पलामू में ‘गुरु के लंगर’ में भक्तों की उमड़ी भीड़, झारखंड के पहले स्पीकर इंदर सिंह नामधारी ने कही ये बात

पलामू के नामधारी गुरुद्वारा में 480 घंटे का गुरु ग्रंथ साहिब का अखंड पाठ का आयोजन हुआ. इस दौरान गुरु के लंगर में भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी. बता दें कि नामधारी पंथ के स्थापना करने वाले श्री सतगुरु राम सिंह के जन्मदिन के अवसर पर इसका आयोजन किया जाता है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 29, 2023 9:08 PM
an image

पलामू, सैकत चटर्जी : पलामू के प्रमंडलीय मुख्यालय मेदिनीनगर के बेलवाटिका स्थित नामधारी गुरुद्वारा में गुरु ग्रंथ साहिब का अखंड पाठ रविवार को संपन्न हुआ. इस अवसर पर गुरु के लंगर का आयोजन किया गया. जिसमें भक्तों की काफी भीड़ उमड़ी. पिछले 480 घंटे से चल रहे इस अखंड पाठ के समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में झारखंड के पहले विधानसभा अध्यक्ष इंदर सिंह नामधारी मौजूद थे. उन्होंने कहा कि नामधारी पंथ में गुरु ग्रंथ साहिब का अखंड पाठ का महत्व है. नामधारी पंथ के स्थापना करने वाले श्री सतगुरु राम सिंह के जन्मदिन के अवसर पर इसका आयोजन किया जाता है. शहर के नामधारी गुरुद्वारा में इस तरह का आयोजन का होना प्रसन्नता की बात है. उन्होंने कहा कि चाहे वो कोई भी धर्म हो उसका अंतिम सत्य शांति और प्रेम ही होता है. आज के दौर में जब पूरे विश्व में शांति और प्रेम की कमी हो रही है तब धर्म के मार्ग पर चलते रहना इसकी पुनर्स्थापना की जरूरत है.

1960 से चल रही है यह परंपरा

अखंड पाठ के मुख्य आयोजककर्ता समाजसेवी सोनू सिंह नामधारी कहते हैं कि इस तरह का आयोजन पलामू में सबसे पहले 1960 में योध सिंह नामधारी ( अब स्वर्गीय) द्वारा कराया गया था. उस समय उनके निवास पर ही इस आयोजन की शुरुआत हुई थी. बाद में 1964 में नामधारी गुरुद्वारा के स्थापना के बाद उस आयोजन को यहां किया जाने लगा. अखंड पाठ के आयोजन को जारी रखने में स्वर्गीय योध सिंह नामधारी के पुत्र कृपाल सिंह नामधारी का भी काफी योगदान रहा. बाद में इनके परिवार के सदस्यों द्वारा इसका आयोजन हर साल किया जाता रहा है.

पंजाब के अलग-अलग जगहों से पलामू पहुंचे जत्थेदार

श्री नामधारी ने बताया की इस बार अखंड पाठ करने पंजाब के अलग-अलग स्थानों से 20 जत्थेदारों का दल आया है. इस जत्थेदार दल की अगुवाई सुवरतन सिंह जी कर रहे है. जबकि रागी के रूप में संत अवतार सिंह जी ने अपना योगदान दिया है. उन्होंने बताया की स्वर्गीय योध सिंह नामधारी व उनके पुत्र स्वर्गीय कृपाल सिंह नामधारी के द्वारा चलाया गया इस परंपरा को यहाँ के सभी नामधारी परिवारों के सहयोग से जारी रखा गया है.

Also Read: रामगढ़ उपचुनाव से पूर्व छिन्नमस्तिके मां की शरण में BJP प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश, कहा- पार्टी है तैयार

बहुत ही कठिन है 480 घंटे तक लगातार चलने वाला यह पाठ

जानकारों की माने, तो गुरु ग्रंथ साहिब का अखंड पाठ बहुत ही कठिन होता है. एक पाठ परिक्रमा पूरी होने में 48 घंटे का समय लगता है. अलग-अलग स्थानों में अलग-अलग पाठ परिक्रमा की जाती है. मेदिनीनगर के नामधारी गुरुद्वारा में 10 पाठ परिक्रमा का आयोजन किया गया जिसे पूरा होने में कुल 480 घंटे लगे. लगातार चलने वाले इस अखंड पाठ में एक जत्थेदार दो घंटे तक पाठ करता है. उनके साथ एक पहरेदार एवं एक रौशनदार रहते हैं जिनका काम जहां पाठ की जा रही है. उस स्थान में किसी का प्रवेश न हो और दिया रोशन रहे, बुझने न पाए, इसका ख्याल रखना होता है. यह क्रम बारी-बारी से बदलते रहता है.

अखंड पाठ के बाद लंगर का आयोजन किया गया

480 घंटे के अखंड पाठ के बाद रोज की पूजन कार्यक्रम किया गया. इसके बाद गुरुद्वारा परिसर में गुरु का लंगर का आयोजन किया गया. इस लंगर में शहर के सभी धर्म एवं समुदाय के लोगों ने भाग लिया. नामधारी परिवार की महिलाएं भी इस लंगर में आए भक्तों का सेवा किया. नामधारी गुरुद्वारा में हर साल आयोजित होने वाले इस लंगर का काफी महत्व है. इसके प्रसाद पाने के लिए काफी भीड़ उमड़ती है.

लंगर के आयोजन में इनका रहा योगदान

अखंड पाठ के समापन के बाद आयोजित गुरु के लंगर कार्यक्रम को सफल बनाने में प्रेम सिंह नामधारी, गुरुशरण सिंह नामधारी, सतबन्त सिंह नामधारी, मंगल सिंह नामधारी, श्यामजी सिंह नामधारी, साहेब सिंह नामधारी आदि का सराहनीय योगदान रहा.

Also Read: Jharkhand News: बाबा बैद्यनाथ की शरण में बाबा रामदेव, बोले- सनातन धर्म और योग से भारत को बनाएंगे विश्व गुरु

Exit mobile version