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काशीसोत डैम में इको – टूरिज्म की संभावना को लेकर डीएफओ को सौंपी रिपोर्ट

वन क्षेत्र मोहम्मदगंज सीमा में स्थित व पलामू जिला का बहुचर्चित काशीसोत डैम में इको टूरिज्म की संभावनाओं को धरातल पर लाने की वन विभाग ने पहल शुरू की है.

मोहम्मदगंज. वन क्षेत्र मोहम्मदगंज सीमा में स्थित व पलामू जिला का बहुचर्चित काशीसोत डैम में इको टूरिज्म की संभावनाओं को धरातल पर लाने की वन विभाग ने पहल शुरू की है. काशीसोत डैम व परिसर की वीडियोग्राफी विभाग के उच्च अधिकारियों को भेजी है. करीब 56 सेकेंड की वीडियोग्राफी में डैम के हर पहलू को चिह्नित कर टूरिज्म की संभावनाओं को जमीन पर उतारने की प्रक्रिया में विभाग लगा है. जिला के डीएफओ ने इस संबंध में रेंजर से रिपोर्ट मांगी थी. उनके आदेश के बाद मोहम्मदगंज के प्रभारी रेंजर ने डीएफओ को स्थल की वीडियोग्राफी उपलब्ध करा काशीसोत डैम व इसके परिसर में इको टूरिज्म को बढ़ावा देने की बात कही है. चूंकि काशीसोत डैम वन विभाग की जमीन में है. इस के कारण यहां पर्यटकों के लिए वन विभाग से निर्माण में होनेवाली संभावित राशि उपलब्ध कराना आसान व सुनिश्चित होगा. विभाग के इस निर्णय से काशीसोत डैम की अलग पहचान बनेगी. छह वर्ग मील में फैले डैम की खूबसूरती देखने लायक है. लोगों ने बताया कि इस डैम में हाथी डूबने तक पानी हमेशा रहता है. इस कारण इस डैम के समीप हाथीदाहा गांव भी है. प्रभात खबर के द्वारा काशीसोत डैम को पर्यटन स्थल के रूप में बढ़ावा देने की संभावनाओं को खबर प्रकाशित की गयी थी, जिसके बाद डीएफओ ने रेंजर से रिपोर्ट मांगी थी. अब यहां सैलानियों के स्वागत के लिए विकास कार्य पूरा होने की उम्मीद जगी है. जिससे पलामू जिला की टूरिज्म के क्षेत्र में भी अलग पहचान बनेगी.

नौका विहार को प्राथमिकता देना है : रेंजर

मोहम्मदगंज वन विभाग वृहद वन क्षेत्र है. यहा रेंजर की स्थायी पदस्थापना समेत कुल 11 वन रक्षी के पद सृजित हैं. इस वन क्षेत्र को विभाग की सूची में वृष्टि क्षेत्र बताया जाता है. जहां कई जलाशय प्राकृतिक रूप से देखे जाते हैं. मगर करीब बीस वर्षों से रेंजर की स्थायी पदस्थापना नहीं हुई है. वनरक्षी मात्र अभी चार बताये गये हैं. रेंजर प्रभार में हैं. प्रभारी रेंजर भवनाथपुर, छतरपुर व मोहम्मदगंज के प्रभार व नगर उंटारी के स्थायी प्रभार में हैं. इधर, रेंजर प्रमोद कुमार ने बताया की काशीसोत डैम में इको टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए पलामू डीएफओ ने इस स्थल को गंभीरता से लिया है. उनके आदेश में इस स्थल की वीडियोग्राफी व अन्य रिपोर्ट सुपुर्द किया गया है. जिसमें प्राथमिकता डैम के जलाशय में बोटिंग की है. सैलानियों को आकर्षित करने के लिए पार्क का भी निर्माण प्रस्तावित है. ग्रामीणों का कहना है कि चारों तरफ से पहाड़ों से घिरे इस डैम परिसर में जैविक उद्यान की भी संभावना है. कई प्रकार के पक्षी जो यहां के पहाड़ों से उतर डैम में आते हैं. साथ ही राष्ट्रीय पक्षी मोर हमेशा देखे जाते हैं. उद्यान निर्मित कर उन्हें संरक्षित करने से यहां आने वाले सैलानियों के लिए विशेष आकर्षण का विषय होगा.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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