Jharkhand Assembly Election 2024: ग्रामीणों ने दी चुनाव बहिष्कार की चेतावनी, सड़क नहीं तो वोट नहीं

पिछले 15 वर्षों से प्रखंड मुख्यालय से 10 गांवों को जोड़नेवाले भजनिया से पंसा जानेवाले मुख्य पथ चुनावी मुद्दा बनता आ रहा है. लेकिन, किसी भी जनप्रतिनिधि ने इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं लिया. ग्रामीणों ने इस बार चुनाव का बहिष्कार करने की बात कही है.

By Nitish kumar | October 28, 2024 12:13 PM

Jharkhand Assembly Election 2024| मोहम्मदगंज(पलामू), कुंदन कुमार : प्रखंड मुख्यालय से 10 गांवों को जोड़नेवाले भजनिया से पंसा जानेवाले मुख्य पथ का खस्ता हाल है. ग्रामीणों के मुताबिक, सड़क की यह स्थिति करीब 18 साल से बनी हुई है. पिछले 15 वर्षों से यह चुनावी मुद्दा बनता आ रहा है. लेकिन, किसी भी जनप्रतिनिधि ने इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं लिया. जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के कारण अब तक इस सड़क का निर्माण नहीं हो सका. सड़क नहीं बनने से नाराज ग्रामीणों ने इस बार चुनाव का बहिष्कार करने की बात कही है.

सिर्फ आश्वासन मिला

ग्रामीणों ने बताया कि सांसद व विधायक को भी कई बार इस सड़क की बदहाल स्थिति एवं आवागमन की परेशानी से अवगत कराया गया. लेकिन, सिर्फ आश्वासन ही मिला. लोकसभा व विधानसभा चुनाव में ग्रामीण इसे चुनावी मुद्दा बनाते हैं. इस पर प्रशासन व चुनाव लड़नेवाले प्रत्याशी आश्वासन देते हैं, लेकिन चुनाव जीतने के बाद जनप्रतिनिधि भूल जाते हैं. वही, प्रशासन भी बेखबर हो जाता है. इस बार भी 10 गांवों के ग्रामीणों ने इसे चुनावी मुद्दा बनाया है. उनका कहना है कि अब आश्वासन से काम नहीं चलेगा. ग्रामीणों ने चुनाव के प्रति अपनी उदासीनता जाहिर की है. उनका कहना है कि दगा देने वाले जनप्रतिनिधियों को वोट देकर जिताने से क्या फायदा है. चुनाव आता है, तो लोग सड़क निर्माण कराने का वादा करते हैं और बाद में भूल जाते हैं.

15 हजार की आबादी है प्रभावित

ग्रामीणों का कहना है कि यह सड़क हर मौसम में खराब रहती है. हल्की बारिश होने पर यह सड़क पैदल चलने लायक भी नहीं रहती. 15 हजार आबादी के लिए यह सड़क जानलेवा साबित हो रही है. वाहन से चलने वाले लोग जान हथेली पर रख कर सफर करते हैं. यह सड़क प्रखंड के भजनिया से कोलुहुवा, बीरधवर, सहार बिहरा, गाजी बिहरा, लेमुवा टीकर, सोनबरसा, बडीहा, पंसा गांव तक जाती है.

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मरीजों व स्कूली बच्चों को होती है परेशानी

मरीजों व स्कूली बच्चों को खासा परेशानी होती है. बरसात में यदि कोई बीमार पड़ जाता है, तो उसे अस्पताल ले जाने में ग्रामीणों को काफी मशक्कत करनी पड़ती है. प्रभावित गांव के श्याम बिहारी सिंह, रजनीश सिंह, रितेश सिंह, बिनोद सिंह, बाबर अंसारी, अवधेश राम, अर्जुन राम, गिरजा राम, सोविन्द प्रसाद गुप्ता, रामप्रवेश मेहता, अखिलेश मेहता आदि ग्रमीण सड़क की दुर्दशा पर जनप्रतिनिधियों को आज भी कोसते हैं.

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