पलामू जिले के कंडा गांव में 10 स्वतंत्रता सेनानी हुए. इनमें केश्वर विश्वकर्मा का जन्म 1918 में हुआ था. वह 1936 में अपने नौ सहयोगी के साथ कांग्रेस के सदस्य बने थे. 1940 में रामगढ़ अधिवेशन में भाग लिया. 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में सभी ने अहम भूमिका निभायी. एनएच की पुलिया काटने के जुर्म में सभी को अंग्रेजों ने पटना के फुलवारी शरीफ जेल भेज दिया था.
सबी ने डेढ़ साल की सजा काटी. नौ माह बाद ही भारत छोड़ो आंदोलन के बाद सभी जेल से लौटे थे. इसके बाद कांग्रेस में सक्रिय हो गये. 1947 में देश आजाद हुआ और 1948 में महात्मा गांधी की मृत्यु के बाद उनके दशगात्र के दिन कंडा में केश्वर विश्वकर्मा द्वारा गांधी आश्रम की नींव रखी गयी. जो बाद में पलामू के गांधी आश्रम के तौर पर विख्यात हुआ. शुरुआती दौर में आश्रम खपरैल मकान में चलता था. उसी भवन में स्कूल व अस्पताल भी चलता था.
प्रथम पंचायती राज के गठन के बाद पंचायत सचिवालय भी उसी भवन में चला. केश्वर विश्वकर्मा को प्रथम मुखिया बनने का गौरव प्राप्त हुआ. वह लगातार 10 वर्ष मुखिया रहे. क्षेत्र में 20 कूप, आहर व पोखर का निर्माण कराया. केश्वर विश्वकर्मा रामगढ़ अधिवेशन में महात्मा गांधी व डॉ राजेंद्र प्रसाद के साथ मिले थे. 1972 में इंदिरा गांधी से उनकी मुलाकात हुई थी. इंदिरा गांधी ने उन्हें ताम्रपत्र दिया था. 2003 में राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने उन्हें राष्ट्रपति भवन में सम्मानित किया गया था.
एक फरवरी 2015 को केश्वर विश्वकर्मा की मृत्यु हो गयी. कंडा के गनौरी सिंह के पुत्र स्व नौजदिक सिंह को भी दो बार मुखिया बनने का गौरव प्राप्त हुआ. रामशरण भुइयां के आश्रित परिवार के जुगुल भुइयां व उनकी पत्नी सुनीता देवी भी मुखिया बनीं. केश्वर विश्वकर्मा के साथ जुड़े सोहर चमार, तुला चौधरी, राम खेलावन साव, राम वृक्ष प्रजापति, रघु प्रजापति, रामजीत खरवार भी कंडा के ही निवासी हैं.
पलामू के पूर्व उपायुक्त शशि रंजन ने आश्रम विकास की ओर कृषि मंत्री बादल पत्रलेख का ध्यान आकृष्ट कराते हुए उनके निर्देशानुसार आश्रम विकास के लिए 10 सिलाई मशीन, दो अलमीरा, बैटरी, इनवर्टर, टेबल-कुर्सी के साथ लाइब्रेरी के लिए हजारों पुस्तकें उपलब्ध करायी थी. जिसका संचालन आश्रम अध्यक्ष युगेश्वर साहू के नेतृत्व में होता है. पूर्व स्वास्थ्य मंत्री एवं वर्तमान विधायक रामचंद्र चंद्रवंशी द्वारा भी स्वतंत्रता सेनानियों की याद में 2015 में स्वतंत्रता सेनानी चौक व आश्रम प्रांगण में गांधी जी की प्रतिमा लगवायी गयी है. मुख्य द्वार पर बड़ा गेट का निर्माण कराया गया है, जहां सभी 10 स्वतंत्रता सेनानी का नाम अंकित है. फिलहाल गांव की आबादी करीब चार हजार है. ग्रामीण आज भी कई मूलभूत सुविधा से वंचित हैं.