई, जहां बोलते हुए इप्टा के राष्ट्रीय संयुक्त सचिव शैलेंद्र कुमार ने आरएसएस और इसके अनुसांगिक इकाइयों को राष्ट्रवाद का सही मतलब बताया. उन्होंने कहा कि छद्म राष्ट्रवाद और देशभक्ति की खाल ओढ़ कर हाथ में तिरंगा लेकर भारत माता की जय बोलना बहुत ही आसान है. लेकिन जब इसी मां के लाखों करोड़ों बेटों की बदहाली को सुधारना हो, भूख, गरीबी, अज्ञानता को दूर करना की बारी आती है, तो ये देशभक्त कहीं नजर नहीं आते. खुद चिल्लाकर ये बताने की कोशिश करने लगते हैं कि असली देशभक्त वही हैं.
हाल का मंजर भी कुछ ऐसा ही है. तब इप्टा और ऐसी अनेक संस्था व लोग जो सबके लिए एक बेहतर दुनिया के संकल्प के साथ लड़ रहे हैं. उन पर देशद्रोही होने का ठपा लगा दिया जाता है. ऐसे माकूल परिस्थिति में अपनी जनसांस्कृतिक चेतना को विकसित करते हुए, बुद्धि विवेक और तर्क के साथ ऐसी फासिस्ट ताकतों को मुंहतोड़ जवाब दिये जाने की जरूरत है. इसके पूर्व इप्टा के कलाकारों ने जनवादी गीतों की प्रस्तुति की.
कार्यक्रम में इप्टा के राज्य महासचिव उपेंद्र मिश्र, समृद्धि की रोटी अभियान से जुड़ी शीला श्रीवास्तव, प्रो सरिता कुमारी, मासूम आर्ट ग्रुप के सैकत चट्टोपाध्याय, संजीत व उज्जवल, सामजिक कार्यकर्ता आलोक श्रीवास्तव, सतीश कुमार, शत्रुघ्न कुमार शत्रु, अजय भारती, नंदलाल सिंह, गणेश रवि, संजू ठाकुर, रुचिर तिवारी आदि ने अपनी एकजुटता प्रदर्शित की. इसके अलावा इप्टा के बाल कलाकार आशीष, पुरुषोत्तम, यश प्रकाश, अंकित घोष राज्य सचिव प्रेम प्रकाश, राजीव रंजन, शब्बीर अहमद, गौतम दा, अमन चक्र, अनिल सिंह, शशि पांडेय, अजीत ठाकुर, दिनेश, भूपेश, मन्नू, विजेता समेत अन्य लोग कार्यक्रम में मौजूद थे.

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