Jharkhand Assembly Election 2024: 2005 के बाद पलामू प्रमंडल में राजद व जदयू का दबदबा खत्म

पलामू प्रमंडल की राजनीतिक जमीन पर कभी राजद और जदयू का कब्जा रहता था. आंकड़ों पर गौर करें तो राज्य गठन के बाद 2005 में पहली बार हुए विधानसभा चुनाव में राजद का प्रर्दशन बेहतर रहा था.

By Nitish kumar | October 19, 2024 8:05 AM
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Jharkhand Assembly Election 2024, रांची अविनाश: पलामू प्रमंडल की राजनीतिक जमीन पर कभी राजद और जदयू का कब्जा रहता था. आंकड़ों पर गौर करें तो राज्य गठन के बाद 2005 में पहली बार हुए विधानसभा चुनाव में राजद का प्रर्दशन बेहतर रहा था. इस चुनाव में पलामू प्रमंडल की नौ सीटों में से पांच सीट पर राजद ने जीत दर्ज की थी.

इस पांच सीटों में गढ़वा से गिरिनाथ सिंह, मनिका से रामचंद्र सिंह (अभी कांग्रेस के विधायक हैं), लातेहार से प्रकाश राम (फिलहाल भाजपा में ), विश्रामपुर से रामचंद्र चंद्रवंशी(वर्तमान में भाजपा विधायक) व पांकी से विदेश सिंह(अब दिवंगत) ने जीत दर्ज की थी. जबकि, दो सीट पर जदयू ने कब्जा जमाया था. इसमें डाल्टेनगंज से इंदर सिंह नामधारी और छत्तरपुर से राधाकृष्ण किशोर ने चुनाव जीता था. बाकी की दो सीट पर भवनाथपुर से नवजवान संघर्ष मोर्चा के भानु प्रताप शाही (वर्तमान में भाजपा विधायक) और हुसैनाबाद से राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के टिकट पर कमलेश कुमार सिंह (वर्तमान में भाजपा में हैं) ने जीत दर्ज की थी.

न तो जदयू का खाता खुला और न ही राजद का

 इसके पहले 2000 के विधानसभा चुनाव में भी राजद के पास पलामू प्रमंडल की नौ में से चार सीटें थीं. इसमें गढ़वा सीट पर गिरिनाथ सिंह, हुसैनाबाद पर संजय सिंह यादव, छत्तरपुर पर मनोज कुमार और विश्रामपुर सीट पर रामचंद्र चंद्रवंशी का कब्जा था. वहीं, जदयू व समता पार्टी (तब समता पार्टी का विलय नहीं हुआ था) के पास चार सीटें थीं. इसमें डालटनगंज से इंदर सिंह नामधारी, भवनाथपुर से रामचंद्र केसरी, पांकी से मधु सिंह (अब स्वर्गीय )और लातेहार सीट से बैजनाथ राम ने चुनाव जीता था. लेकिन, मौजूदा राजनीतिक स्थिति में परिस्थिति पूरी तरह बदल गयी हैं. जिस राजनीतिक जमीन को राजद कभी अपनी खतियानी जमीन मान कर चल रहा थी और जदयू का आधार वाला क्षेत्र माना जाता था, वहां 2014 और 2019 के विधानसभा चुनाव में पलामू प्रमंडल में न तो जदयू का खाता खुला और न ही राजद का. आखिरी बार 2009 में दोनों दलों को पलामू प्रमंडल में एक-एक सीट मिली थी. हुसैनाबाद से राजद के संजय सिंह यादव और जदयू के टिकट पर सुधा चौधरी ने जीत दर्ज की थी. सुधा चौधरी अर्जुन मुंडा की सरकार में मंत्री भी बनी थीं.

सरकार बनाने और गिराने के खेल में भी रहे शामिल

वर्ष 2000 में झारखंड राज्य गठन के बाद जो सरकार बनी, उसमें जदयू का प्रभाव था. इंदर सिंह नामधारी राज्य के पहले स्पीकर बने. वहीं, जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के कोटे से मधु सिंह, रामचंद्र केसरी और बैजनाथ राम को मंत्रिमंडल में जगह मिली. इस कोटे के मंत्री सरकार बनाने और गिराने के खेल में भी शामिल रहे. कहा जाता है कि राज्य की पहली बाबूलाल मरांडी की सरकार को गिराने में मधु सिंह की भूमिका अहम रही थी. वह मनचाहा विभाग चाह रहे थे. लेकिन, जब उन्हें वह विभाग नहीं मिला, तो उन्होंने सरकार गिराने में सक्रिय भूमिका निभायी थी. खुद केसरी और मधु सिंह का राजनीतिक रिश्ता कभी अच्छा नहीं रहा. वहीं, केसरी और मधु सिंह की नामधारी से भी नहीं बनती थी. लेकिन, तब सरकार गिराने के खेल में मधु सिंह ने चतुराई से नामधारी को भी इसमें शामिल कर लिया था.

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