नौ माह में 71 हजार करोड़ खर्च करना राज्य सरकार के लिए चुनौती
पूर्व मंत्री राधाकृष्ण किशोर की प्रेस कांफ्रेंस
मेदिनीनगर. पूर्व मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने कहा कि राज्य सरकार वित्तीय वर्ष के प्रथम तीन माह में 20 हजार करोड़ रुपये के विरुद्ध मात्र 8,741 करोड़ रुपये ही खर्च कर पायी. वर्तमान वित्तीय वर्ष 2024-25 में योजनाओं पर 79,782 करोड़ रुपये खर्च करने का लक्ष्य निर्धारित है. जबकि वित्तीय वर्ष का तीन माह समाप्त हो चुका है. एक अप्रैल से 30 जून 2024 तक तीन माह में मात्र 8,741 करोड़ रुपये ही खर्च हुए हैं, जो कुल लक्ष्य का लगभग 11 प्रतिशत है. एक जुलाई से 31 मार्च 2025 तक नौ माह में लगभग 71 हजार करोड़ रुपये खर्च कर पाना झारखंड सरकार के लिए बहुत बड़ी चुनौती है. पूर्व मंत्री श्री किशोर रविवार को नयी मुहल्ला स्थित अपने आवास पर प्रेस कांफ्रेंस में बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि वर्ष 2024-25 के राजस्व संग्रहण के लिए निर्धारित 1,28,900 करोड़ के विरुद्ध मई 2024 तक झारखंड सरकार के पास 11,448 करोड़ रुपये राजस्व की प्राप्ति हो चुकी थी. इसके बाद भी राज्य सरकार की मिशनरी 30 जून 2024 तक 2707 करोड़ खर्च करने में असमर्थ रही. उन्होंने कहा कि संपूर्ण झारखंड राज्य विगत तीन वर्षो से सुखाड़ का दंश झेल रहा है. झारखंड की अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए कृषि, पशुपालन, दुग्ध उत्पादन, मत्स्य पालन, ग्रामीण विकास, शिक्षा, पेयजल एवं स्वास्थ्य विभाग की महत्वपूर्ण भूमिका होती है. वर्ष 2024-25 में समग्र कृषि, ग्रामीण विकास, शिक्षा, पेयजल एवं स्वास्थ्य विभाग के लिए योजना मद में निर्धारित राशि के विरुद्ध तीन माह में हुए खर्च की स्थिति अत्यंत ही चिंताजनक है. वर्ष 2024-25 के लिए समग्र कृषि की योजनाओं के लिए चार हजार करोड़ के विरुद्ध 56 करोड़, ग्रामीण विकास विभाग के लिए निर्धारित 11 हजार करोड़ के विरुद्ध 1800 करोड़, स्कूली शिक्षा के लिए निर्धारित 6,271 करोड़ के विरुद्ध मात्र दो करोड़, पेयजल के लिए निर्धारित 4500 करोड़ के विरुद्ध मात्र 167 करोड़, स्वास्थ्य विभाग के लिए निर्धारित 5500 करोड़ के विरुद्ध मात्र 81 करोड़ खर्च किये गये एवं नगर विकास के लिए निर्धारित 3200 करोड़ के विरुद्ध लगभग 95 करोड़ रुपये ही खर्च किये गये हैं. श्री किशोर ने कहा का प्रत्येक पांचवें वर्ष में झारखंड में लोकसभा व विधानसभा का चुनाव होता है. दोनों चुनाव में आचार संहिता लागू होने के कारण करीब चार महीने तक नयी योजनाओं के क्रियान्वयन पर निषेधाज्ञा लागू रहती है. राज्य सरकार के लिए आठ माह में योजना बजट की राशि खर्च करना एक अत्यंत कठिन कार्य है. चुनावी वर्ष में योजना बजट की अधिक से अधिक राशि खर्च की जा सके, इसके लिए सशक्त नीति तैयार करने की आवश्यकता है. मौके पर राजकमल तिवारी, राकेश दुबे, लक्ष्मण दुबे सहित कई लोग मौजूद थे.
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