काशी स्रोत नदी अतिक्रमण के कारण नाला बना
प्रखंड की एकमात्र पवित्र व किसानों के लिए महत्वपूर्ण नदी काशी स्रोत नाला में तब्दील हो गया है.
मोहम्मदगंज. प्रखंड की एकमात्र पवित्र व किसानों के लिए महत्वपूर्ण नदी काशी स्रोत नाला में तब्दील हो गया है. अतिक्रमण के कारण नदी का पाट संकरा हो गया है. इससे नदी के अस्तित्व पर संकट उत्पन्न हो गया है. दर्जनों गांवों के लोगों की खेती व पानी का प्रमुख आधार यह नदी नाला के रूप में बह रही है. इस नदी के पार की भूमि का लगातार अतिक्रमण हो रहा है. अतिक्रमित स्थानों पर मकान बनने लगे हैं. ग्रामीणों ने नदी के अस्तित्व को बचाने के लिए अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है. पहाड़ो से निकली यह नदी करीब 10 किमी का सफर तय कर कोयल नहीं में मिलती है. इस संगम स्थल को ग्रामीण पवित्र स्थल मानते है. क्षेत्र में महायज्ञ के आयोजन पर इसी स्थल से कलश यात्रा शुरू होती है. इस स्थल के पवित्र जल से यज्ञ परिसर में विशेष पूजा पाठ व यज्ञ का अनुष्ठान पूरा किया जाता है. अब यह नदी नाला की तरह हो गयी है. यह नदी पलामू की लाइफ लाइन कोयल नदी में भजनिया गांव में आकर मिल जाती है. इसके मुहाने पर आज भी धोबी घाट है, जहा कई लोग रोजगार के लिए कपड़ा धोने का काम में लगे रहते हैं. लेकिन अब नदी का रूप नाला में तब्दील हो जाने के कारण उन्हें भी परेशानी है .
पहाड़ों से निकलती है काशी स्रोत
यह नदी का बृहत आकार पड़वा व रंगलीवा पहाड़ के पास है. इसमें पहाड़ों से निकली कई छोटी नदियां आकर मिलती हैं. इस नदी के महत्व के कारण ही इसे बांध कर एक डैम का निर्माण किया गया है. जिसे काशी स्रोत डैम कहते हैं. इस नदी पर तीन रेलवे पुल, एक सड़क पुल व कोयल नहर के लिए इस पर साइफन का निर्माण किया गया है. ग्रामीणों का कहना है की यह नदी कई महत्वपूर्ण योजनाओं का निर्माण करने में सहयोगी बना है. मगर उसके अस्तित्व पर किसी का ध्यान नही है. कहा जाता है कि इस नदी में भीषण गर्मी के दौर में भी जल का बहाव बना रहता था, लेकिन अब गर्मी में यह नदी पूरी तरह सूख जाती है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है