झारखंड का युवा महताब आलम बना यू-ट्यूब सेलिब्रिटी, युवाओं को दे रहे रोजगार, ऐसे हुई सफर की शुरुआत
मां आमना खातून व अन्य भाई-बहनों की जिम्मेवारी महताब आलम के कंधे पर थी. मोंटी गिरिवर इंटर स्तरीय विद्यालय में पढ़ता था. घर की माली हालत देखकर उसने पढ़ाई छोड़ दी और ट्रेन में नींबू बेचने लगा.
कोरोना काल में रोजी-रोटी की समस्या उत्पन्न हो गयी थी. उस समय मेदिनीनगर का युवा महताब आलम उर्फ मोंटी अपने सपने को उड़ान देने में लगा था. उसने इसके लिए यू-ट्यूब का सहारा लिया और ब्लॉग पोस्ट कर अच्छी कमाई करने लगा. यूट्यूब पर उसके 29 लाख, फेसबुक पर 17 लाख व इंस्टाग्राम पर 55 हजार से ज्यादा फॉलोवर्स हैं. इस मुकाम तक पहुंचने के लिए मोंटी को काफी मेहनत करनी पड़ी. उसने बताया कि उसके पिता अलीमुद्दीन खलीफा कपड़ा की सिलाई का काम करते थे.
मां आमना खातून व अन्य भाई-बहनों की जिम्मेवारी उन्हीं के कंधे पर थी. मोंटी गिरिवर इंटर स्तरीय विद्यालय में पढ़ता था. घर की माली हालत देखकर उसने पढ़ाई छोड़ दी और ट्रेन में नींबू बेचने लगा. अधिक पैसे कमाने के लिए उसने विवाह में फोटोग्राफी भी की. इसी दौरान उसके दोस्त ने उसे यू-ट्यूब की जानकारी दी. इसके बाद मोंटी ने यू-ट्यूब का सहारा लिया.
पैसे की बचत कर वह मोबाइल खरीदा और यू-ट्यूब पर ब्लॉग पोस्ट करता गया. उसने बताया कि पहली बार उसे यू-ट्यूब पर सात हजार रुपये भेजे गये. उसने उस पैसे से गरीबों को भोजन कराया. मोंटी लाइफ स्टाइल व पुराने गाड़ियों का ब्लॉग पोस्ट कर यू-ट्यूब का स्टार बन गया है. उसने बताया कि यूट्यूब ने उसे एक सिल्वर डिस्क व एक गोल्डन डिस्क से सम्मानित किया है. बड़ी कंपनियां अपना प्रोडक्ट मोंटी के जरिये प्रमोट करवाती हैं.
अपने भाई-बहनों की शादी धूमधाम से करने की चाहत रखनेवाला मोंटी ने यू-ट्यूब से कमाई कर रांची में एक आलीशान सलून खोला. जिसका नाम मोंटी सलून रखा है. उसने गाड़ी भी खरीद ली. मोंटी अब अपने शहर में सेकंड हैंड लैपटॉप का शोरूम खोलेगा. उसके पिता अलीमुद्दीन खलीफा का कहना है कि गरीबी समस्याओं की जड़ है. लेकिन यदि परिवार के सदस्य का रुख सकारात्मक हो, तो समस्याओं का समाधान हो जाता है.