मेदिनीनगर. सोमवार को सिखों के दसवें गुरु गुरु गोविंद सिंह की 358वीं जयंती मनायी गयी. इस अवसर पर 30 दिसंबर से गुरुद्वारा में चल रहे गुरु ग्रंथ साहिब के अखंड पाठ का समापन हुआ. जयंती के अवसर पर शहर के बेलवाटिका स्थित गुरुद्वारा को आकर्षक ढंग से सजाया गया था. गुरु तेग बहादुर मेमोरियल हॉल में गुरु ग्रंथ साहिब का दीवान सजाया गया. जयंती के अवसर पर सिख समाज के लोगों ने विशेष प्रार्थना की. इसके अलावा शबद गायन, कीर्तन व अरदास किया गया. जमशेदपुर से आये रागी हरमीत सिंह एवं स्थानीय हजूरी रागी सुंदर सिंह, रमनप्रीत सिंह, हरसिमरन कौर, जसविंदर कौर, इशिका कौर, राजेंदर सिंह ने शबद गायन और कीर्तन पेश किया. पूजा अर्चना और अरदास के बाद दोपहर में गुरु का लंगर चला. जिसमें सैकड़ों लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया. श्री गुरु सिंह सभा कमेटी के प्रधान सतवीर सिंह राजा ने गुरु गोविंद सिंह के जीवन दर्शन और उनके व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि गुरु गोविंद सिंह ने अपना जीवन मानव की सेवा में लगाया. उन्होंने सच्चाई के रास्ते पर चल कर अपने कर्तव्यों का पालन करने व बेगुनाहों को बचाने का संदेश दिया है. उनके बताये रास्ते पर चल कर समाज में बेहतर वातावरण तैयार करने की आवश्यकता है. उन्होंने बताया कि दमन और उत्पीड़न से छुटकारा दिलाने के लिए गुरु गोविंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना की. इसके माध्यम से लोगों में निडरता व ईश्वर के प्रति समर्पण का भाव पैदा किया. सिख समाज के पवित्र ग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब को स्थायी रूप से गुरु के रूप में घोषित किया. उनके आदर्श जीवन व सिद्धांत से प्रेरणा लेने की जरूरत है. जयंती के अवसर पर गुरुद्वारा में रात 10 बजे से भजन कीर्तन का कार्यक्रम शुरू हुआ, जो देर रात तक चला. कार्यक्रम में सरदार कुलदीप सिंह, त्रिलोक सिंह, त्रिलोचन सिंह, गुरवीर सिंह, लव सिंह, कुश सिंह, इंद्रजीत सिंह, डिंपल, राजेंद्र सिंह उर्फ बंटी, हरदीप सिंह, विक्रमजीत सिंह, मंजीत सिंह, युवराज सिंह, मेहर सिंह, सीमोना कौर, हरप्रीत कौर सहित काफी संख्या में सिख समाज के महिला-पुरुष शामिल थे.
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