Jharkhand News : पलामू की 14 माह की सृष्टि को जान बचाने के लिए चाहिए 14 करोड़ का इंजेक्शन, छत्तीसगढ़ में चल रहा इलाज, प्रधानमंत्री तक से लगा चुके मदद की गुहार

Jharkhand News, Palamu News, मेदिनीनगर न्यूज : झारखंड के पलामू जिले के पाटन के सिक्की खुर्द गांव के सतीश कुमार रवि की 14 माह की बेटी सृष्टि रानी का जीवन संकट में है. सृष्टि को स्पाइनल मस्क्यूलर एट्रॉफी (एसएमए) नामक बीमारी है. इससे पीड़ित सृष्टि रानी को ठीक होने के लिए दुनिया का सबसे महंगा 14 करोड़ का इंजेक्शन लगाया जाना है. डॉक्टरों के मुताबिक, आठ से दस माह के अंदर टीका हर हाल में लगना जरूरी है, तभी बच्ची की जान बच पायेगी. सृष्टि के पिता सतीश कुमार रवि छत्तीसगढ़ के कोरबा में एसइसीएल में कार्यरत हैं. इनका कहना है कि वह इस मामले की जानकारी प्रधानमंत्री और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री तक पहुंचा चुके हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | February 14, 2021 10:47 AM
an image

Jharkhand News, Palamu News, मेदिनीनगर न्यूज : झारखंड के पलामू जिले के पाटन के सिक्की खुर्द गांव के सतीश कुमार रवि की 14 माह की बेटी सृष्टि रानी का जीवन संकट में है. सृष्टि को स्पाइनल मस्क्यूलर एट्रॉफी (एसएमए) नामक बीमारी है. इससे पीड़ित सृष्टि रानी को ठीक होने के लिए दुनिया का सबसे महंगा 14 करोड़ का इंजेक्शन लगाया जाना है. डॉक्टरों के मुताबिक, आठ से दस माह के अंदर टीका हर हाल में लगना जरूरी है, तभी बच्ची की जान बच पायेगी. सृष्टि के पिता सतीश कुमार रवि छत्तीसगढ़ के कोरबा में एसइसीएल में कार्यरत हैं. इनका कहना है कि वह इस मामले की जानकारी प्रधानमंत्री और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री तक पहुंचा चुके हैं.

बच्ची का इलाज छत्तीसगढ़ के अपोलो अस्पताल में चल रहा है और वह जिंदगी व मौत से जूझ रही है. लेकिन उसके परिजन सक्षम नहीं हैं कि वह इतना महंगा इंजेक्शन लगवा सकें. शनिवार को सतीश रवि ने पलामू डीसी के नाम ज्ञापन देकर इलाज के लिए वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने की मांग की है.

Also Read: Jharkhand News : पलामू में एसीबी ने घूस लेते बीडीओ को किया गिरफ्तार, पढ़िए किस काम के एवज में बीडीओ ने मांगी थी रिश्वत

सतीश कुमार रवि ने बताया कि चिकित्सकों ने जो जानकारी दी है, उसके मुताबिक इस बीमारी में जो इंजेक्शन लगता है, उसे स्विटजरलैंड की कंपनी नोटवार्टिस तैयार करती है. यह इंजेक्शन एक तरह की जीन थेरेपी ट्रीटमेंट है. इसे स्पाइनल मस्क्यूलर एट्रॉफी से जूझनेवाले दो साल से कम उम्र के बच्चों को सिर्फ एक बार लगाया जाता है. यह अमेरिका से आता है, इसलिए महंगा है. सतीश रवि ने बताया कि विलासपुर के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ सुशील कुमार ने बताया है कि बच्ची की मांसपेंशियों ने काम करना बंद कर दिया है. उसे स्पाइनल मस्क्यूलर एट्रॉफी टाइप -1 ए की बीमारी है. उनका कहना है कि बोन ट्रांसप्लांट के माध्यम से भी वैकल्पिक उपचार संभव है, लेकिन उसका खर्च काफी अधिक आयेगा.

Also Read: Jharkhand Latest News : झारखंड के पलामू से ड्यूटी पर निकले नेवी के जवान सूरज दुबे की मुंबई में मौत, पढ़िए क्या है पूरा मामला

सतीश रवि का कहना है कि वह इस मामले की जानकारी प्रधानमंत्री और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री तक पहुंचा चुके हैं. चूंकि वह मूल रूप से पलामू के रहनेवाले हैं. इसलिए यहां भी कुछ अगर सहायता हो जाये, तो इसके लिए उपायुक्त को ज्ञापन दिया है. जानकारी के अनुसार, एसएमएस से ग्रस्त मरीजों के शरीर में प्रोटीन एंजाइम बनानेवाला जीन नहीं होता. मांसपेशियां और तंत्रिकाएं साथ नही देतीं और मस्तिष्क भी काम नहीं करता है. मां का दूध पीने में भी बच्चों की सांस फूलने लगती है. मुंबई की तीरा कामत की तरह ही यह दुलर्भ बीमारी है.

Also Read: Indian Railways Breaking News : झारखंड के पलामू में कोयला लदी मालगाड़ी में लगी आग, रेलकर्मियों की तत्परता से टला हादसा

Posted By : Guru Swarup Mishra

Exit mobile version