हुसैनाबाद. थाना परिसर में वर्षों से जब्त छोटे-बड़े वाहन खुले आसमान के नीचे पड़े-पड़े बर्बाद हो रहे हैं. वाहन चेकिंग व अन्य मामलों में पकड़े गये वाहनों को लेने कोई वाहन मालिक थाना में आना मुनासिब नहीं समझ रहे हैं. जिसके चलते दर्जनों वाहन धूप व बारिश से खराब हो रहे हैं. साफ-सफाई नहीं होने के कारण ये वाहन झाड़िओं से ढंक गये हैं. समय पर नीलामी नहीं होने के कारण कई वाहन कबाड़ हो चुके हैं. कई वाहनों में जंग लग चुकी है. जब्त वाहनों के कुछ मामले न्यायालय में चल रहे हैं. जिसके चलते वाहन थाना परिसर में पड़े-पड़े सड़ रहे हैं. नीलामी नहीं होने की स्थिति में अच्छे वाहन भी खराब होने लगे हैं. सूत्रों के अनुसार जब्त वाहनों को छुड़ाने के लिए लंबी प्रक्रिया होती है. इससे बचने के लिए लोग वाहनों को छुड़ाते ही नहीं हैं. इनमें अधिकतर वाहन ऐसे होते हैं, जिनका न तो टैक्स जमा है और न ही फिटनेस. हुसैनाबाद थाना में जब्त दो पहिया और चार पहिया वाहनों की संख्या 200 से अधिक है.
क्या है नियम :
नियमानुसार लावारिस अवस्था में बरामद या जब्त वाहन के छह महीने बाद निस्तारण का प्रक्रिया शुरु की जाती है. वाहन बरामद होने पर संबंधित थाना की पुलिस पहले उसे धारा 102 के तहत पुलिस रिकार्ड में लेती है. बाद में न्यायालय में इसकी लिखित जानकारी दी जाती है. न्यायालय के निर्देश पर सार्वजनिक जगहों पर पंपलेट चिपका कर या समाचार पत्रों के माध्यम से जब्त वाहन से संबंधित जानकारी सार्वजनिक किये जाने का प्रावधान है ताकि वाहन मालिक अपना वाहन ले सकें.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है