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Jharkhand News: पर्यटकों को लुभाती हैं पलामू के मंडल डैम की हसीन वादियां, नये साल में मनोरंजन की है खास जगह

New Year 2022: मंडल डैम की सबसे बड़ी विशेषता ये है कि कैसे पलामू प्रमंडल की लाइफ लाइन मानी जानी वाली कोयल नदी के पानी को यहां रोकने का प्रयास किया गया. दोनों पहाड़ियों के बीच से संकीर्ण मार्ग से गुजरती कोयल नदी को देखना पर्यटकों को काफी भाता है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 23, 2021 12:06 PM

Jharkhand News: झारखंड के पलामू प्रमंडल के पर्यटन स्थलों में मंडल डैम (best tourist places Mandal Dam) की अपनी अलग पहचान है. पलामू प्रमंडल का अति महत्वपूर्ण यह इलाका खूबसूरती का बेहतरीन नमूना है. यहां की भौगोलिक संरचना इस प्रकार है कि आने के बाद बहुत कुछ सीखने का अवसर मिलता है. पलामू टाइगर रिजर्व की स्थापना के समय 1973-74 में ही महत्वाकांक्षी उत्तर कोयल जल विद्युत परियोजना (मंडल डैम) की नींव रखी गयी थी. डैम के ऊपरी हिस्से पर चढ़ने के बाद आसपास का मनोरम दृश्य पर्यटकों का मन मोह लेता है.

मंडल डैम की सबसे बड़ी विशेषता ये है कि कैसे पलामू प्रमंडल की लाइफ लाइन मानी जानी वाली कोयल नदी के पानी को यहां रोकने का प्रयास किया गया. दोनों पहाड़ियों के बीच से संकीर्ण मार्ग से गुजरती कोयल नदी को देखना पर्यटकों को काफी भाता है. इतना ही नहीं गारू की ओर से आ रही कोयल नदी जो पूरब से पश्चिम की ओर बह रही होती है, यहां पर आकर करीब-करीब समकोण बनाते हुए उत्तर दिशा की ओर बहने लगती है. विद्यार्थियों को भी यहां सीखने का बहुत कुछ अवसर मिलता है.

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बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजना की बात यहां आते ही समझ में आ जाती है. इतना ही नहीं आसपास की पहाड़ियों व जंगलों को देखकर लोग यहीं का होकर रह जाते हैं. बरवाडीह से मंडल तक की यात्रा भी काफी रोमांचकारी होती है जो घने जंगलों से होकर गुजरती है. शांत व खूबसूरत वादियों में अपने मित्र व परिजनों के साथ पिकनिक का आनंद लेना कोई भी नहीं भूल पाता है. यही कारण है कि साल के आखिरी दिनों व नव वर्ष के स्वागत में हजारों की संख्या में लोग यहां पहुंचते हैं.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पांच जनवरी 2019 को पलामू आकर वर्षों से अधूरे पड़े निर्माण के जीर्णोद्धार को लेकर शिलान्यास करके मंडल डैम को चर्चा में ला दिया. बेतला के आसपास के पर्यटन स्थल को देखने के शौकीन लोग यहां पहुंचते हैं. केंद्रीय टीम का लगातार दौरा जारी है. एकीकृत बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर के द्वारा यह परियोजना शुरू की गयी थी. वन विभाग सहित अन्य अड़चनों के कारण भले ही मंडल डैम के निर्माण का कार्य अधूरा रहा, लेकिन पर्यटक इसे कभी नहीं भूल पाये. पर्यटकों के यहां आने का सिलसिला अभी भी जारी है.

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मंडल डैम को देखना जितना रोचक है, उतना ही खतरनाक भी है. जहां पर गेट बनाया गया है. वहां सावधानी रखने की जरूरत होती है. खासकर बच्चों व महिलाओं को यदि अपने साथ ले गये हों, तो आपको पूरी सावधानी रखनी होगी. वहीं इसके निचले हिस्से को देखने के लिए भी काफी सावधानी के साथ उतरना होता है. मंडल डैम प्रमंडलीय मुख्यालय मेदिनीनगर से 60 किलोमीटर दूर है. लातेहार से इसकी दूरी 115 किलोमीटर, बेतला से 45 किलोमीटर व बरवाडीह से 30 किलोमीटर दूर है.

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रिपोर्ट: संतोष कुमार

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