बेतला नेशनल पार्क में हथिनी की हुई मौत, जांच में जुटा विभाग
Jharkhand news, Latehar news : पलामू टाइगर रिजर्व के बेतला नेशनल पार्क में एक युवा हथिनी (उम्र 15 वर्ष) की मौत हो गयी. मौत के कारणों का अभी तक खुलासा नहीं हो सका है. रेंजर प्रेम प्रसाद के अनुसार, तड़के 3:30 बजे हाथियों के चिग्घाड़ने की आवाज सुनाई देने के बाद वन कर्मी जब घटनास्थल पर पहुंचे, लेकिन उस समय अंधेरा होने के कारण जंगल में कुछ दिखाई नहीं पडा़. सुबह 5:30 बजे देखा गया कि पलामू किला बीट के मुड़ कटी जंगल में मुख्य सड़क किनारे हथिनी का शव पड़ा हुआ है. इसके बाद पूरे क्षेत्र को सील कर दिया और मौत के कारणों की पड़ताल शुरू कर दी गयी.
Jharkhand news, Latehar news : बेतला (संतोष) : पलामू टाइगर रिजर्व के बेतला नेशनल पार्क में एक युवा हथिनी (उम्र 15 वर्ष) की मौत हो गयी. मौत के कारणों का अभी तक खुलासा नहीं हो सका है. रेंजर प्रेम प्रसाद के अनुसार, तड़के 3:30 बजे हाथियों के चिग्घाड़ने की आवाज सुनाई देने के बाद वन कर्मी जब घटनास्थल पर पहुंचे, लेकिन उस समय अंधेरा होने के कारण जंगल में कुछ दिखाई नहीं पडा़. सुबह 5:30 बजे देखा गया कि पलामू किला बीट के मुड़ कटी जंगल में मुख्य सड़क किनारे हथिनी का शव पड़ा हुआ है. इसके बाद पूरे क्षेत्र को सील कर दिया और मौत के कारणों की पड़ताल शुरू कर दी गयी.
सूचना मिलने पर विभागीय पदाधिकारी बेतला पहुंचे. डॉ चंदन देव द्वारा शव का पोस्टमार्टम किया गया. बताया जा रहा है कि हथिनी के मरने के बाद हाथियों का कुछ झुंड घटनास्थल पर पहुंचा था. हथिनी के साथ उसके बच्चे के होने का भी अनुमान लगाया जा रहा है, जो झुंड के साथ सुबह होने पर चला गया.
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190 हाथी है पलामू टाइगर रिजर्व में
विभागीय आंकड़ों के अनुसार, पलामू टाइगर रिजर्व में हाथियों की संख्या करीब 190 है. वर्ष 2017 में विभाग द्वारा कराये गये गजगणना के अनुसार, पीटीआर में 182 हाथी थे, जिसमें 42 कोर एरिया और 140 हाथी बफर एरिया में थे.वर्तमान में बेतला नेशनल पार्क में 25 से 30 हाथी मौजूद है.
विभागीय पदाधिकारियों के अनुसार, 3 अलग-अलग झुंडों में हाथियों को देखा जा रहा है. इनमें एक झुंड में 16 हाथी शामिल है, जिनमें बच्चे भी हैं. अन्य झुंड में 5 से 8 हाथी है. गश्ती के दौरान वनरक्षियों द्वारा सोमवार (13 जुलाई, 2020) को बेतला पार्क के कसवा जंगल में करीब 19 हाथियों को देखा गया था.
2017 में गोली मारकर कर दी गयी थी हत्या
जुलाई से दिसंबर महीने तक बेतला नेशनल पार्क से सटे गांवों में हाथियों का आतंक जारी रहता है. जंगली हाथियों द्वारा न केवल फसलों को नुकसान पंहुचाया जाता है, बल्कि कई बार ग्रामीण भी हाथी के शिकार हो जाते हैं. इसलिए कई बार ग्रामीणों द्वारा भी हाथियों को निशाना बनाया जाता है. बेतला नेशनल पार्क से सटे लुकुम खाड़ में वर्ष 2017 में एक नर हाथी द्वारा खेत का लगी फसल को नुकसान पहुंचाए जाने के बाद किसानों ने गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी. उसी वर्ष दो नन्हे हाथी की भी मौत हो गयी थी. इनमें एक नवजात और दूसरा डेढ़ वर्ष का था. गारू क्षेत्र में वज्रपात की चपेट में आने से एक हाथी की मौत हुई थी. पांच वर्ष पूर्व बेतला नेशनल पार्क के तुरी टोला में बिजली तार की चपेट में आने से हाथी की मौत हो गयी थी. उसी तरह से 2001, 2005 और 2014 में रेलवे ट्रैक पर हाथी की मौत हो गयी थी.
बेतला नेशनल पार्क के लिए दुर्भाग्य रहा है 2020
वर्ष 2020 एक और जहां पूरा विश्व वैश्विक महामारी कोरोना (Coronavirus pandemic) की चपेट में है, तो वहीं बेतला नेशनल पार्क में भी जंगली जानवरों के मरने का सिलसिला लगातार जारी है. यह दुर्भाग्य ही रहा है कि पिछले 6 महीने में जंगल के कई जानवरों की मौत हुई है. इनमें 15 फरवरी को बाघिन की मौत हुई थी, जबकि 29 अप्रैल और 4 जून को संक्रमण के कारण बाइसन की मौत हुई थी.अब एक हथिनी की भी मौत हो गयी है. पार्क में जंगली जानवरों की मौत पर लोग वन विभाग द्वारा जंगली जानवरों के रख-रखाव पर सवाल उठा रहे हैं.
Posted By : Samir ranjan.