28.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Jharkhand: मेदिनीनगर के बंगीय दुर्गा बाड़ी में 108 साल से हो रही है काली पूजा, देखें तस्वीरें

मेदिनीनगर में दिवाली की रात लक्ष्मी पूजा के साथ काली पूजा मानने का भी प्रचलन है. सबसे पुराना इतिहास बंगीय दुर्गा बाड़ी का है. यहां 108 साल से लगातार दिवाली की रात 12 बजे के बाद काली पूजा होती आ रही है. इसे मां काली की निशा पूजा कहते हैं. देखें तस्वीरें...

Undefined
Jharkhand: मेदिनीनगर के बंगीय दुर्गा बाड़ी में 108 साल से हो रही है काली पूजा, देखें तस्वीरें 6

हर साल बनती है एक ही जैसी प्रतिमा

दुर्गा बाड़ी में हर साल मां काली की एक ही जैसी प्रतिमा बनती है. इसे श्मशान काली कहा जाता है. मां काली की इस रूप की पूजा काफी कठिन होता है. पुरोहित देवी प्रसाद बनर्जी पिछले कई सालों से काली पूजा करते आ रहे हैं. प्रतिमा सुकुमार पाल ने बनाया है, इनका पिछला चार पीढ़ी दुर्गा बाड़ी की प्रतिमा बनाने का काम करते आ रहे हैं.

Undefined
Jharkhand: मेदिनीनगर के बंगीय दुर्गा बाड़ी में 108 साल से हो रही है काली पूजा, देखें तस्वीरें 7

चांदी के गहनों से होता है मां का श्रृंगार

दुर्गा बाड़ी में मां काली की प्रतिमा को चांदी के गहनों से सजाया जाता है. दुर्गा बाड़ी पूजा समिति के सचिव अमर कुमार भांजा ने बताया कि भक्तों के द्वारा दान में चढ़ाये गये गहनों से ही मां का श्रृंगार होता है. बीच-बीच में पुराने गहनों को गला कर नया रूप भी दिया जाता है.

Undefined
Jharkhand: मेदिनीनगर के बंगीय दुर्गा बाड़ी में 108 साल से हो रही है काली पूजा, देखें तस्वीरें 8

तीन तरह के फलों की बलि होती है

पूजा के बाद तीन तरह की फलों की बलि चढ़ाई जाती है. इसमें भतुआ, ईंख व केला की बलि होता है. बलि के बाद मां काली को खिचड़ी तथा अन्य भोग निवेदन किया जाता है. बंगाली समाज में इसका खास महत्व है. जो भी काली पूजा का उपवास करते हैं वे इसी भोग को खाकर उपवास तोड़ते है.

Undefined
Jharkhand: मेदिनीनगर के बंगीय दुर्गा बाड़ी में 108 साल से हो रही है काली पूजा, देखें तस्वीरें 9

दुर्गा बाड़ी में स्थापित भद्र काली की प्रतिमा की भी होती है पूजा

दुर्गा बाड़ी में करीब 20 साल पहले काली मंदिर की भी स्थापना की गई थी. यहां भद्रकाली की पत्थर की प्रतिमा स्थापित है. सालों भर यहां सुबह शाम पूजा की जाती है. दिवाली में विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है. इस मूर्ति का विसर्जन नहीं होता है. यह स्थापित प्रतिमा है. शाम से यहां पूजा प्रारंभ हो जाता है. यहां पूजा संपन्न होने के बाद श्मशान काली की पूजा होती है. पूजा के दूसरे दिन इस प्रतिमा को कोयल नदी में विसर्जित किया जाता है.

Undefined
Jharkhand: मेदिनीनगर के बंगीय दुर्गा बाड़ी में 108 साल से हो रही है काली पूजा, देखें तस्वीरें 10

मेदिनीनगर में दिवाली की रात लक्ष्मी पूजा के साथ काली पूजा मानने का भी प्रचलन है. सबसे पुराना इतिहास बंगीय दुर्गा बाड़ी का है. यहां 108 साल से लगातार दिवाली की रात 12 बजे के बाद काली पूजा होती आ रही है. इसे मां काली की निशा पूजा कहते हैं. बंग समुदाय की महिलाएं अग्रणी भूमिका निभाती हैं.

रिपोर्ट : सैकत चटर्जी, पलामू

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें