Md Rafi Death Anniversary : जब पलामू में हुआ था मो रफी का कार्यक्रम, पटना समेत कई राज्यों से लोग आये थे देखने

उसमें सिर्फ पलामू ही नहीं, बल्कि रांची, पटना, हजारीबाग, बोकारो, औरंगाबाद और डेहरी के लोग भी कार्यक्रम को देखने आये. दुर्भाग्य से 80 के दशक के अंतिम दौर में पलामू की धरती पर किया गया कार्यक्रम रफी साहब की जिंदगी का अंतिम स्टेज प्रोग्राम साबित हुआ. 31 जुलाई 1980 को उनका निधन मुंबई में हो गया.

By Prabhat Khabar News Desk | July 31, 2021 10:08 AM

Jharkhand News, Palamu News पलामू : मोहम्मद रफी का कार्यक्रम पलामू में कराना है, यह बात सुनकर उस समय सब सकते में आ गये थे. लेकिन भुवनेश्वर प्रसाद वर्मा यानी कि जय जवान संघ के सचिव भुनु बाबू अपनी बात पर अडिग थे़ इसके बाद चियांकी हवाई अड्डा के मैदान में मोहम्मद रफी का कार्यक्रम हुआ.

उसमें सिर्फ पलामू ही नहीं, बल्कि रांची, पटना, हजारीबाग, बोकारो, औरंगाबाद और डेहरी के लोग भी कार्यक्रम को देखने आये. दुर्भाग्य से 80 के दशक के अंतिम दौर में पलामू की धरती पर किया गया कार्यक्रम रफी साहब की जिंदगी का अंतिम स्टेज प्रोग्राम साबित हुआ. 31 जुलाई 1980 को उनका निधन मुंबई में हो गया.

सुर सम्राट की 36वीं पुण्यतिथि पर प्रभात खबर ने उस समय के कार्यक्रम में शामिल लोगों से बातकर उनकी भावनाओं को जानने का प्रयास किया है.

रफी साहब को सुन पाना सौभाग्य की बात : मीरा वर्मा

मोहम्मद रफी नाइट के मुख्य सूत्रधार स्वर्गीय भुवनेश्वर प्रसाद वर्मा उर्फ भुनु बाबू की पत्नी मीरा वर्मा उस समय को याद कर आज भी भावुक हो जाती है़ं, जब रफी साहब ने भरे मंच से उनके पति का नाम लेकर कहा था कि उनके प्रयास से आज वह पलामू में आये हैं.

कार्यक्रम को लेकर पलामू के लोगों में गजब का उत्साह था. समय से पहले ही सभी टिकट बिक चुके थे.कार्यक्रम की शुरुआत शाम आठ बजे के करीब हुई थी़ सुरेश वाडेकर, सुमन कल्याणपुर आदि के बाद रात लगभग 10 बजे मंच पर रफी साहब का पदार्पण हुआ. उनकी झलक पाते ही लोगों ने तालियों के साथ उनका स्वागत किया. रफी साहब ने भी पलामू के दर्शकों और आयोजकों की तारीफ की.

रफी बेहतर गायक ही नहीं, शानदार इंसान भी थे : अखिलेश्वर प्रसाद

मोहम्मद रफी नाइट की आयोजन समिति के अध्यक्ष और पलामू के सरकारी वकील अखिलेश्वर प्रसाद ने बताया कि रफी साहब सिर्फ एक बेहतरीन गायक ही नहीं, बल्कि एक शानदार इंसान भी थे. कार्यक्रम को सफल बनाने में तत्कालीन मंत्री पूरनचंद, मदन कृष्ण वर्मा, मोहन विश्वास, भीष्म नारायण सिंह, कौलेश्वर प्रसाद, हरिलाल लाठ आदि का सराहनीय योगदान रहा था.

Posted By : Sameer Oraon

Next Article

Exit mobile version