International widows day : जीवन में हर पल बनी रहती है संघर्ष की स्थिति

International widow's day : 23 जून को अंतर्राष्ट्रीय विधवा दिवस मनाया जाता है. यह दिवस विधवा महिलाओं की समस्याओं के प्रति समाज में जागरूकता फैलाने के लिए मनाया जाता है. समाज में विधवा किस स्थिति में रह रही है. यह दिवस उस स्थिति पर भी प्रकाश डालता है, ताकि यह पता चले कि समाज में किस प्रकार की उपेक्षा व दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

By Prabhat Khabar News Desk | June 23, 2020 1:07 AM
  • अंतर्राष्ट्रीय विधवा दिवस

जीवन में हर पल बनी रहती है संघर्ष की स्थिति

मेदिनीनगर : 23 जून को अंतर्राष्ट्रीय विधवा दिवस मनाया जाता है. यह दिवस विधवा महिलाओं की समस्याओं के प्रति समाज में जागरूकता फैलाने के लिए मनाया जाता है. समाज में विधवा किस स्थिति में रह रही है. यह दिवस उस स्थिति पर भी प्रकाश डालता है, ताकि यह पता चले कि समाज में किस प्रकार की उपेक्षा व दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

हालांकि सरकार ने कई योजनाएं चलायी है, ताकि विधवा समाज में सम्मान पूर्वक अपना जीवन यापन कर सके. फिर भी जीवन साथी के बिछड़ जाने के बाद आगे की जिंदगी को लेकर हमेशा उनके जीवन में संघर्ष की स्थिति बनी रहती है. लॉकडाउन के दौरान भारी संख्या में प्रवासी घर लौटे हैं.

घर लौटने के क्रम में कई प्रवासी मजदूर असमय काल-कवलित भी हो गये है. लेकिन तमाम दावे के बाद भी उन प्रवासी मजदूरों के विधवा को अभी तक अपेक्षित सरकारी लाभ नहीं मिला है. अंतरराष्ट्रीय विधवा दिवस पर उन प्रवासी मजदूरों की विधवा की समस्या दूर हो, इसके लिए उनके जीवन से जुड़ी दो समस्या को लेकर प्रस्तुत है एक रिपोर्ट :

हुसैनाबाद : कोरोना वायरस को लेकर लॉकडाउन के दौरान पलामू के हुसैनाबाद प्रखंड क्षेत्र के दो प्रवासी मजदूरों की मौत घर लौटने के क्रम में हो गयी थी. लेकिन इन मजदूरों के विधवा को अब तक कोई सरकारी लाभ नहीं मिला है. दोनों मजदूरों के घर की माली हालत काफी खराब है. लॉकडाउन के दौरान 13 मई को हुसैनाबाद के कोशी पंचायत के खाप गांव के शिव कुमार रजक मुंबई से वापस अपने घर आ रहा था. इसी दौरान बीच रास्ते में ही उसकी तबीयत बिगड़ गयी और इंदौर में उसकी मौत हो गयी.

प्रवासी मजदूर के तीन बच्चे है. उसकी विधवा वैजंयती देवी का कहना है कि पति के मौत के बाद बाल बच्चों का परवरिश कैसे होगा. यह एक बड़ी समस्या है. घटना को एक माह से अधिक हो गये, पर अभी तक कोई सरकारी सहायता उसके घर तक नहीं पहुंची. आगे जिंदगी कैसे कटेगी, यह सोच कर वह घबरा जा रही है. कोई सामाजिक संगठन भी इसके दरवाजे तक मदद के लिए अब तक नहीं पहुंचे.

दूसरी घटना पोलडीह पंचायत के बेदौलिया गांव का है. इस गांव के अजय कुमार चंद्रवंशी की थाणे से आने के क्रम में हुसैनाबाद के जेपी चौक पर 17 मई को मौत हो गयी थी. अजय भी अपने घर का अकेला कमाऊ सदस्य था. उसकी विधवा पूजा देवी का कहना है कि अब तक कोई सरकारी सहायता नहीं मिली है. इस मामले में बीडीओ एनामुल जयबिरस लकड़ा का कहना है कि अभी प्रक्रिया शुरू हुई है.

जल्द ही सरकारी प्रावधान के तहत दोनों को सहायता मिलेगी. वहीं विधायक कमलेश कुमार सिंह ने मजदूरों के आश्रित को चार-चार लाख रुपया मुआवजा देने के लिए मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है. लेकिन अभी तक दोनों प्रवासी मजदूरों के घर तक कोई सरकारी सहायता नहीं पहुंची है.

सरकार की कौन सी है योजना : सरकारी आंकड़ों के मुताबिक पलामू में 17654 विधवा महिलाएं हैं, जिन्हें सरकारी सहायता मिल रही है. सरकार ने विधवा महिलाओं के सम्मान व सहयोग के लिए पेंशन योजना चला रही है, ताकि उन्हें गुजर-बसर करने में परेशानी न हो. सामाजिक सुरक्षा कोषांग के प्रभारी सहायक निदेशक आफताब आलम ने बताया कि सरकार ने विधवा महिलाओं के सम्मान के लिए इंदिरा गांधी राष्ट्रीय विधवा पेंशन योजना व राज्य विधवा सम्मान योजना चला रही है.

इन दोनों योजना के तहत लाभार्थी को प्रत्येक माह 1000 रुपये पेंशन दी जाती है. पलामू जिला में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय विधवा पेंशन योजना के 11552 व राज्य विधवा सम्मान पेंशन योजना के 6102 लाभुक है. इस पेंशन योजना के प्रत्येक लाभुक के खाते में जून माह तक का पेंशन राशि भेज दी गयी है. 18 वर्ष से अधिक उम्र की विधवा महिला को राज्य विधवा सम्मान पेंशन योजना से जोड़कर पेंशन देने का प्रावधान है. जबकि 40 वर्ष से अधिक उम्र की विधवा महिला को इंदिरा गांधी राष्ट्रीय विधवा पेंशन योजना का लाभ दिया जाता है.

Next Article

Exit mobile version