मेदिनीनगर. एमसीसी उग्रवादी मनोगा गंझू को 22 साल बाद सरकार के आदेश पर 15 अगस्त को रिहा कर दिया गया. मनोगा गंझू 2001 में पुलिस की गाड़ी को उड़ाने के आरोप में पकड़ा गया था. जिसमें एक पुलिसकर्मी की मौत हो गयी थी. घटना पांकी थाना क्षेत्र की थी. मामले में मनोगा गंझू को 11 जून 2002 को सेंट्रल जेल में गिरफ्तार कर रखा गया था. इसके बाद सुनवाई के दौरान 2008 में उसे आजीवन कारावास की सजा मिली थी. नक्सली मनोगा गंझू सहित केंद्रीय जेल मेदिनीनगर द्वारा चार सजायफ्ता कैदी के बारे में राज्य सरकार को पत्र भेजा गया था. जिसके राज्य सरकार ने सजा पुनरीक्षण परिषद की बैठक में मनोगा गंझू के व्यवहार को देखते हुए 22 साल बाद रिहा करने का आदेश दिया.
जेल में रहते दो बेटी व एक बेटे की मौत :
मनोगा गंझू ने बताया कि जेल में रहते 2003 में छोटी बेटी, 2004 में डेढ़ साल की दूसरी बेटी व 2007 में आठ साल के इकलौते बेटे की मौत हो गयी. अब एक बेटी बची है, जिसकी शादी हो चुकी है. जेल में था, तो कुछ पता ही नहीं चला कि तीनों बच्चों की मौत कैसे हो गयी. मनोगा ने बताया कि रहने के लिए घर नहीं है. पुराना घर टूट चुका है. अब जाकर कहां रहेंगे. उसने बताया कि घर में किसी को पता नहीं है कि उसे जेल से रिहा कर दिया गया है. हालांकि घर जाने को लेकर काफी खुश हैं..डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है