एससी-एसटी केस से झारखंड के पूर्व मंत्री भानु प्रताप शाही को कोर्ट ने किया बरी
न्यायालय ने इस मामले में भानु प्रताप शाही के अलावा तीन अन्य आरोपियों को भी बरी करने का आदेश दिया. सुनवाई के दौरान भानु प्रताप शाही अपने अधिवक्ता एसएसपी देव, राकेश प्रताप देव एवं प्रयाग कुमार साहू के साथ उपस्थित हुए.
पलामू के मेदिनीनगर में जिला जज नंबर (2) विनोद कुमार सिंह की अदालत ने एसटी एससी के एक लंबित मामले में पूर्व मंत्री सह भवनाथपुर के वर्तमान विधायक भानु प्रताप शाही को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया. न्यायालय ने इस मामले में भानु प्रताप शाही के अलावा तीन अन्य आरोपियों को भी बरी करने का आदेश पारित किया. सुनवाई के दौरान भानु प्रताप शाही अपने अधिवक्ता एसएसपी देव, राकेश प्रताप देव एवं प्रयाग कुमार साहू के साथ उपस्थित हुए. इस संबंध में अधिवक्ता एसएसपी देव ने बताया कि एसटी-एससी के मामले सहित 27 आर्म्स एक्ट का मामला भी इस मुकदमे में शामिल था.
क्या है पूरा मामला
मामले के संबंध में मेराल थाना में तत्कालीन सहायक प्रखंड पदाधिकारी (बी.सी.ई.ओ.) रमना प्रखंड के विश्वनाथ राम के द्वारा 12 अगस्त 2006 को समय 6:30 घटना के संबंध में प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी. दर्ज प्राथमिकी में आरोप लगाया गया था कि सूचक रमना बस स्टैंड के पास खड़ा था. उसी बीच कुछ व्यक्ति यह सूचना लेकर आए कि विधायक महोदय उन्हें याद किए हैं. सूचक का कहना है कि उसने अगंतुक से कहा कि वह थोड़ी देर में आते हैं, क्योंकि अभी कार्यालय के काम से निकले हैं. सूचक का यह आरोप है कि उपस्थित लोगों के द्वारा यह कहा गया कि आप यहीं रहिए, विधायक महोदय आ रहे हैं.
सूचक का यह भी आरोप है कि उसके कुछ मिनट के बाद ही विधायक महोदय एक गाड़ी से चार-पांच लोगों के साथ वहां आये और जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल करते हुए कहा कि वह उनके आदमी का काम क्यों नहीं कर रहे हैं. आरोप है कि इसी बात को लेकर तू-तू मैं-मैं एवं हाथापाई की गई और एक सादे कागज पर हस्ताक्षर करवाये जाने का आरोप सूचक के द्वारा लगाया गया. साथ ही पिस्तौल की बट से मारकर जख्मी करने का आरोपी सूचक के द्वारा लगाया गया था. मामले में सुनवाई करते हुए न्यायालय ने साक्ष्य के अभाव में आरोप से बरी करने का आदेश दिया है.
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