डीसी ने किया प्रोसेसिंग यूनिट का उदघाटन
मेदिनीनगर/लेस्लीगंज : पलामू के पलाश के फूल पेड़ से गिरकर मिट्टी में अब यूं ही बर्बाद नहीं होंगे. बल्कि इन फूलों से अब हर्बल गुलाल बनेगा. जानकारों ने जो रिपोर्ट दी है उसके मुताबिक फूल से गुलाल बनाने की जो प्रक्रिया है उसमें कोई साइड इफेक्ट नहीं है. बल्कि इससे उड़ने वाले डस्ट भी स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद है. यह पूरी तरह से नेचुरल है. बुधवार को लेस्लीगंज के कुंदरी के लाह बगान में स्थापित प्रोसेसिंग यूनिट का उदघाटन हुआ. इसका उदघाटन पलामू के उपायुक्त अमित कुमार, झालको के प्रबंध निदेशक रामपुकार सिंह व डीएफओ नरेशचंद्र सिंह मुंडा ने संयुक्त रूप से किया. इस यूनिट का संचालन ऋद्धि सिद्धि प्राथमिक लाह उत्पादक सहयोग समिति कुंदरी द्वारा किया जायेगा.
उपायुक्त श्री कुमार के पहल पर इसकी शुरुआत हुई है. कुंदरी लाह बगान फिर से पुरानी प्रसिद्धि पाये, इसे लेकर उपायुक्तअमित कुमार की अध्यक्षता में बैठक हुई थी. जिसमें यह तय हुआ था कि इसे विकसित करने के लिए कार्य किया जायेगा. साथ ही पलाश के फूलों से गुलाल बनाया जायेगा. इससे जहां लोगों को रोजगार मिलेगा, वहीं पलामू की पहचान पलाश की भी राज्य स्तर परवबाहर भी एक अलग पहचान बनेगी. इसे लेकर गांव स्तर पर सखी मंडल का गठन किया गया है. सखी मंडल से जुड़ी महिलाओं को फूल से गुलाल बनाने की विधि के बारे में जानकारी दी गयी है. उसके बाद प्रोसेसिंग शुरू किया गया है. प्रथम चरण में इस प्रोसेसिंग प्लांट से पांच क्विंटल गुलाल निकलेगा. मौके पर बीडीओ रवींद्र कुमार, समिति के सचिव कमलेश सिंह, रेंजर विनोद विश्वकर्मा सहित कई लोग मौजूद थे.
क्या है कुंदरी लाह बगान की खासियत?
पलामू के लेस्लीगंज प्रखंड के कुदरी में स्थित लाह बगान न सिर्फ भारत में बल्कि एशिया महादेश में दूसरा सबसे बड़ा बगान है. यह करीब 421 एकड़ में फैला हुआ है. इस बगान में करीब 60 हजार पलाश के पेड़ हैं. उपायुक्त अमित कुमार ने बताया कि पलाश के सूखे हुए फूल की खरीदारी की जायेगी. प्रतिकिलोआठ रुपये की दर से प्रोसेसिंग प्लांट को संचालित करने वाली समिति के द्वारा इसकी खरीददारी की जायेगी. बताया गया कि प्रति किलो फूल पर 900 ग्राम गुलाल बनेगा. साथ ही इससे आने वाले दिनों में अगरबत्ती का भी निर्माण किया जायेगा, जिससे आपका घर-आंगन महकेगा. उपायुक्तअमितकुमार ने बताया कि न सिर्फ पलामू बल्कि आसपास के इलाकों में जहां भी पलाश के फूल होते हैं, वहां से सूखे हुए फूल की खरीदारी की जायेगी. अगले मार्च तक 100 क्विंटल हर्बल गुलाल बनाने का लक्ष्य रखा गया है.
आगे क्या?
झालको के प्रबंध निदेशक रामपुकार सिंह ने बताया कि पलाश के फूल में कई औषधीय गुण होते हैं. फिलहाल इन फूलों से सिर्फ गुलाल ही तैयार किया जायेगा लेकिन बाद में इससे औषधि भी तैयार की जायेगी. इसे लेकर भी कार्य योजना तैयार की गयी है. एक अनुमान के मुताबिक पलामू में पलाश के करोड़ों पेड़ हैं. इनका बेहतर उपयोग हो इसे लेकर कार्य योजना बनायी जा रही है.
आईएपी के ब्याज की राशि से होंगे कार्य
कुंदरी लाह बगान में इंटीग्रेटेड एक्शन प्लान के तहत 33 लाख की योजना स्वीकृत की गयी है. इसके तहत लाह बगान में स्थित तालाब का जीर्णोद्धार होगा. उपायुक्त अमित कुमार ने बताया कि इंटीग्रेटेड एक्शन प्लान के तहत उपलब्ध राशि से जो ब्याज की राशि प्राप्त हुई थी उसी से इन योजनाओं को मंजूरी दी गयी है.