असलियत खंगालने पांच साल में दूसरी बार बकोरिया पहुंची सीबीआइ, जानें पूरा मामला
सीबीआइ सतबरवा थाना क्षेत्र स्थित बकोरिया गांव पहुंच कर मुठभेड़ कांड की पड़ताल की.
सतबरवा (पलामू). पांच साल में दूसरी बार सीबीआइ (विशेष अपराध शाखा) की टीम पलामू के सतबरवा थाना क्षेत्र स्थित बकोरिया गांव पहुंच कर मंगलवार को मुठभेड़ कांड की गहराई से पड़ताल की. सीबीआइ अधिकारी 45 मिनट तक घटनास्थल पर रुके. टीम में सीबीआइ एसपी तथा डीएसपी स्तर के आठ अधिकारी थे. टीम घटनास्थल से मिट्टी के साथ भलवाही गांव की घाटी की पुलिया के समीप से जामुन के पेड़ की छाल भी अपने साथ ले गयी है.
घटना में प्रयुक्त स्कॉर्पियो, जो सतबरवा थाना परिसर में खड़ी है, उसे भी टीम ने देखा. हालांकि टीम के सदस्यों ने कुछ भी बताने से इनकार किया. मुठभेड़ में मारे गये पारा टीचर उदय यादव के पिता जवाहर यादव तथा नीरज यादव के भाई संतोष यादव से भी पूछताछ की गयी. मौके पर सतबरवा थाना प्रभारी राजदेव प्रसाद, एसआइ करमपाल व अन्य मौजूद थे.
पहले भी सीबीआइ कर चुकी है जांच:
इसके पूर्व भी फरवरी 2019 में सीबीआइ की टीम बकोरिया गांव गयी थी. उस समय टीम के सदस्यों ने घटनास्थल पर पहुंच कर नाट्य रूपांतर कर हर पहलू को समझने की कोशिश की थी, ताकि सत्यता सामने आ सके.
8 जून 2015 को हुई थी घटना:
8 जून 2015 को सतबरवा थाना क्षेत्र (तब ओपी क्षेत्र )के बकोरिया गांव में हुई मुठभेड़ को लेकर पुलिस ने दावा किया था कि पुलिस और नक्सली मुठभेड़ में 12 उग्रवादी मारे गये हैं. जिसके बाद तत्कालीन डीजीपी ने तत्कालीन एसपी सहित पुलिसकर्मियों को पुरस्कृत भी किया गया था. उस समय मारे गये कथित उग्रवादियों में पांच नाबालिग भी शामिल थे.
मृतकों के परिजन मुठभेड़ को फर्जी करार देते हुए निष्पक्ष जांच की मांग को लेकर हाइकोर्ट गये थे. इसके बाद हाइकोर्ट के आदेश के आलोक में सीआइडी जांच हुई थी. सीआइडी टीम ने जांच के बाद हाइकोर्ट में शपथ पत्र दायर किया था. परिजनों ने फिर से जांच पर सवाल उठाकर सीबीआइ से जांच कराने की मांग की थी. इसके बाद 22 अक्तूबर 2018 को हाइकोर्ट ने सीबीआइ से जांच कराने का आदेश दिया था.
Posted by : sameer oraon