विकास पर ध्यान नहीं, सिर्फ कार्यालय बदलता रहा
हुसैनाबाद नगर पंचायत के गठन के 16 वर्ष बाद भी शहर वासियों को बुनियादी सुविधाएं मयस्सर नहीं
हुसैनाबाद.
हुसैनाबाद नगर पंचायत के गठन के 16 वर्ष बाद भी शहर वासियों को बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल पा रही है. पिछले तीन बार हुए नगर चुनाव के बाद नगर पंचायत के जनप्रतिनिधि व कार्यपालक पदाधिकारी पर गैर जरूरी व अनुपयोगी योजनाओं पर सरकारी राशि खर्च करने का आरोप है. ऐसी योजनाओं का चयन किया जाता है, जिनसे आमजनों का कोई सरोकार नहीं होता. कुछ ऐसे भवन बनाये जाते हैं, जिनका उपयोग नहीं के बराबर होता है. हुसैनाबाद अधिसूचित क्षेत्र समिति को वर्ष 2008 में नगर पंचायत का दर्जा मिला था. पहली बार उषा देवी अध्यक्ष पद का चुनाव जीती थीं. उनके कार्यकाल में अधिसूचित क्षेत्र समिति का कार्यालय जो जपला-हैदरनगर मुख्य पथ में बालिका उच्च विद्यालय के समीप बना था. उसी कार्यालय में नगर पंचायत के सभी कार्यों का निष्पादन होता था. नगर पंचायत प्रतिनिधियों ने बोर्ड की बैठक में नये नगर पंचायत कार्यालय बनाने का प्रस्ताव रखा. इसके बाद नगर पंचायत का दूसरा भवन अनुमंडल के कर्पूरी मैदान में वर्ष 2013 में 23 लाख की लागत से बना. दूसरी बार हुए नगर पंचायत चुनाव में रामेश्वर राम ने अध्यक्ष बनने के बाद नगर पंचायत का कार्यालय नये भवन में शिफ्ट कर दिया. रामेश्वर राम के कार्यकाल के बाद तीसरी बार हुआ चुनाव राजनीतिक दल के आधार पर हुआ. जिसमें राजद के उम्मीदवार शशि कुमार नगर अध्यक्ष बने. उन्होंने उक्त भवन को जर्जर बता कर तीसरी बार बौली पर बने सामुदायिक भवन में लाखों रुपये खर्च कर नगर पंचायत कार्यालय को उसमें शिफ्ट करा दिया. तीसरे टर्म का कार्यकाल पूरा होने के बाद नगर निकाय का चुनाव नहीं होने के कारण सभी नगर पंचायत प्रतिनिधियों का पावर सरकार द्वारा सीज कर लिया गया. वर्तमान के नगर पंचायत के कार्यपालक पदाधिकारी विपुल सन्नी द्वारा सामुदायिक भवन से नगर पंचायत कार्यालय को हटाकर वर्ष 2007 में 26 लाख की लागत से निर्मित महात्मा गांधी विवाह मंडप में लाखों रुपये खर्च कर नगर पंचायत कार्यालय शिफ्ट कर दिया गया. हालांकि नगर पंचायत द्वारा बने महात्मा गांधी विवाह मंडप में शहर के अलावा आसपास के गरीब तबके के लोगों को उचित मूल्य पर वैवाहिक कार्यक्रम के अलावा कार्यक्रम करने में आसानी होता था. वहीं पहले नगर पंचायत कार्यालय में फिलहाल भूतपूर्व सैनिक संघ का कार्यालय खुल चुका है. इस संबंध में पूछे जानें पर कार्यपालक पदाधिकारी विपुल सन्नी ने बताया कि उस भवन को फिलहाल रेंट पर पूर्व सैनिकों को दिया गया है. अगर हुसैनाबाद नगर पंचायत क्षेत्र में बने उक्त सामुदायिक भवन की जांच की जाये, तो यह स्पष्ट हो जायेगा कि कौन भवन उपयोग में व कौन सा भवन आज भी अनुपयोगी है, जिसमें सरकार के करोड़ों रुपये बर्बाद किये गये हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है