पलामू के मेदिनीनगर सेंट्रल जेल में नशे के आदी कैदियों के निशाने पर छिपकली हैं. इन नशेड़ियों की हरकतों के बारे में जानकर आप हैरान हो जायेंगे. दरअसल, वे छिपकली की पूंछ को काटकर उसे जला देते हैं और इसके बाद उसका सेवन करते हैं. डॉक्टरों की मानें, तो ये काफी नुकसानदायक है. जेल अधीक्षक ने कहा कि पहले कैदियों द्वारा ऐसा किया जाता होगा, फिलहाल ऐसा कुछ नहीं है. वैसे जांच के बाद उचित कार्रवाई की जायेगी.
नशे के आदी कैदियों का हाल
बताया जा रहा है कि जेल के अंदर कैदी वार्ड में जो भी छिपकली इन कैदियों को दिखती है. उन छिपकली को पकड़कर वे उसकी पूंछ को काट देते हैं. कई ऐसे कैदी हैं, जो पूंछ को धूप में सुखा देते हैं. सुखाने के बाद उसे चिलम में भरकर उसे पीते हैं. इस तरह वे जेल में नशा कर रहे हैं. कई ऐसे कैदी हैं, जो नशे के इतने आदी हो गए हैं कि वह पूंछ को काटने के बाद उसे सुखाना तो दूर सीधे चिलम में भरकर पीना शुरू कर देते हैं.
जेल में मिलती हैं कटी पूंछ वाली छिपकलियां
नाम न छापने की शर्त पर हाल में ही में जेल से रिहा हुए एक कैदी ने बताया कि आप जब जेल के अंदर में जायेंगे, तो प्रायः सभी छिपकलियों की पूंछ कटी मिलेगी. जब उनसे पूछा गया कि पूंछ कटी हुई क्यों मिलती है. तभी उस कैदी ने नशे के बारे में जानवकारी दी. जानकारी के अनुसार कई ऐसे कैदी हैं जो जेल के अंदर की बागवानी में लगे फूल को भी नहीं छोड़ते हैं. चाहे वह गुलाब का फूल ही क्यों ना हो. अन्य फूलों को तोड़ने के बाद उसके पत्ते को रगड़ कर चिलम में डालते हैं और चिलम में डालने के बाद उसे पीते हैं.
क्या कहते हैं डॉक्टर
एमएमसीएच के डॉक्टर आर के रंजन का कहना है कि छिपकली का कोई भी अंग जहरीला होता है. यदि मनुष्य उसके अंग को काट कर पीता है. तो उसे थोड़ी देर तक पूरी तरह से नशा का एहसास होता है, लेकिन मनुष्य के शरीर के लीवर, फेफड़ा व किडनी को धीरे-धीरे खराब कर देता है. इससे पीने वाले मनुष्य की जान भी जा सकती है.
क्या कहना है जेल सुपरिंटेंडेंट का
मेदिनीनगर के जेल सुपरिटेंडेंट जितेंद्र कुमार का कहना है कि पूर्व में लोग नशा के लिए ऐसे काम करते रहे होंगे, लेकिन अभी वर्तमान में इस तरह की कोई बात नहीं है. जांच करने के बाद उचित कार्रवाई की जायेगी.
रिपोर्ट : शिवेन्द्र कुमार, मेदिनीनगर, पलामू