सतबरवा (पलामू), रमेश रंजन : पलामू में सतबरवा एक ऐसा अनोखा प्रखंड है, जहां के मतदाता दो सांसद और तीन विधायकों का चुनाव करते हैं. इस प्रखंड का कुछ हिस्सा पलामू संसदीय क्षेत्र में तो कुछ चतरा संसदीय क्षेत्र में पड़ता है.
एक प्रखंड का कुछ हिस्सा डालटनगंज में, तो कुछ पांकी में
इतना ही नहीं इस प्रखंड का कुछ हिस्सा डालटनगंज विधानसभा क्षेत्र में तो कुछ हिस्सा पांकी विधानसभा क्षेत्र में तो कुछ हिस्सा मनिका विधानसभा क्षेत्र में आता है. यही कारण है कि एक ही प्रखंड के लोगों को अलग-अलग संसदीय और विधानसभा सीट के लिए वोट डालना होता है.
सतबरवा प्रखंड की 10 पंचायतों में 4 पलामू, 5 चतरा लोकसभा में
वर्ष 1994 में बने सतबरवा प्रखंड की 10 पंचायतों में से बारी, पोंची, सतबरवा व दुलसुलमा पंचायत पलामू और बकोरिया, रबदा, घुटुआ, रेवारातु, धावाडीह व बोहिता पंचायत चतरा संसदीय क्षेत्र में आती हैं.
कौन सी पंचायत किस विधानसभा क्षेत्र में
डालटनगंज विधानसभा क्षेत्र में बारी, पोंची, सतबरवा व दुलसुलमा, पांकी में बोहिता, रेवारातू, घुटवा व धावाडीह और मनिका क्षेत्र में रबदा व बकोरिया पंचायत शामिल हैं.
डालटनगंज विधानसभा की 4 पंचायतों में कितने वोटर?
डालटनगंज विधानसभा क्षेत्र में पड़ने वाली चार पंचायतों में 18119 मतदाता हैं, इनमें महिला मतदाताओं की संख्या 8650 व 9460 पुरुष मतदाता हैं. इनमें बारी में 5668, पोंची में 5819, सतबरवा में 4297, दुलसुलमा में 2335 मतदाता शामिल हैं.
पांकी की 4 पंचायतों में कितने मतदाता हैं
पांकी की चार पंचायतों में कुल मतदाताओं की संख्या 18,844 है. इसमें महिला मतदाता 9052 व पुरुष मतदाता 9792 हैं. बोहिता पंचायत में 5034, धावाडीह पंचायत में 4782, रेवारातु पंचायत में 4394 व घुटुआ पंचायत में 4634 मतदाता हैं.
एक ही प्रखंड में दो अलग-अलग तिथियों को होगा संसदीय चुनाव
एक ही प्रखंड में अलग-अलग दो संसदीय क्षेत्र होने के कारण उनके चुनाव भी अलग-अलग तारीखों को होगा. पलामू संसदीय क्षेत्र (अजा सुरक्षित) क्षेत्र के प्रत्याशी को बारी, पोंची, सतबरवा व दुलसुलमा पंचायत के मतदाता 13 मई को वोट देंगे. जबकि चतरा संसदीय क्षेत्र के प्रत्याशी को बकोरिया, रबदा, घुटुआ, रेवारातु, धावाडीह, तथा बोहिता पंचायत के मतदाता 20 मई को वोट देंगे.
किसी ने नहीं किया समुचित विकास
एक प्रखंड में दो सांसद और तीन विधायकों को चुनने का सौभाग्य तो प्राप्त है. लेकिन प्रखंड वासियों को इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ता है. लोगों का कहना है कि अलग-अलग विधानसभा तथा लोकसभा होने के कारण चुने हुए जनप्रतिनिधि विकास के मामले में समुचित ध्यान नहीं देते हैं, जिसके कारण प्रखंड क्षेत्र का अपेक्षाकृत विकास नहीं हो पाया है.