Jharkhand Election 2024|रांची, अविनाश : अविभाजित बिहार में राजनीति के क्षेत्र में पूरनचंद (अब दिवंगत) एक बड़ा नाम थे. ईमानदारी और सादगी के कारण राजनीति में कभी भी उन्होंने तामझाम का सहारा नहीं लिया. वह चुनाव प्रचार रिक्शा से करते थे.
कव्वाली की टीम झोली फैलाकर जुटाती थी चंदा
उनके साथ कव्वाली की एक टीम रहती थी, जो झोली फैलाकर चुनाव लड़ने के लिए पैसे एकत्र करती थी. उस दौर में यह चुनावी गीत- ‘बरगद का प्रचार रस्ते-रस्ते, पूरन जी का प्यार रस्ते-रस्ते’ काफी मशहूर हुआ था.
4 बार डाल्टेनगंज के विधायक रहे पूरनचंद
पूरनचंद ने 4 बार डाल्टेनगंज विधानसभा क्षेत्र (अब झारखंड में) का प्रतिनिधित्व किया. उन्होंने पहली बार 1967 में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी से चुनाव जीता. इसी दल से 1969 और 1972 में जीते. 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव जीते. बताया जाता है कि चुनाव के दौरान वह रिक्शा से प्रचार करते थे. सभा में लोगों की भीड़ जुटे, इसके लिए वह स्वयं रिक्शा से घूम-घूम कर प्रचार करते थे.
सादगी, सरलता और ईमानदारी की प्रतिमूर्ति थे पूरनचंद
वह कहते थे कि आज पूरनचंद की सभा है, उसमें आप लोग जुटें. जब लोग सभा में पहुंचते थे, तो देखते थे कि नेता के रूप वही शख्स भाषण दे रहा है, जो सुबह में प्रचार कर रहा था. पूरनचंद के करीबी रहे कयूम रूमानी बताते हैं कि वह सादगी, सरलता और ईमानदारी की प्रतिमूर्ति थे. वे एकीकृत बिहार में मंत्री भी रहे. इसके बाद भी उनकी कोई व्यक्तिगत संपत्ति नहीं थी. रिक्शा से प्रचार करते-करते वे लोग भंडरिया तक चले जाते थे.
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