जहरीली घास से बचाने की पहल शुरू

बेतला : बेतला पार्क को जहरीली घास से बचाने की कवायद शुरू कर दी गयी है.महाराष्ट्र के घास विशेषज्ञ प्रोफेसर जीडी मुरतकर वन विभाग के पदाधिकारियों के साथ पार्क का भ्रमण किया.उन्होंने जहरीली घासों की पहचान करने के बाद तत्काल उसे हटाने की सलाह दी. निरीक्षण के दौरान पाया गया कि पार्क में पारथेनियम के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 12, 2016 7:09 AM
बेतला : बेतला पार्क को जहरीली घास से बचाने की कवायद शुरू कर दी गयी है.महाराष्ट्र के घास विशेषज्ञ प्रोफेसर जीडी मुरतकर वन विभाग के पदाधिकारियों के साथ पार्क का भ्रमण किया.उन्होंने जहरीली घासों की पहचान करने के बाद तत्काल उसे हटाने की सलाह दी. निरीक्षण के दौरान पाया गया कि पार्क में पारथेनियम के अलावा साइडा रोमबियम,ओसिनेरा आदि जहरीली घास मौजूद है
श्री मुरतकर ने उन सभी घासों की पहचान करने के साथ-साथ पदाधिकारियों को भी इसकी पहचान करने की लक्षण बताये.साथ ही कई उपयोगी घास को बचाने के लिए कई सुझाव भी दिये. बताया कि हेटरोपोगन बाइसन का व डारकेलिडरा ,एनोलेटर चीतल का पसंदीदा घास है.लेकिन ये घास जहरीली घासों के गिरफत में है.इस कारण वैसे घासों का अस्तित्व खतरे में है.इसे बचाने का काम युद्ध स्तर पर किया जाना चाहिए.उन्होंने पत्रकारों को बताया कि भारत के सभी राष्ट्रीय पार्क,सेंचुरी में ऐसा किया जा रहा है.इसी क्रम में झारखंड के बेतला पार्क के दौरे पर है.
बेतला के अलावा पूरे पलामू टाइगर रिजर्व में जहरीली घासों की पहचान कर हटाने का काम किया जा सके.बेतला पार्क एक धरोहर है इसलिए हर छोटी-बडी बातो पर घ्यान रखने की जरूरत है.पार्क में कई जानवर है जो शाकाहारी है.उनके जीवन के लिए घास जरूरी है इसलिए उन्हे बचाना जरूरी है.कई ऐसे घास भी है जो मिट्टी के कटाव को रोकने का काम करते है.
साथ ही जानवरों के आराम करने के लिए गद्दे के रूप मे काम आते है. श्री मुरतकर ने बेतला पार्क परिसर के 30 हेक्टेयर के ग्रास प्लॉट के अलावे पार्क के अंदर के ग्रास प्लॉटों का निरीक्षण किया.मौके पर डीएफओ महालिंगम, एसीएफ एसपी खेस , रेंजर नथुनी, रामनाथ राम सहित कई पदाधिकारी मौजूद थे.

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