पलामू में थम गई शास्त्रीय संगीत की गूंज, नहीं रहे कलागुरु पंडित राजाराम मिश्रा
पलामू के मेदिनीनगर निवासी और झारखंड के जानेमाने संगीत्यज्ञ कलागुरु पंडित राजाराम मिश्र नहीं रहे. अहले सुबह उन्होंने अंतिम सांस ली. उनका निधन हृदयगति रुकने से हुआ. आधी रात को बेचैनी लगने के बाद उन्हें नारायणा हॉस्पिटल ले गए, जहां से एनएमसीएच भेजा गया. जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया.
पलामू के मेदिनीनगर निवासी और झारखंड के जानेमाने संगीत्यज्ञ कलागुरु पंडित राजाराम मिश्र नहीं रहे. सोमवार को अहले सुबह उन्होंने अंतिम सांस ली. उनका निधन हृदयगति रुकने से हुआ. आधी रात को बेचैनी की शिकायत के बाद परिजन उन्हें नारायणा हॉस्पिटल ले गए. इसके बाद चिकित्सकों ने उन्हें एनएमसीएच रेफर किया. जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया.
शास्त्रीय संगीत के लिए जाने जाते थे पंडित राजाराम मिश्र
पंडित राजाराम मिश्र शास्त्रीय संगीत के सेनिया घराने तालुक रखते थे. वे साल 1985 से आकाशवाणी और दूरदर्शन के बी ग्रेड कलाकार थे. साथ ही सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, सूचना एवं जनसंपर्क विभाग, झारखंड से जुड़े हुए थे. 1993 से उन्होंने देवरानी संगीत महाविद्यालय, डालटनगंज के केंद्र अधीक्षक के पद पर आसीन थे. पंडित मिश्र प्रयाग संगीत समिति, इलाहाबाद के परीक्षक थे.
ऐसे शुरू हुई थी सुरों का सफर
पंडित मिश्र सेनिया घराने के पारंपरिक शास्त्रीय संगीत परिवार से संबंध रखते थे. उन्होंने संगीत की शिक्षा अपने गुरु और पिता स्व पंडित रामरक्षा मिश्र और उनके बड़े भाई स्व सुरेंद्र मिश्रा (आरा, बिहार) के मार्गदर्शन में प्राप्त किया था. राजाराम मिश्र के पिता पंडित रामरक्षा मिश्र भारतीय शास्त्रीय संगीत के प्रसिद्ध गायक थे. जो ख्याल गायन में तान और तराना की उत्कृष्ट कमान के लिए प्रसिद्ध थे. पंडित राजाराम मिश्र भी अपने पिता के संगीत मार्ग को ही अपनाया व प्रसिद्धि प्राप्त किया. पंडित राजाराम मिश्रा ने प्रयाग संगीत समिति, इलाहाबाद से संगीत प्रवीण की डिग्री और प्राचीन कला केंद्र, चंडीगढ़ से संगीत भास्कर की डिग्री प्राप्त की थी. उन्होंने उत्तर प्रदेश, झारखंड, बिहार, मध्य प्रदेश के विभिन्न जिलों में प्रतिष्ठित संगीत समारोह के लिए अनगिनत मंच प्रदर्शन किया.
मिले हैं ढ़ेरो सम्मान
पं. राजा राम मिश्र ने अपने शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में पलामू रत्न, पलामू कला श्री, कला गुरु सम्मान, भास्कर सम्मान, सुर श्री सम्मान, धरोहर सम्मान, संगीत गुरु सम्मान जैसे विभिन्न सम्मान प्राप्त किए थे.
ये हैं परिवार में
वो अपने पीछे चार पुत्र और एक पुत्री सहित भरा पूरा परिवार छोड़ गए हैं. उनके एक पुत्र सूरज कुमार मिश्रा भी संगीत शिक्षक हैं. वह अपने पिता की संगीत विरासत आगे बढ़ा रहे हैं.
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लोगों ने जताया शोक
पंडित मिश्र अत्यंत मिलनसार और मृदुभाषी इंसान थे. उनकी आकस्मिक निधन से शहर के कलाकार और संस्थाओं ने शोक जताया है. शोक प्रकट करने वालो में जिला खेल व सांस्कृतिक पदाधिकारी उमेश लोहड़ा, सीने स्टार युगांत बद्री पाण्डेय, गजल गायक किशोर शुक्ला, बांसुरी वादक सचिदानंद तिवारी, आशुतोष पांडेय, नीरज सिन्हा, मुकेश सिन्हा मंटू, शर्मिष्ठा सिन्हा, कामेश्वर सिंह, सुमित भट्टाचार्य, अली रजा शाह, राजा सिन्हा, उमाशंकर मिश्र, मिनी पवन सिंह, फिल्म अभिनेता, लेखक डॉ प्रवेश दुबे, माटीकला बोर्ड के अविनाश देव, लोक कला मंच के अध्यक्ष शिशिर शुक्ला, सुर संगम कला केंद्र के राम व श्याम किशोर पाण्डेय, इप्टा के राज्य अध्यक्ष डॉ अरुण शुक्ला, इंडियन रोटी बैंक के दीपक तिवारी, सोनू सिंह नामधारी, मासूम आर्ट ग्रुप के अध्यक्ष विनोद पांडेय, संस्कार भारती के कार्यकारी अध्यक्ष राजेश कुमार, आरएसएस के जिला प्रचार प्रमुख नवीन सहाय, पूर्व सैनिक प्रकोष्ठ के ब्रजेश शुक्ला, नृत्य निदेशक सुजीत कुमार, संतन कुमार, सर्च टेलेंट शो के निदेशक सूर्यकांत कुमार, राष्ट्रीय परशुराम सेना के नवीन तिवारी, खुला मंच के ललन सिन्हा, अरविंद अग्रवाल, बबलू चावला आदि शामिल है.
रिपोर्ट : सैकत चैटर्जी, पलामू