Jharkhand News: झारखंड के पलामू जिले के चैनपुर थाना क्षेत्र के गरदा गांव की रहने वाली जमीला बीबी को अपनी पोती की जान बचाने के लिए एक बोतल खून का दाम 4500 रुपये अदा करना पड़ा. जमीला गरीब है. वह भीख मांगकर किसी तरह अपना गुजारा करती है. जमीला का एक दिव्यांग बेटा भी है, जिसे वह हमेशा साथ लेकर चलती है. बुधवार को वह अपनी पोती के प्रसव के लिए मेदिनीनगर के मेदिनीराय मेडिकल कॉलेज अस्पताल लेकर आयी थी. प्रसव के दौरान यह बताया गया कि खून की जरूरत होगी. यदि कोई रिश्तेदार होगा तो वह खून दे सकता है, पर जमीला के पास तत्काल कोई वैसा व्यक्ति नहीं था. इसका फायदा उठाते हुए उससे पैसे वसूल लिए गए.
लाचार जमीला बताती है कि कुछ देर बाद एक स्टाफ जो अपना नाम मुकेश बता रहा था, उसके द्वारा यह कहा गया कि जल्दी करो वर्ना देर हो जायेगी. जमीला ने कहा कि खून देने वाला कोई नहीं है तब धीरज नामक किसी व्यक्ति ने उससे बातचीत शुरू की और कहा कि छह हजार रुपये में एक बोतल खून की व्यवस्था करा देंगे. जब जमीला ने कहा कि इतना नहीं हो पायेगा, रोने गिड़गिड़ाने लगी और कुल जमा पैसा (4500 रुपये) देने पर राजी हो गयी. उसके बाद 4500 रुपये लेकर उसे एक बोतल खून दिया गया. अभी जमीला की पोती अस्पताल में ही भर्ती है. इसी दौरान वह अपनी व्यथा बता रही थी.
जमीला का कहना है कि पोती की जान बचानी थी. इसलिए जो पास में था उसे दे दिया. क्या करते पैसा नहीं देते तो खून के अभाव में पोती की जान चली जाती क्योंकि जमीला अभी उस घटना को भूल नहीं पायी है. जब खून के अभाव में उसके पति अली मियां की मौत हो गयी थी. वह बताती है कि पिछले साल उसके पति बीमार थे. खून की जरूरत थी, नहीं मिला था. इसके कारण उसके पति की मौत हो गयी. इसलिए इस बार जो था उसे देकर किसी तरह खून की व्यवस्था की. उसे कुछ भी पता नहीं कि उसकी पोती का इलाज कौन डॉक्टर कर रहे हैं. बस वह यही बता रही है कि कोई धीरज बाबू थे, जिन्होंने पैसा लेकर खून दिया है.
पलामू के सिविल सर्जन डॉ अनिल कुमार ने कहा कि इस मामले की जांच करायी जायेगी. जो पीड़ित है उसका बयान लिया जायेगा. यदि इस मामले में कोई भी अस्पताल का कर्मी दोषी पाया गया तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जायेगी. लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराना शासन-प्रशासन की प्राथमिकता है. इसमें जो लोग भी गड़बड़ी करेंगे, उन पर कार्रवाई होगी.
रिपोर्ट: अजीत मिश्रा