Azadi Ka Amrit Mahotsav : झारखंड के पलामू के स्वतंत्रता सेनानी भागवत पांडेय से क्यों डर गए थे अंग्रेज

Azadi Ka Amrit Mahotsav : जंग-ए-आजादी में अंग्रेजों के खिलाफ पूरा झारखंड उबल रहा था. इसमें पलामू जिले का हुसैनाबाद भी पीछे नहीं था. भागवत पांडेय से अंग्रेज इतने भयभीत हो गए थे कि सालभर के अंदर तीन जेलों में उन्हें स्थानांतरित किया गया था. राष्ट्रद्रोह के मामले में उन्हें एक साल की सजा मिली थी.

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 15, 2022 5:41 PM
an image

Azadi Ka Amrit Mahotsav : जंग-ए-आजादी में अंग्रेजों के खिलाफ पूरा झारखंड उबल रहा था. इसमें पलामू जिले का हुसैनाबाद भी पीछे नहीं था. वर्तमान हुसैनाबाद अनुमंडल में आजादी के दीवानों ने 11 अगस्त 1942 को संचार व्यवस्था को पूरी तरह ठप कर दिया था. जपला और हैदरनगर में रेल की पटरियां उखाड़ दी गई थीं. टेलीफोन के तार काट दिए गये थे. जपला डाकघर में तोड़-फोड़ की गई थी. जगह-जगह पेड़ काटकर रोड जाम कर दिया गया था. असहयोग आंदोलन में भागवत पांडेय की महती भूमिका के बाद 1922 में ब्रिटिश सरकार ने राष्ट्रद्रोह के मामले में उन्हें एक साल की सजा सुनायी. अंग्रेज इतने भयभीत हो गए थे कि सालभर के अंदर तीन जेलों में उन्हें स्थानांतरित किया गया था.

गांधी जी के विचारों से थे प्रेरित

साहित्यकार व सोन घाटी पुरातत्व परिषद के अध्यक्ष अंगद किशोर बताते हैं कि बचपन से ही अंग्रेजों के खिलाफ विष वमन करने वाले तथा क्रांतिकारी विचारों से ओतप्रोत भागवत पांडेय ने गांधी जी के विचारों से प्रेरित होकर जनमानस को आजादी के लिए प्रेरित करना प्रारंभ कर दिया था. उन्हीं के प्रयास के फलस्वरूप 1920 में हुसैनाबाद में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का गठन हुआ था. सर्वसम्मति से उन्हें सचिव बनाया गया था. उस समय महात्मा गांधी के नेतृत्व में अंग्रेज सरकार के खिलाफ असहयोग आंदोलन के तहत हड़ताल, विदेशी सामानों का बहिष्कार, जागरूकता सभा समेत कई अन्य आयोजन जारी थे. अंग्रेजों के खिलाफ आज़ादी की लड़ाई को तेज करने के लिए भागवत पांडेय ने सचिव बनते ही भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के झंडे के बैनर तले अपनी सक्रियता तेज कर दी और डॉ राजेंद्र प्रसाद का कार्यक्रम जपला में तय कर दिया.

Also Read: Azadi ka Amrit Mahotsav: रांची के स्वतंत्रता सेनानी गोवर्धन राम की अंग्रेजों ने की थी कोड़े से पिटाई

डॉ राजेंद्र प्रसाद ने अंग्रेजों के खिलाफ दिया ओजस्वी भाषण

डॉ राजेंद्र प्रसाद ने अंग्रेजों के खिलाफ और कांग्रेस की भूमिका पर ओजस्वी भाषण दिया. उसके बाद भागवत पांडेय ने अंग्रेजी सरकार के खिलाफ पूरे पलामू जिले में मुहिम तेज कर दी. 1920 में कलकत्ता में आयोजित कांग्रेस के अधिवेशन में रामधनी चेरो सहित कुछ देशभक्तों को लेकर भागवत पांडेय महात्मा गांधी से मिलने गए थे. गांधी जी ने उन सबको अंग्रेजों से आजादी के लिए केवल एक पंक्ति का उत्तर दिया, कपास बोओ,चरखा चलाओ, कपड़ा बुनो, छोटानागपुर आजाद हो जाएगा. असहयोग आंदोलन में महती भूमिका के फलस्वरूप 1922 में अंग्रेज सरकार ने राष्ट्रद्रोह के मामले में उन्हें कैद कर दिया. एक साल की सजा हुई. अंग्रेज सरकार उनसे इतनी सहमी हुई थी कि सालभर के अंदर तीन जेलों में स्थानांतरित किया. वे एक माह डाल्टनगंज, साढ़े पांच माह गया तथा साढ़े पांच माह भागलपुर जेल में रहे.

Also Read: Independence Day 2022 : स्वतंत्रता दिवस पर झारखंड में आजादी का जश्न, शान से फहरा तिरंगा, देखिए PHOTOS

Posted By : Guru Swarup Mishra

Exit mobile version