मेदिनीनगर. रामगढ़ थाना क्षेत्र के गोवंडी गांव के सरजू राम की हत्या के मामले में पुलिस ने किशुनदेव उरांव व संतोष उरांव को गिरफ्तार किया है. इस संबंध में एसडीपीओ मणि भूषण प्रसाद ने बताया कि सरजू राम 12 मई से गायब था. 15 मई को उसका शव कुआं में पाया गया था. सरजू राम ओझा-गुणी का काम भी करता था. उसने लमती गांव की भक्तिन अमावस्या देवी को 10 हजार रुपये उधार दिया था. लेकिन अमावस्या देवी पैसा लौटाना नहीं चाहती थी. उसने पैसा देने का लालच देकर 12 मई को सरजू राम को अपने घर बुलाया. इसके बाद अमावस्या देवी, किशुनदेव उरांव व संतोष उरांव ने शराब में जहर व नशा की गोली खिलाकर सरजू राम को बेहोश कर दिया. उसके बाद रस्सी, ओढ़नी व स्टॉल के सहारे सरजू राम की गला दबाकर हत्या कर दी. इसके बाद शव को कुएं में डाल दिया. एसडीपीअो ने बताया कि आरोपी किशुनदेव उरांव के बेटे की मार्च में किसी बीमारी से मौत हो गयी थी. वहीं आरोपी संतोष उरांव की पत्नी भी बीमार चल रही थी. इसे लेकर भक्तिन अमावस्या देवी ने इन दोनों को बताया कि सरजू राम के कारण ही किशुनदेव उरांव के बेटे की मौत हुई है व संतोष उरांव की पत्नी की तबीयत खराब रहती है. जबकि वह खुद सरजू राम से लिया गया पैसा लौटाना नहीं चाहती थी. इसलिए तीनों ने मिलकर सरजू राम की हत्या कर दी. सरजू राम का बेटा सीताराम छत्तीसगढ़ में रहता है. वह 12 मई से ही पिता को फोन कर रहा था. लेकिन फोन नहीं उठाने के कारण वह अन्य लोगों के साथ गांव लौट आया. 13 मई को चुनाव होने के कारण दूसरे दिन 14 मई से उनलोगों ने पिता की खोजबीन शुरू की. इसी क्रम में 15 मई को एक कुएं में सरजू राम का शव देखा गया. जिसकी सूचना उन लोगों ने थाना को दी. जिसके बाद पुलिस ने जांच शुरू की. जांच के क्रम में पता चला कि 15 जून की रात किशुनदेव उरांव व संतोष उरांव रात में चोरी-छिपे अपने गांव आये है. जिसके बाद पुलिस ने किशुनदेव व संतोष उरांव को गिरफ्तार कर लिया. उनकी निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त रस्सी, जोरी, ओढ़नी व स्टॉल को भी बरामद कर लिया गया. छापेमारी में एसडीपीओ मणि भूषण प्रसाद, पुलिस अवर निरीक्षक विजय मंडल, संतोष गिरी, सहायक आरक्षी ललन दास, सुनील कुमार यादव व सशस्त्र बल के जवान शामिल थे.
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