दीप और आवली शब्द से निर्मित है दिवाली : अवध

मेदिनीनगर : पांकी के निमाचक निवासी सह पूर्वांचल ज्योतिषाचार्यझारखंड प्रदेश के अध्यक्ष पंडित अवध बिहारी मिश्रा ने कहा है कि दीवाली संस्कृत के जोड़े शब्द दीप और आवली से निर्मित है. दीप का अर्थ ज्योति प्रकाश आैर आवली का अर्थ माला है. इसका पूर्ण अर्थ प्रकाश पूंजों की माला होता है. उन्होंने कहा कि पदमपुराण […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 29, 2016 12:16 AM
मेदिनीनगर : पांकी के निमाचक निवासी सह पूर्वांचल ज्योतिषाचार्यझारखंड प्रदेश के अध्यक्ष पंडित अवध बिहारी मिश्रा ने कहा है कि दीवाली संस्कृत के जोड़े शब्द दीप और आवली से निर्मित है.
दीप का अर्थ ज्योति प्रकाश आैर आवली का अर्थ माला है. इसका पूर्ण अर्थ प्रकाश पूंजों की माला होता है. उन्होंने कहा कि पदमपुराण तथा स्कंध पुराण के आलोक में दीपावली चतुर्युगी उत्सव परंपरा है. स्कंध पुराण में यह सूर्य के प्रतीक रूप से वर्णित है. सतयुग में समुद्र मंथन काल में समस्त दिशाओं में प्रकाशित करते हुए क्षीर सागर से मां लक्ष्मी का प्रादुर्भाव हुआ.
सभी महर्षियों ने प्रार्थना की. ब्रह्मादि ने दीपमालिका प्रज्ज्वलित कर इनका अभिनदंन किया. उस समय से ही दीपावली मनायी जा रही है. ज्योतिषाचार्य पंडित श्री मिश्रा ने कहा कि इस वर्ष देश की परंपरागत दीयों को ही जलायें. उन्होंने कहा कि दीपों से उठनेवाले लाै से संपूर्ण रोगों के जनक, जीवाणुओं का नाश होता है. पंडित श्री मिश्रा ने कहा कि घरों में जहां स्वच्छता होती है, वही मां लक्ष्मी का आगमन होता है.

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