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झारखंड स्थापना दिवस: करोड़ खर्च करने के बाद भी पलामू में शिक्षा-स्वास्थ्य का नहीं मिल रहा लाभ,जानें कारण

15 नवंबर को झारखंड 22 साल का हो रहा है. इस 22 साल में राज्य ने कई विकास के आयाम को प्राप्त किया. वहीं, कई ऐसे कार्य भी हैं जिसका लाभ लोगों को नहीं मिल पाया है. इसी के तहत पलामू में शिक्षा और स्वास्थ्य का हाल बेहाल है. करोड़ों खर्च करने के बाद भी लोगों को सही तरीके से लाभ नहीं मिल पा रहा है.

Jharkhand Foundation Day: झारखंड के 22 वर्षों के सफर में पलामू जिले में विकास काफी तेज हुआ है. पलामू में शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था को मजबूत करने के लिए सरकार द्वारा अरबों रुपये खर्च किये गये. विश्वविद्यालय भवन, इंजीनियरिंग कॉलेज, मेडिकल कॉलेज, नवोदय विद्यालय, केंद्रीय विद्यालय खोला गया. पलामू के सभी विधानसभा क्षेत्र में एक-एक डिग्री कॉलेज भवन का निर्माण शुरू हो गया है. छत्तरपुर में कॉलेज भवन बनकर तैयार है, डाल्टनगंज और हुसैनाबाद में कॉलेज भवन पूरा होने के करीब है जबकि पांकी और विश्रामपुर में निर्माण की प्रक्रिया में है. बावजूद इसके इनका अपेक्षित लाभ पलामू के लोगों को नहीं मिल सका है. क्योंकि विकास के आईना के रूप में दर्शाने के लिए जितने भी स्ट्रक्चर बनाये गये उनका समुचित उपयोग नहीं किया जा रहा है.

धरातल पर नहीं उतर सकी बेहतर शैक्षणिक व्यवस्था

पलामू में नीलांबर पीतांबर विश्वविद्यालय की स्थापना हुए 13 साल बीत गये, लेकिन आज तक बेहतर शैक्षणिक व्यवस्था धरातल पर नहीं उतर सकी है. अनेक समस्याओं से जूझ रहे इस विश्वविद्यालय में संस्थागत सुधार की दिशा में सकारात्मक प्रयास नही किया गया. रिक्त पदों की स्वीकृति और भर्ती, सूचना प्रौद्योगिकी की सुविधा का अभाव, इंटरनेट की आधारभूत संरचना की कमी, पुस्तकालय और रिसर्च की आधारभूत संरचना की कमी, शैक्षणिक एवं गैर शैक्षणिक कर्मचारियों की बहाली सहित कई अन्य समस्याएं जस की तस है. मामले को लेकर कई बार स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने राज्यपाल को भी अवगत कराया . फिर भी व्यवस्था में कोई सुधार नहीं हुआ. जवाहर नवोदय विद्यालय का अपना भवन नहीं होने के कारण निर्धारित सीट के मुताबिक बच्चों का नामांकन नहीं हो पा रहा है. मेदिनीराय मेडिकल कॉलेज में विद्यार्थियों को शिक्षा का बेहतर लाभ नहीं मिल पा रहा है. वहीं, अस्पताल में भी इलाज की विशेष सुविधा नहीं है.

कई परेशानियों से जूझ रहे मेडिकल कॉलेज के छात्र

मेडिकल कॉलेज में अध्ययनरत विद्यार्थियों को कई परेशानियों से जूझना पड़ रहा है. मेडिकल कॉलेज अस्पताल बनने के बाद उम्मीद जगी थी कि इलाज की बेहतर व्यवस्था होगी. लेकिन, आज भी पुराने ही व्यवस्था के तहत मेडिकल कॉलेज का अस्पताल चल रहा है. मरीजों की स्थिति गंभीर होने पर चिकित्सक तत्काल रेफर करते हैं. अस्पताल परिसर में जीएनएम कॉलेज का छात्रावास बनकर तैयार है. लेस्लीगंज के बसौरा पॉलिटेक्निक  एवं  इंजीनियरिंग कॉलेज में अभी तक पढ़ाई शुरू नहीं हुई है. जिस उद्देश्य को लेकर सरकार ने शिक्षा एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में इतनी राशि खर्च की है उसका लाभ यहां के लोगों को नहीं मिल पा रहा है. सरकार एवं प्रशासन को इस दिशा में गंभीर होकर काम करना चाहिए.

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मेडिकल कॉलेज के कई विभाग में शिक्षकों का अभाव

मेदिनीराय मेडिकल कॉलेज के विभिन्न विभागों में शिक्षकों का अभाव है. छह ऐसे विभाग हैं जहां एक भी शिक्षक नहीं है. कैंसर जैसी गंभीर बीमारी का डिपार्टमेंट नहीं खुला है. माइक्रोबॉलाजी रेडियोडायग्नोसी सायकेटरी एफएमटी, रेडियो थेरेपी एवं फिजिकल मेडिसिन विभाग में एक भी शिक्षक नहीं है.

रिपोर्ट : चंद्रशेखर सिंह, मेदिनीनगर.

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