मानव जीवन की आधार संहिता है मानस
मानस मानव जीवन की आधार संहिता है. म से मर्यादा अ से आदर्श न से नम्रता स से सहनशीलता यदि ये बातें जीवन में आ जायें, तो लोक और परलोक दोनों बन जाता है.
पड़वा. मानस मानव जीवन की आधार संहिता है. म से मर्यादा अ से आदर्श न से नम्रता स से सहनशीलता यदि ये बातें जीवन में आ जायें, तो लोक और परलोक दोनों बन जाता है. उक्त बातें राधिका शरण जी महाराज ने कही. वे शनिवार को कोकरसा में आयोजित रामचरितमानस नवाह्न परायण पाठ महायज्ञ के नौवें दिन कथा वाचन कर रहे थे. कहा कि अहंकार व्यक्ति को समाप्त कर देता है, भगवान अपने भक्त का संरक्षण मां की तरह करते हैं. भरत चरित की चर्चा करते हुए कहा कि पहले जब तक मंथरा जैसी नारियों का प्रवेश हमारे घरों में बंद नहीं होगा, तब तक राम जैसे बेटों का वनवास बंद होनेवाला नहीं है. वहीं मथुरा से पधारी संत सुश्री राधा किशोरी जी ने कहा कि मानव का कल्याण सत्संग से ही संभव है. नारी शक्ति अगर संगठित हो कर शोषण अत्याचार का विरोध करे, तो समाज में रामराज्य की स्थापना होने में विलंब नहीं होगा. राम वनवास की मार्मिक व्याख्या करते हुए कहा कि इससे भगवान ने सत्य की स्थापना के लिए सत्ता को छोड़ दिया था, लेकिन आज लोग सत्ता को प्राप्त करने के लिए सत्य को ही छोड़ रहे हैं. मौके पर सुश्री श्यामा किशोरी जी ने एक से बढ़ कर एक भजन प्रस्तुत किया. इससे पूर्व यज्ञ समिति के लोगों ने पंडवा थाना प्रभारी को अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया. इस मौके पर यज्ञ समिति के अध्यक्ष राजेंद्र पांडेय, उपाध्यक्ष वीरेंद्र पांडेय, कोषाध्यक्ष बलवंत पांडेय, राजीव तिवारी, महामंत्री रविंद्र पांडेय, संरक्षक योगेंद्र तिवारी, जयवंश पांडेय, शशि पांडेय, धर्मेंद्र तिवारी, अमित पांडेय, मोनू पांडेय, मिथलेश पांडेय, हेमंत पांडेय, ऋतिक रोशन पांडेय, सोनू पांडेय, अभिषेक पांडेय सहित दर्जनों उपस्थित थे.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है